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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

कृषि कानूनों में बदलाव का स्वागत एवं व्यापारी हितो की रक्षा हेतु कुछ आवश्यक सुझाव

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प्रेस विज्ञप्ति

कृषि कानूनों में बदलाव का स्वागत एवं व्यापारी हितो की रक्षा हेतु कुछ आवश्यक सुझाव
फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया व्यापार मंडल के सुझावों के कुछ मुख्य बिंदु
• सभी राज्यों में मंडी कर एवं उपकार का पूरी तरह से समाप्त करना
• दवाओं की लाइन पर खाद्यान्न के लिए उच्त्तम खुदरा मूल्य स्थापित करना
• निश्चित सीमा से ऊपर किसानों पर आयकर के पर्वधन
• किसी भी विवाद के मामले में मध्यस्थता प्रणाली
• एग्री कमोडिटी का एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट, केवल मांग एवं पूर्ति पर आधारित होना चाहिए
• अन्य कृषि जिंसों के तरह गन्ने का भुगतान भी तीन दिनों के भीतर होना चाहिए
• मवेशियों को खिलाने और मुर्गी पालन के लिए कृषि उपज नए कानून के दायरे से बाहर होना चाहिए
• व्यापारियों द्वारा अग्रिम के रूप में किसानों को धन अग्रिम की सुरक्षा।

राष्ट्र के व्यापारियों का सर्वोच्च राष्ट्रीय परिसंघ ,फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया व्यापार मंडल द्वारा कृषि क्षेत्र के सुधार हेतु एवं अन्नदाता की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के इरादे से लाये गयी तीनो बिलो को कानून में परिवर्तित करने पर माननीय प्रधान मंत्री जी का ह्रदय से आभार व्यक्त किया है | फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया व्यापार मंडल का स्पष्ट रूप से मानना है किं अगर किसानो की आर्थिक स्थिति सुधरेगी तो राष्ट्र में कारोबार भी बढ़ेगा क्योंकि किसान समुदाय एक बहुत बड़ा उपभोक्ता भी है। नए कानून आने से किसान भी एक व्यापारी के सामान हो जाएगा और अपनी फसल के सौदे स्वयं करेगा।
नए कृषि कानूनों के क्रियान्वन हेतु और किसान ,व्यापारी एवं आम जनता के हितो में निम्न सुझाव माननीय प्रधान मंत्री जी को अपने पत्र दिनाक 23. सितम्बर 2020 , पत्र की कॉपी संग्लंग , द्वारा भेजे है

01. राष्ट्र के विभिन्न राज्यों में APMC द्वारा संचालित मंडियों में अलग अलग शुल्क एवं उपकारों का प्रावधान है। ‘कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्द्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020’ द्वारा मंडियों पर उक्त शुल्क बने रहेंगे जबकि बाहर के बाजार के व्यापारियों को शुल्क मुक्त किया गया है। दूसरी और आज जब एक देश एक बाजार की परिकल्पना पूर्ण होने जा रही है ऐसे में समानता का अधिकार देते हुए , APMC मंडियों में व्यापार कर रहे आढ़तियों द्वारा कृषि उपज के कारोबार को मंडी शुल्क एवं अन्य उपकारों से मुक्त कर दिया जाए। एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हेतु मंडियों को भी शुल्क मुक्त करना आवश्यक है। अतः सभी राज्यों को केंद्र द्वारा दिशा निर्देश जारी किये जाने चाहिय और APMC मंडियों के भीतर कृषि उपज की खरीददारी को पूर्णतः शुल्क मुक्त किया जाना चाहिय।

02. आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 के द्वारा अधिकांशतः कृषि उपज को स्टॉक लिमिट नियंत्रण से मुक्त कर दिया गया है। बड़े बड़े उद्योग घराने जो अब खुदरा क्षेत्र में भी गहरी पैठ बना रहे है , एवं कॉर्पोरेट / मॉडर्न रिटेल , अपने धन एवं संसाधनों के कारण स्वाभाविक रूप से कृषि उपज पर अपना अधिपत्य स्थापित करने की चेस्टा करेंगे। ऐसे अवस्था में छोटा व्यापारी कृषि उपज खरीदने से वंचित रह जाएगा और वर्तमान वाणिज्य विपणन व्यवस्था को गहरा आघात लगने की सम्भावना है। अतः सरकार को लघु व्यापारियों के हितो की रक्षा हेतु आवश्यक नियम बनाने चाहिय।

03. किसान अक्सर व्यापारियों से अपनी फसल का अग्रिम भुगतान प्राप्त कर लेता है। क्योंकि अब बड़े बड़े उद्योग घराने भी कृषि उपज की खरीददारी में अपनी रूचि दिखा सकते है , अतः व्यापारियों द्वारा दिया गए अग्रिम की सुरक्षा एवं उसकी वापसी हेतु भी कुछ नियमावली बनानी चाहिय। जिससे व्यापारियों द्वारा किसानो को दिया गया अग्रिम सुरक्षित रह सके।

