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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

गोरौल में फंसे है यूपी के उज्जैन के छह प्रवासी कामगार, प्रशासनिक स्तर से नहीं मिली किसी प्रकार की सहायता

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दैनिक भास्कर

Apr 23, 2020, 07:15 AM IST

हाजीपुर. एक ओर जहां केंद्र एवं राज्य सरकार कोरोना वायरस के इस युद्ध में बाहर फंसे प्रवासी कामगारों की हर संभव मदद का भरोसा दे रही है। वहीं, दूसरी इसके पलट हकीकत यह भी है कि गोरौल में यूपी के उज्जैन से आए 6 प्रवासी कामगार लॉकडाउन में फंसकर करीब 20 दिनों से भूख मिटाने के लिए रोटी को तरसने पर मजबूर हैं। यही नहीं लॉकडाउन का पालन के लिए की जा रही प्रशासनिक कार्रवाई के खौफ से ये प्रवासी अपने को एक रुम में कैद कर रखे हैं। फिर भी यहां की प्रशासन प्रवासियों के इस दर्दनाक जिंदगी से बेखबर है। अबतक प्रशासनिक स्तर पर इनकी कोई सुधि नहीं ली गई है और न कोई सहायता प्रदान की गई है। जहां ये प्रवासी डेरा लेकर करीब 5 माह से रह रहे हैं उससे आधा किलोमीटर की दूरी पर प्रखंड मुख्यालय है जिसके नाक के नीचे ये प्रवासी भूखे रहने को विवश हैं। ये प्रवासी यहां आकर गांव में लहठी-चूरी फेरी लगाकर बेचते हैं। अंत में जब ग्रामीण को इन प्रवासियों के इस त्रासदी की जानकारी मिली तो अब ग्रामीण प्रवासियों को क्रमवार खाना दे रहे हैं।

जानकारी के अनुसार करीब 5 माह पूर्व यूपी राज्य के जिला उज्जैन, थाना- तालिग्राम अंतर्गत हाशिनापुर गांव से किसन पाल, सामिष कुमार, दिनेश सिंह, नेमी सिंह, सचिन कुमार एवं राजवीर सिंह फेरी लगाकर लहठी-चूड़ी बेचने यहां आए हैं। प्रखंड मुख्यालय के निकट चकिया गांव निवासी सुनील सिंह से उपरी मंजिल पर एक रुम किराया पर लेकर ये सभी रह रहे हैं। कोरोना लॉकडाउन में फंसे ये प्रवासी घर नहीं लौट सके। कमाई का पैसा जब था तब ये अपना गुजर कर सके थे। अब जेब खाली है तो रोटी के लाले पड़े हैं। भयवश ये प्रवासी उसी एक रुम में अपने को कैद कर रखे हैं। लॉकडाउन का खौफ कहें या परदेशी होने के भय का आलम यह यह कि काफी समझाने एवं विश्वास दिलाने पर ये प्रवासी रूम से निकल इस संवाददाता से बात कर सके या फोटो के लिए राजी हो सके। गांव में मिली जानकार अनुसार ये प्रवासी इनायतनगर पंचायत अंतर्गत 12 नम्बर वार्ड में रहते हैं।

यहां के वार्ड सदस्य नरेश ने कई बार बीडीओ से मिलकर प्रवासियों की समस्या से अवगत कराया। तब भी संज्ञान में नहीं लिया गया। जानकारी अनुसार प्रखंड के मोबाइल पर फोन ग्रामीण करते रहे। लेकिन फोन रिसीव नहीं किया गया। अंत में आपसी सहयोग से इनके रोटी की समस्या दूर की जा रही है। इस संबंध में बीडीओ के सरकारी नम्बर से जब यह संवाददाता इस संबंध में जानकारी लेना चाहा तो मोबाइल एक सहायक ने रिसीव किया। बीडीओ से बात कराने की बात पर कहा कि साहब आते हैं तो बोलेंगे। फिर भी बीडीओ से बात नहीं कराई गई।

23 गावों के कुल 48675 लोगों के स्वास्थ्य जांच का काम शुरू
वैशाली| वैशाली के चिह्नित किए गए 23 गांव के 8 हजार 850 घरों में रहने वाले 48 हजार 6 सौ 75 लोगों में करोना वायरस के संक्रमण की प्रारंभिक जांच करने का काम शुरू हो गया है। वैशाली पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. ललन कुमार राय ने बताया कि इस कार्य में 9 पर्यवेक्षक के देख-रेख में कुल 23 टीम कार्य कर रही है। इस कार्य में आंगनबाड़ी सेविका एवं आशा कार्यकर्ताओं को भी लगाया गया है। उन्होंने बताया कि अबतक प्रखंड क्षेत्र के 8666 घरों में रहने वाले कुल 45 हजार 306 लोगों की जांच की जा चुकी है। इनमें से कुल 10 लोगों को जांच के लिए हाजीपुर सदर अस्पताल भेजा गया है। जहां प्रथम जांच के बाद पांच लोगों की जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उन्हें घर भेज दिया गया है। वहीं, तीन लोगों का जांच रिपोर्ट नहीं मिलने के कारण उन्हें हाजीपुर में ही रखा गया है। बताया कि जांच के लिए भेजे गए लोगों के परिवार के सदस्यों की 24, 25 एवं 26 अप्रैल को दुबारा जांच होगी।