ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार आचार्य श्रीकांत शास्त्री ने कहां है कि जिस प्रकार से देश में पत्रकारों की हत्या एवं उनके ऊपर फर्जी मुकदमे व उनका उत्पीड़न एवं उनको बुनियादी सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है यह बहुत ही दुखद एवं चिंताजनक है। यह कृत्य सीधा-सीधा चौथे स्तंभ को दबाने की खड्यंत्रकारी साजिश है जो इस प्रकार के लोकतांत्रिक देश के लिए शुभ संकेत नहीं है।
देश के विभिन्न प्रदेशों में पत्रकारों की हत्या एवं उनके ऊपर फर्जी मुकदमे व जेल भेजने की सुनियोजित घटना होना, इससे स्पष्ट प्रतीत होता है कि सही तथ्य को छिपाने एवं गलत को सही साबित करने की कोशिश की जा रही है। इसका सीधा उदाहरण उत्तर प्रदेश के कई जिलों से मिलता है प्रयागराज में पत्रकार विष्णु देव पांडे द्वारा भगवतपुर ब्लॉक के खामियों के संबंध में कुछ समाचार प्रकाशित किया जिनके विरुद्ध वहां से नोटिस जारी कर दिया गया, इसी जनपद के थाना नैनी, सरायनाइत, कौंधियारा थानों में पत्रकारों का उत्पीड़न किया गया, उपरोक्त की भांति कौशांबी, फतेहपुर मे भी पत्रकारों के खिलाफ उत्पीड़नात्मक कार्यवाही किया गया जो बहुत ही चिंतनीय विषय है।
जहां पर पत्रकारों ने अपनी सुरक्षा हेतु पुलिस से सहयोग मांगा जिसके बावजूद पुलिस ने सहयोग नहीं दिया जिसके लापरवाही के कारण तीन पत्रकारों को गोलियों से उड़ा दिया गया। इसी तरह उत्तराखंड में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक खामियों को उजागर करने वाले पत्रकारों पर राजद्रोह के तहत मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया यह बहुत ही खेद का विषय एवं पत्रकारों की आवाज दबाने की कोशिश है।
इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया के वरिष्ठ पत्रकारों पर खबर दिखाने एवं छापने पर राजद्रोह का मुकदमा एवं गैंगस्टर लगना निंदनीय है।
श्री शास्त्री जी ने कहा कि जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश में अपराधियों द्वारा गोलियों से मारे गए पत्रकार क्रमशः शलभमणि तिवारी, विक्रम जोशी और रतन सिंह ने हत्या होने की आशंका के कारण अपनी अपनी सुरक्षा हेतु पुलिस से पहले से ही सहायता मांगी थी, सहायता न मिलने के कारण इन लोगों की हत्या होना बहुत ही अफसोस का विषय है।
ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन परिवार ने सरकार से मांग किया है कि पत्रकारों पर बढ़ते हमलों, हत्या, उत्पीड़न एवं फर्जी मुकदमो को रोकने के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून बनाया जाए।