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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

नेता जी, आपके परिवार का कोई बच्चा बिना दूध और खाने के तड़पता, तब आप क्या करते

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  • प्रशासन की दी पीड़ा की गठरी उठाए यहां-वहां फिर रहे प्रवासी बोले
  • रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद दो दिन से घर जाने को पीआर-7 के किनारे बारी का इंतजार कर रहे हैं लोग

दैनिक भास्कर

May 17, 2020, 09:15 AM IST

जीरकपुर. (अनूप अंजुमन) पेड़ के तने से पीठ लगाकर सुस्ता रहा विपिन प्रशासन के इंतजामों से बेहद परेशान है। वीरवार दोपहर करीब 12 बजे पभात में किराए का कमरा खाली कर परिवार समेत अपने घर हरदोई के लिए निकला था। सरकार के आदेश के अनुसार कई दिन पहले रजिस्ट्रेशन भी कर दी। दो दिन से यहां पीआर 7 के पास सत्संग भवन के बाहर इंतजार करता रहा। शनिवार सुबह भी हरदोई के लिए यहां से लाेगाें को ले जाया गया। पर विपिन और उसके परिवार के सदस्यों के अलावा सैकड़ों लोगों का नंबर नहीं आया। पुलिस ने वहां से इन लाेगों को भगाया। कुछ के डंडे भी लगे। हालात के मारे बड़े तो परेशान हैं ही, वहीं, बच्चों की आंखों में भी अपने बड़ों को परेशान देखकर चिंता के भाव साफ नजर आ रहे हैं।
सर्वेश ने बताया चाय देने के लिए गिलास पकड़ाए पर उसमें चाय नहीं डाली। इन लोगों के साथ अमानवीय तरीके से व्यवहार हो रहा है। जेब खाली होने के कारण इनके पास खाने के लिए भी कुछ नहीं है। सुबह किसी ने इनको चाय देने के लिए डिस्पोजेबल गिलास पकड़ाए। पूरी पंक्ति के गिलास पकड़ाकर चाय का इंतजार कर रहे थे। पर इसी दौरान कुछ पुलिस कर्मियों ने कहा कि यहां भीड़ मत लगाओ। भागो यहां से कहीं भी जाओ। पुलिस के डंडों से डरकर ये लाेग यहां पीआर 7 के पास एक खाली जमीन में पहंचे।

पेड़ों के नीचे छांव में अपने बच्चों को लेकर बैठे इन लोगों के पास प्रशासन के खिलाफ बोलेने के लिए बहुत कुछ है पर इनमें से एक ने कहा कि मुख्यमंत्री साहब अगर आपके परिवार का कोई बच्चा बिना दूध और खाने के खुले आसमान के नीचे इस तरह तड़पता, जिस तरह हमारे बच्चे तड़प रहे हैं तब आप क्या करते। ढकोली से यहां पहुंचे थानेसर नाम के व्यक्ति ने कहा वीरवार को ही हम यहां आए थे। बच्चे बड़े सभी दो दिन से खुले आसमान के नीचे रह रहे थे। ट्रेन तो मिली नहीं अब यहां से भगा दिया गया है। हम अब फ्लाईओवर के नीचे जा रहे हैं।

क्यों कि वहां मकान मालिक ने कमरा खाली करा दिया। जो पैसा हमारे पास था वह भी किराए को जबरन वसूल लिया। न देने पर मारपीट होने का डर था। हम बीच में लटके हैं। इस सिस्टम से इतनी नफरत हो गई है कि अगर इस सिस्टम का कोई चेहरा होता तो उस चेहरे को कभी न देखता। उन्होंने कहा कि कोई उनकी व्यथा नहीं सुन रहा है। सिर्फ परेशान ही किया जा रहा है। इधर, एसडीएम डेराबस्सी कुलदीप बावा ने कहा कि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के अनुसार सभी को बारी-बार से घर भेजा जा रहा है। यानि की जिसका नंबर लग रहा है, उसको ट्रेन से भेजा जाता है। 

दिहाड़ी नहीं दे रहे ठेकेदार इसलिए पलायन को हैं मजबूर

जीरकपुर में मजदूरी करने वाले लोगाें को अब अपने घराें को जाने की एक होड़ सी लगी है। हालांकि, यहां रोजगार के लिए पर्याप्त व्यवस्था है। लेकिन मजदूरों का कहना है कि वे इसलिए यहां जा रहे हैं कि कई हाउसिंग प्रोजेक्ट में काम करते हुए उनको दिहाड़ी नहीं मिल रही है। कई हाउसिंग प्रोजेक्ट में ठेकेदारी करने वाले ठेकेदार उनकी मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं। एक ओर उनके पास पैसा नहीं है। दूसरी ओर उनके बच्चों के लिए खाना नहीं है। ठेकेदार पैसे नहीं दे रहे हैं। इसलिए वे अपने घरों केा जाने के लिए मजबूर हैं।