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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

पसंद की चीजें और ठीक होने का विश्वास देकर कोरोना मरीजों का तनाव दूर कर रहे डॉक्टर

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  • भास्कर ने जाना कोविड सेंटर में कैसे काम कर रहे डॉक्टर

दैनिक भास्कर

Apr 27, 2020, 07:23 AM IST

चंडीगढ़. (मनोज अपरेजा) कोरोना सबसे बड़ी महामारी है। मरीज का इलाज अलग कमरे में चलता है। रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी उसे 14 दिन तक अलग रखना पड़ता है। पीजीआई के कोविड सेंटर में 80 फीसदी कोरोना पॉजिटिव मरीजों को कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन रिपोर्ट नेगेटिव और क्वारेंटाइन की 14 दिन की अवधि कुछ मरीजों को मानसिक रूप से तोड़ देती है। इन मरीजों की टेंशन कम करने के लिए मनोचिकित्सक की मदद ली जा रही है। पीजीआई के कोविड सेंटर में मरीजों को मानसिक रूप से मजबूत बना रहे साइकैट्रिस्ट डॉ. स्वप्नजीत साहू ने बताया कि ज्यादातर पॉजिटिव मरीज एक ही परिवार से हैं। 

बंद कमरें में रहने से हाेता है तनाव
बंद कमरे में अलग रहने की वजह से इनमें तनाव हो जाता था। चेहरे पर उदासी छाई रहती थी। उन्हें लगने लगता है कि कोरोना इतनी गंभीर बीमारी है कि इससे वे नहीं बचेंगे। डॉक्टर साहू ने बताया कि डॉक्टर्स ने सबसे पहले तो मरीजों को विश्वास दिलाया कि ‘वे जल्द अच्छे होंगे। हारना नहीं है, बल्कि कोरोना को हराना है’।  मरीजों ने बताया कि वे जब अपनों के बीच होते हैं तो अच्छा महसूस करते हैं। इसलिए एक ही परिवार के कई लोग जो पॉजिटिव थे, उन्हें एक बड़े कमरे में दो बेड लगाकर रखा गया। इससे बहुत ज्यादा फर्क पड़ा और उदास रहने वाले मरीज के चेहरे पर खुशी दिखाई दी। 

8 साल की बच्ची को दिया होम वर्क 
डाॅ. साहू ने बताया कि हमारे पास एक महीने से लेकर 8 साल तक की बच्चे कोरोना संक्रमित हैं। 8 साल की बच्ची तीसरी क्लास में पढ़ती है। उसकी दादी भी संक्रमित है। बच्ची मम्मी-पापा से दूर रहकर उदास हो गई। डॉक्टर्स ने उसके सिलेबस के कुछ चैप्टर ऑनलाइन मंगवाए। उसे होमवर्क देना शुरू कर दिया। वह पेंटिंग भी करने लगी। अब बच्ची खुश है। उसे कॉमिक भेजते हैं तो उन्हें देखकर वह स्टोरी भी लिखती है। जैसे ही उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आएगी, उसे छुट्टी दे दी जाएगी। 

घरवाले संक्रमित हो गए, इसी बात का गुस्सा
ज्यादातर मरीजों को इस बात का गुस्सा होता है कि उनके पॉजिटिव होने की वजह से पत्नी, मां या बच्चे भी कोरोना संक्रमित हो गए। 40 साल से कम उम्र के कोरोना पॉजिटिव मरीजों में वायरस लेवल कमजोर होने की वजह से उन्हें ज्यादा दिक्कत नहीं होती। लेकिन उनके माता-पिता कोरोना संक्रमित होते हैं तो परेशान हो जाते हैं। लेकिन उन्हें वीडियो दिखाकर तसल्ली दिलाई जाती है कि उनके घरवाले बिल्कुल ठीक हैं। 

दोस्त की वजह से कोरोना हुआ तो गालियां देता था

डॉ. साहू ने बताया कि एक मरीज कहता है कि उसका एक दोस्त विदेश से आया था। मैं मिलने गया और मुझे भी कोरोना हो गया। अब यह मरीज दोस्त को रोज गालियां देता था। उसे जान से मारने की धमकी भी दे देता था। डॉक्टर साहू ने उसकी काउंसिलिंग की। शौक पूछा तो उसने बताया कि उसे फोटोग्राफी का शौक है। फिर उसे फोटोग्राफ्स के लिंक भेजे। इन लिंक को देखकर वह बिजी रहने लगा। कुछ ही दिन में उसका तनाव कम हो गया।

डॉक्टर और स्टाफ का एक्सपोजर कम हो, इसलिए ऑनलाइन मॉनिटरिंग हो रही 

कोविड-19 सेंटर में सभी आधुनिक सुविधाएं हैं। मरीजों की मॉनिटरिंग ऑनलाइन हो रही है। ग्राउंड फ्लोर पर कोविड कंट्रोल सेंटर बनाया गया है। यहीं से डॉक्टर्स की एक टीम हर मरीज का स्टेटस ऑनलाइन चेक कर लेती है। मरीज का बीपी, ऑक्सीजन और अन्य सभी पैरामीटर ऑनलाइन चेक हो जाते हैं। अगर किसी मरीज में दिक्कत दिखती है तो डॉक्टर या पैरा मेडिकल स्टाफ को भेजा जाता है। कोविड सेंटर के इंचार्ज प्रो. विपिन कोशल बताते हैं कि मरीजों को घर जैसा माहौल देने की कोशिश की जा रही है। सभी स्टाफ मेंबर अपनी-अपनी ड्यूटी पर तैनात हैं।