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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

सतगुरु दलीप सिंह जी के महान प्रयासों के अन्तर्गत हिन्दू- सिक्ख एकता की मिसाल कायम

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वर्तमान नामधारी सतगुरु दलीप सिंघ जी एक ऐसी अलौकिक शख्सियत का नाम है, जो ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के महान आदर्श अनुसार परस्पर प्रेम व आपसी भाईचारे, समाजिक सुधार, अपने देश के प्रति स्वाभिमान की भावना को कायम रखते हुए अपने देश को पुनः विश्व गुरु बनाने के इच्छुक हैं। इन महान कार्यों को आप केवल कथनी से ही नहीं अपितु करनी से भी सार्थक करना चाहते हैं। समाज सुधार के लिए आपके द्वारा जहाँ स्त्रियों को सम्मानजनक स्थान देने, जात-पात के भेदभावों को खत्म करने, समागमों में फिजूल खर्चों तथा बाह्य आडंबरों को दूर करने के लिए प्रयासरत हैं वहीं अन्य समाज सेवा के कार्यो के साथ अनपढ़ता तथा धर्मांतरण को मिटाने के लिए निःशुल्क कक्षाओं का आयोजन किया है तथा नामधारी संगत आपकी प्रेरणा से पंजाब, दिल्ली, उत्तर- प्रदेश, हिमाचल, हरियाणा आदि कई प्रांतों में ऐसे सेवा के कार्यों में लगी है, इसके अलावा कहीं भी कोई आपदा आ जाये तो आपकी संगत सेवा से पीछे नहीं हटती। आपके द्वारा अपने देश को उन्नति की ओर अग्रसर करने के लिए सबसे पहले आपसी मतभेदों को दूर कर, आपसी भ्रातृत्व की भावना और एकता कायम करने के लिए भी लगातार प्रयत्न जारी हैं। आपने अपने वचनों को क्रियात्मक रूप देने के लिए जहाँ सिक्ख भाइयों से मेल-जोल के भरसक प्रयास किए वहीं हिन्दू भाइयों के प्रति परस्पर प्रेम की भावना को भी उजागर किया है। वर्तमान समय में शायद आप ही पहले सिक्ख महांपुरुष हैं जिन्होंने गुरु वाणी के अनुसार यह सिद्ध किया कि हिन्दू भी हमारे सगे भाई हैं और भिन्न-भिन्न युगों में अवतरित होने वाले भगवान वामन जी, भगवान राम जी, भगवान कृष्ण जी से हमारा अनन्य संबंध है और इसके लिए आप जी ने एक बहुत सुंदर नारा भी घोषित किया है, “हिन्दू सिक्ख का भेद मिटाओ, भारत देश बचाओ”। इसके अतिरिक्त आप जी ने जहाँ गुरु नानक नाम लेवा कॉन्फ्रेंस 21 अप्रैल 2014 को करवाई, वहीं 16 अगस्त 2016 में हिन्दू-सिक्ख एकता सम्मेलन करवा कर आपसी एकता की एक नई मिसाल कायम की और इसके उपरान्त भी आपके द्वारा लगातार चल रहे प्रयासों को देखकर , कवि हरदेव सिंह शौंकी के द्वारा उच्चारण की ये पंक्तियों, “कौन कहिंदा हिन्दू अते सिक्ख वक्खो-वक्ख ने, भारत माँ दी दोवें सज्जी खब्बी अक्ख ने” सार्थक सिद्ध होती नजर आ रही हैं।

वर्णनयोग्य है कि आपसी एकता और भाईचारे को मजबूत करने और अंग्रेजों से मुकाबला करने के लिए आपके दादा श्री सतगुरु प्रताप सिंह जी ने भी पहली बार मार्च 1943 ईस्वी में हिन्दू- मिलाप कॉन्फ्रेंस भैणी साहिब में सेठ जुगल किशोर बिरला जी की प्रधानगी में करवाई थी। उसी प्रकार समय और परिस्थितियों के मुताबिक महापुरुषों को कुछ ऐसे प्रयास करने ही पड़ते हैं नहीं तो कई प्रकार की बुराइयाँ और कई प्रकार के वहम समाज को अपने मार्ग से भटका देते हैं। अतः समय की जरूरत समझते हुए सतगुरु दलीप सिंह जी ऐसे अद्वितीय प्रयास कर समाज का पथ- प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने इस भ्रातृत्व की भावना को केवल सम्मेलन द्वारा ही नहीं बल्कि इस प्रयास में प्रौढ़ता लाने के लिए हिन्दू भाइयों से मिलकर एवं नामधारी संगत की ओर से रामनवमी, जन्माष्टमी जैसे कई समागम विशाल स्तर पर कर दुनिया को अनोखा संदेश दिया, इसके अलावा आप ने राम मंदिर के समर्थन में डट कर अपनी आवाज बुलन्द की तथा आपके अनुयाईयों ने भी हिन्दू भाइयों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर पूरा साथ दिया। दूसरी ओर हिन्दू भाइयों की तरफ से, संघ की ओर से तथा सन्त मंडली की ओर से आपको पूरा सहयोग और समर्थन मिला। आपके संदेश द्वारा जब सतगुरु नानक देव जी के 550 वें प्रकाश पर्व पर हिन्दू भाइयों को मंदिरों में भी मनाने का आग्रह अखिल भारतीय संत समागम में किया गया तो सारा हाल जैकारों से गूंज उठा और स्वामी हंसादेव जी ने कहा कि “हम सारा संत समाज ठाकुर दलीप सिंह जी के साथ हैं”। आपके इन्हीं सहयोग और आशीर्वाद से ही आज राम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन सफलता के शीर्ष पर पहुँच गया, इससे नामधारी संगत में भी ख़ुशी की लहर है और सब से विशेष संयोग की बात यह है कि इस शुभ कार्य को सफल देखने के इच्छुक तथा एकता के प्रतीक सतगुरु दलीप सिंह जी का अवतार पर्व भी इसी दिन 5 अगस्त को है। इसके लिए मैं सारे देशवासियों को बधाई देती हूँ। जय श्री राम।