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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

चीनी सेना को खदेड़कर लद्दाख बचाया था; 45 दिन में लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह का स्टैच्यू तैयार

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  • ले. जनरल बिक्रम सिंह ने 1962 की जंग में लद्दाख को चीनी कब्जे में जाने से बचाया था
  • चैरिटेबल सोसायटी की ओर से अमृतसर में तैयार करवाया गया आदमकद बुत

दैनिक भास्कर

Jun 08, 2020, 09:03 AM IST

नवांशहर/बलाचौर. लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर इस समय तनाव है। भारत और चीन की सेना गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो के आसपास कई दिनों से डेरा जमाए हुए है। इस बीच एक ऐसी जानकारी सामने आई है, जिसे सुनने के बाद हर भारतीय को खुशी महसूस होगी।

भारत और चीन के बीच 1962 में भीषण जंग हुई थी। इस युद्ध में लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह अगुवाई में भारतीय सेना ने युद्ध लड़ा था। कहते हैं कि लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह उस जंग में सही रणनीति नहीं बनाते तो लद्दाख आज भारत का नहीं, बल्कि चीन का हिस्सा होता।

अब 4 जुलाई 2020 को उनकी 109वीं जयंती पर पंजाब के नवांशहर में उनका एक स्टैच्यू लगाने की तैयारी की जार ही है। तीन टन वजनी और 9 फीट ऊंचा और यह स्टैच्यू अमृतसर में तैयार किया गया है। इसे प्रसिद्ध रंगकर्मी हरभजन जब्बल के पोते मनिंदर जब्बल ने 45 दिनों में तैयार किया है। ये स्टैच्यू एक स्कूल परिसर में लगाया जाना है, ताकि बच्चों को भारतीय सेना की वीरता के बारे में पता चल सके।

बहादुरी के कारण कहा जाता है, हीरो ऑफ लद्दाख

शहीद लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह कमेटी के महासचिव कश्मीर सिंह बताते हैं कि उनकी बहादुरी के किस्से पंजाब के साथ ही पूरा देश याद करता है। 4 जुलाई 1911 को उनका जन्म नवांशहर के गांव काहमा (ननिहास) में हुआ था। 1932 को वे सेना में भर्ती हुए थे।

1947 में वे राजपूत रेजीमेंट की चौथी बटालियन के कमांडिंग अफसर बने थे। 1948 में ब्रिगेडियर, 1955 में मेजर जनरल बने और 1961 में ले. जनरल बन गए थे।

1962 की जंग के बाद मिले बहादुरी पदकों में से 60 प्रतिशत उनकी कमान के अधिकारियों और सैनिकों को मिले थे, उन्हें हीरो ऑफ लद्दाख भी कहा जाता है। नवंबर 1963 को सेना का एक जहाज दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हादसे में लेफ्टिनेंट जनरल दौलत सिंह पश्चिमी कामन के चीफ जनरल ऑफिसर कमांडिंग, वाइस एयर मार्शल ईडब्ल्यू पिंटो, लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह शहीद हो गए थे। उन्हें मरणोपरांत परम विशिष्ट सेवा मेडल से नवाजा गया था।