04. जिस प्रकार किसान की उपज का सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करती है , ठीक उसी प्रकार सरकार को अधिकतम खुदरा मूल्य भी निश्चित करने चाहिय, जिस प्रकार दवाई इत्यादि पर सरकार अधिकतम मूल्य निर्धारित करती है । क्योंकि कृषि उपज के भंडारण में अधिकतम सीमा समाप्त कर दी गयी है , ऐसे में यदि धनवान उद्योगपति या व्यापारी किसी अपवित्र उद्देश्य हेतु सम्पूर्ण आनाज का भंडारण कर एकाधिकार के माध्यम से यदि कृषि उपज के खुदरा मूल्य बढ़ाना चाहे , तो बढ़ा नहीं सके। देश की 130 करोड़ जनता को उचित मूल्य पर खाद्य सामग्री उपलब्ध करना भी सरकार का ही दायित्व है।

05.व्यापारियों द्वारा किसानो को फसल का भुगतान सिर्फ बैंकिंग माध्यम से ही होना चाहिय। यदि कोई किसान वर्ष में 5 लाख से ज्यादा की फसल बेचता है तो किसानो पर भी आयकर प्रावधान उसी तरह लागु होने चाहिय जैसे व्यापारियों पर होते है।

06. किसानो के फसल के विपणन हेतु प्रस्तावित फ़ूड प्रोडूसर्स आर्गेनाईजेशन (FPO) जो एक तरह की सहकारिता पर आधारित होंगी , उसमे व्यापारियों को भी सदस्यीय बनने का अवसर मिलना चाहिए। यदि किसान एवं स्थानीय व्यापारी सम्मिलित रूप से व्यापार करेंगे तो फसलों का अच्छा दाम मिल सकता है।

07. भारतीय नागरिको के हितो में कृषि उपज का आयात , निर्यात पूर्णतः सरकार की अनुमति से होना चाहिय। फसल की पैदावार एवं खपत अपने अग्रिम आंकड़ों के आधार पर सरकार को आयात ,निर्यात पर अपनी नीति बनाने चाहिय। अधिक पैदावार की स्थिति में निर्यात एवं कमी के स्थिति में ही आयात करने की अनुमति दी जानी चाहिय।

08. ‘कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्द्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020’ में जिस प्रकार प्रावधान किया गया है कि फसल का भुगतान तीन दिन के भीतर होना चाहिए , यह प्रावधान चीनी मिलो पर किसानो से गन्ना खरीदने पर भी लागु होना चाहिए। वर्तमान में चीनी मिल गन्ना का भुगतान बहुत ही ज्यादा देरी से करती है।

09. राष्ट्र के डेरी व्यवसाय के हितो की रक्षा एवं दूध इत्यादि के दामों में वृद्धि को नियंत्रित करने हेतु , पशु आहार इत्यादि उपरोक्त कृषि कानूनों के मुक्त रखा जाए।

10. नए प्रावधानों के अंतर्गत किसान व्यापारी के मध्य उत्पन्न किसी भी विवाद को कोर्ट के स्थान स्थानीय प्रशासन द्वारा विवाद निपटारा किया जाएगा। इसमें हमारा सुझाव है कि विवाद होने के स्थिति में सर्व प्रथम विवाद का निपटारा Alternate. dispute. resolution. विधि यानि मध्यस्था के माध्यम से निपटाया जाए और किसी असहमति की दशा में ही विवाद स्थानीय प्रशासन के प्राधिकृत अधिकारी के पास जाए। इससे प्रकार किसान व्यापारी के मध्य विवाद अति शीघ्रता से निपट जाएगा। इस सम्बद्ध में जिला स्तर, राज्य स्तर एवं राष्ट्रीय स्तर पर व्यापारियों एवं किसानो के प्रतिनिधियों की एक निगरानी समितियों की व्यवस्था की जाए।

वी के बंसल,राष्ट्रीय महामंत्री,फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया व्यापार मंडल के अनुसार, आने वाले समय में बहुत सी व्यावहारिक परेशानिया एवं चुनौतियां व्यापारियों के समक्ष आने की सम्भावना है अतः माननीय प्रधान मंत्री जी से अनुरोध किया गया है किं व्यापारियों से लगातार संवाद की कुछ ऐसी व्यवस्था स्थापित होने की आवश्यकता है जिससे उन सभी चुनौतियों का समाधान निकला जा सके। व्यापारियों का सर्वोच्च राष्ट्रीय परिसंघ फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया व्यापार मंडल इस विषय में सरकार व्यापारी संवाद स्थापित करने में अपनी भूमिका निर्वाह करने तो तत्पर है।
पत्र को निम्न लिंक पर पढ़ा जा सकता है
http://media.faivm.in/wp-content/uploads/2020/09/Letter-to-PM-23-Sep-2020-on-Agri-Ordinance.pdf
धन्यवाद
सादर
वी के बंसल
राष्ट्रीय महामंत्री
फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया व्यापार मंडल
8076435958