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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

अलॉटमेंट वाली कमर्शियल प्रॉपर्टी से भी अनअरनेड प्रॉफिट की शर्त समाप्त किए जाने की मांग

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अलॉटमेंट वाली कमर्शियल प्रॉपर्टी से भी अनअरनेड प्रॉफिट की शर्त समाप्त किए जाने की मांग

चंडीगढ़ 5 अक्टूबर । चंडीगढ़ भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता एवं शहर के व्यापारी नेता कैलाश चंद जैन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख चंडीगढ़ में अलाटमेंट वाली कमर्शियल प्रॉपर्टी की ट्रांसफर के लिए चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा चार्ज किए जा रहे अन अरनेड प्रॉफिट अथवा ट्रांसफर फीस को खत्म किए जाने की मांग की है ।

उक्त जानकारी देते हुए कैलाश चंद जैन ने बताया कि शहर में पुनर्वास अथवा किसी अन्य स्कीम के तहत चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा विभिन्न अवसरों पर छोटे दुकानदारों को बूथ अथवा कमर्शियल साइट अलाट किए गए थे । क्योंकि यह बूथ पुनर्वास स्कीम के तहत अलाट किए गए थे औऱ अलॉटी इसका नाजायज फायदा ना उठा सके इसलिए इन बूथों को 15 साल तक ट्रांसफर ना किए जाने की शर्त लगाई गई थी। अगर कोई अलॉटी 15 साल तक अपने बूथ को ट्रांसफर करवाता है तो उससे ओरिजनल अलॉटमेंट प्राइस औऱ वर्तमान मार्किट प्राइस के बीच के डिफरेंस का 50% अन एरनेड प्रॉफिट प्रशाशन को देना पड़ेगा। जबकि 15 साल के बाद तो यह बूथ इस शर्त से मुक्त हो जाने चाहिए थे ।

लेकिन प्रशासन इस शर्त को ढाल बनाकर 15 साल के बाद भी ट्रांसफर किए जाने वाले बूथ मालिकों से अन एरनेड प्रॉफिट ले रहा है । बूथों की अलॉटमेंट को 40 से 50 वर्ष तक हो गए हैं । कई पीढ़ियां इन पर काम करते हुए गुजर गई है। लेकिन आज अलॉटमेंट के 40-50 वर्षों बाद भी कोई दुकानदार अपना बूथ बेचना चाहता है तो उसे अन एरनेड प्रॉफिट के एवज में भारी रकम प्रसाशन को देनी पड़ती है। 40 वर्ष पहले बूथ की कीमत तीस से चालीस हजार रुपये थी, जबकि उसकी ट्रांसफर फीस 40 से 50 लाख रुपए तक मांगी जा रही है जोकि सरासर अन्याय है । एक ही मार्केट में एक ही स्थान पर 40 साल पहले ऑक्शन में खरीदे गए बूथ पर ट्रांसफर फीस जीरो है और अलॉटमेंट में अलॉट हुए बूथ की ट्रांसफर फीस 40 से 50 लाख रुपये । जबकि 40 वर्ष पहले दोनों की कीमतों में कोई विशेष अंतर नहीं था ।
कैलाश जैन का कहना है कि अगर खरीदार को पहले पता होता कि 15 वर्ष बाद भी इतनी अधिक ट्रांसफर फीस देनी पड़ेगी तो शायद वह अलॉटमेंट की बजाय ऑक्शन में बूथ खरीदना बेहतर समझता ।

कैलाश जैन ने यह भी बताया कि उन्होंने यह मामला चंडीगढ़ मामलों के लिए गठित केंद्रीय गृहमंत्री जी की सलाहकार समिति की बैठक में भी उठाया था जिसमें प्रशासन को इस संबंध में कार्यवाही हेतु निर्देश दिए गए थे । लेकिन आज तक कोई फैसला नहीं लिया जा सका है ।

यही नहीं चंडीगढ़ प्रशासन ने रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी में अन एरनेड प्रॉफिट की शर्त समाप्त कर दी है।
इसलिए उनकी मांग है कि इन छोटे दुकानदारों के साथ किये जा रहे अन्याय से राहत दिलवाने हेतु अलाटमेंट वाली कमर्शियल प्रोपर्टी से गैर जरूरी unearned प्रॉफिट वाली शर्त खत्म की जानी चाहिए।