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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

अपने दादा के गांव कभी नहीं आए ऋषि, लेकिन लसाडा के लोगों ने अपने हीरो की हर फिल्म देखी

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  • बंटवारे के समय लाहौर से जालंधर के लसाडा गांव में आकर बसे थे ऋषि कपूर के दादा पृथ्वीराज कपूर
  • गांव के लोगों में अपने हीरो के लिए बेटे, भाई और बड़ों जैसा ही रहा प्यार, चला गया पंजाब का हीरो

दैनिक भास्कर

May 01, 2020, 07:19 AM IST

कपूरथला. (हरपाल रंधावा) फिल्म अभिनेता ऋषि कपूर की मौत का सदमा पूरी दुनिया में हर बच्चे, बजुर्ग और महिला को पहुंचा है। लेकिन पंजाब ने अपना हीरो बेटा खोया है। ऋषि कपूर के परिवार का पंजाब के साथ गहरा रिश्ता है। उनके दादा पृथ्वीराज कपूर भारत पाकिस्तान के बंटवारे के समय पंजाब में 4 साल तक रहे थे। यहां से अभी भी ऋषि कपूर के परिवार की यादें जुड़ी हैं। जालंधर जिले के गांव लसाडा के लोगों ने जैसे ही ऋषि कपूर की मौत की खबर सुनी। हर एक की आंखें नम हो गईं। हर कोई ऋषि कपूर और उनके दादा पृथ्वीराज कपूर को याद कर रो पड़ा। किसी ने कहा-उनका बेटा छोड़ गया तो किसी ने कहा-हमारा हीराे बेटा हमें छोड़ गया।

जिस घर में रहे, वह आज वैसा ही है जैसा बेच गए थे

गांव में भारत सरकार ने 25 एकड़ जमीन अलाट किया था। उनका अपना घर था। अब जमीन तो नहीं रही। लेकिन माल विभाग के रिकार्ड में 10 मरले जमीन में अभी भी पृथ्वीराज कपूर का नाम बोल रहा है। घर किसी को बेच दिया था। मगर उसने घर की ईंट तक को भी बदला नहीं। आज भी घर वैसा ही  है जैसा पृथ्वीराज कपूर ने बनवाया था। ऋषि कपूर यहां कभी नहीं आए, लेकिन लोगों में प्यार एक बेटे, भाई और बड़ों जैसा है।

यहां 4 साल रहे पृथ्वीराज कपूर, आज भी उनके नाम पर दर्ज है 10 मरले जमीन

सरपंच दविंदर सिंह ने कहा कि 1947 में पृथ्वीराज कपूर का नाम लाहौर फिल्म सेंटर में बड़े नाटककारों में आता था। बंटवारा के समय भारत सरकार ने उन्हें यहां जमीन दी थी। पृथ्वीराज कपूर घर बनाया, 4 साल रहे। फिर मुंबई में शिफ्ट हो गए तो जमीन और मकान बेच दिया। लेकिन माल विभाग के रिकार्ड में गलती से 10 मरले जमीन पृथ्वीराज के नाम ही है। घर में रह रहे गुरदियाल के परिवार ने मौत की खबर सुनी तो उनकी आंखें भर आईं। 

गांव ने अपने पुत्र को खोया

गांव के सरपंच दविदर सिंह ने कहा कि ऋषि कपूर गांव का पुत्र था। आज हमने गांव के लाल को खोया है। उनके प्रति हर किसी का अपनापन आज भी लोगों की आंखों में साफ झलक रहा है। ऋषि कपूर पूरे गांव के मनपसंद हीरो भी थे। उनकी ही नहीं पूरे परिवार से किसी की भी नई फिल्म आती है तो पूरा गांव अपनों की तरह देखता है।