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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

लॉकडाउन में शराब दुकान खोलने पर भड़के सीरियल ‘रामायण’ के राम अरुण, दीपिका, सुनील ने भी किया रिएक्ट

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दैनिक भास्कर

May 05, 2020, 08:47 AM IST

मुंबई (अमित कर्ण). शराब बिक्री की इजाजत का असर सोमवार को पूरे देश में देखने को मिला। ऐसी दुकानों पर काफी भीड़ देखी गई, जो कि सोशल डिस्टेंसिंग का उलंघन है। सरकार के इस कदम की एंटरटेनमेंट वर्ल्ड से जुड़े ज्यादातर लोगों ने मुखालफत की है। खासतौर पर रामानंद सागर की ‘रामायण’ के राम, सीता और लक्ष्मण का रोल प्ले करने वाले अरुण गोविल, दीपिका और सुनील लहरी ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया है। कुछ फिल्ममेकर, एक्टर्स ने जरूर रेवेन्यू का हवाला देकर इस कदम पर अपनी ओर से सहमति जताई है।

यह जल्दबाजी में लिया गया फैसला: अरुण गोविल

अरुण गोविल ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा, “यह जल्दबाजी में लिया गया फैसला लगता है। इतनी जरूरी चीज तो नहीं थी कि इसके बगैर काम नहीं चल सकता था। सबसे बड़ा नुकसान सोशल डिस्टेंसिंग के मोर्चे पर हुआ है। सोमवार की सुबह से मेरे घर के पीछे बड़ी लंबी लाइन लगी हुई थी। ऐसी हालत में आगे भी क्या सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो सकेगा? जबकि कोरोना से बचने का सबसे कारगर तरीका सोशल डिस्टेंसिंग को ही माना जा रहा है। तो जब वो ही खराब हो रहा है सरकार के इस कदम से तो फिर कैसे हम कोरोना से जंग जीत जाएंगे”?

अरुण आगे कहते हैं, “मुझे यह नहीं समझ आ रहा है कि इंसान की जिंदगी ज्यादा जरूरी है या रेवेन्यू? वह भी ऐसी चीज से रेवेन्यू जुटाने की कोशिश की जा रही है, जो वैसे भी जिंदगियां बर्बाद करती रही है। कोरोना काल में यह सोशल डिस्टेंसिंग को तोड़ रही है। इससे लोगों की जान खतरे में आएगी। इसे खोल कर कुछ फायदा नहीं होने वाला।”

बकौल अरुण, “खाने की दुकान खोलते तो कम से कम इंसान पेट भर कर खाना तो खा पाता। दारू पी भी ली तो उससे क्या होने वाला है? यह फायदे की चीज नहीं , यह शौक की चीज है। रेवेन्यू के लिए और भी तरीके ढूंढो।जो लोग कहते हैं कि शराब पीने के बाद डोमेस्टिक वायलेंस नहीं होता है, वे पंजाब, हरियाणा की हालत देखने वहां क्यों सालों से नशा मुक्ति केंद्र चल रहे हैं और यह एक राजनीतिक मुद्दा रहा है।”

शराब कैसे प्राथमिकता हो सकती है: दीपिका चिखलिया 

दीपिका चिखलिया कहती हैं, “शराब कैसे प्राथमिकता हो सकती है भला? डोमेस्टिक वायलेंस तो पहले भी था। उसकी और भी वजह थी, लेकिन यह भी सच है कि शराब उस आग में और घी डालती है।”

झे कोई अनुभव नहीं है: सुनील लहरी

सुनील लहरी ने कहा,’ मैं शराब नहीं पीता। न ही मेरे आस-पास के लोग ही ड्रिंक करते हैं। इसका मुझे कोई अनुभव नहीं है। लिहाजा सरकार के इस कदम पर मैं फिलहाल ओपिनियन देने की स्थिति में नहीं हूं।”

सरकार का वर्स्ट डिसीजन: आशीष-मोहन

‘खिलाड़ी 786’ जैसी फिल्म बना चुके आशीष और मोहन कहते हैं, “यह सरकार का सबसे वर्स्ट डिसीजन है। उन्हें कम से कम दो और हफ्तों का इंतजार करना चाहिए था।”

दुकानें खोलने का उद्देश्य राजस्व एकत्र करना: प्रीतिश नंदी

प्रोड्यूसर प्रीतिश नंदी ने सरकार के इस कदम का बचाव किया। उन्होंने कहा, “शराब की दुकानें खोलने का उद्देश्य राजस्व एकत्र करना है। महामारी से लड़ने के लिए राज्यों को धन की आवश्यकता है। यह स्पष्ट पहला कदम था। घरेलू हिंसा पूरी तरह अलग समस्या है और इसके लिए अकेले शराब को दोष देना मूर्खतापूर्ण है। यह महिलाओं के प्रति पुरुष रवैया है, जो गलती पर है और इसे बदलना होगा। आप केवल शराब की बिक्री को रोककर घरेलू हिंसा को नहीं रोक सकते। क्योंकि आप कारों की बिक्री को रोककर सड़क दुर्घटनाओं को रोक नहीं सकते।”