- कोरोना के चलते जलियांवाला बाग 15 जून तक बंद, पहली बार नहीं मनेगी बैसाखी
दैनिक भास्कर
Apr 13, 2020, 05:00 AM IST
अमृतसर. 13 अप्रैल 1919 का दिन और जलियांवाला बाग। यह वह ऐतिहासिक दिन है, जिसने देश की आजादी की आधारशिला रखी। उसी दिन का शताब्दी वर्ष चल रहा है और उसी के संदर्भ में बाग के संरक्षण का काम भी शुरू किया गया था, जो कोरोना वायरस संक्रमण के चलते रुका हुआ है। और तो और कोरोना जैसी महामारी के चलते इस बार बाग में उन शहीदों को श्रद्धा के दो फूल भी नहीं मयस्सर होंगे, जिनकी कुर्बानी और शहादत से हमें आजादी मिली। इसबार बैसाखी नहीं मनाई जा रही है। साल 2019 में जलियांवाला बाग की घटना के 100 साल पूरे हुए थे इस उपलक्ष्य में 2020 में केंद्र सरकार ने शताब्दी वर्ष को राष्ट्रीय स्तर पर मनाने का संकल्प लिया था। इसी के चलते बाग का सौंदर्यीकरण और विस्तारीकरण भी किया जा रहा था और काम को पूरा करने के लिए 13 अप्रैल तक बाग को बंद कर दिया गया था।
लेकिन कोरोना के चलते 15 जून तक के लिए बंद कर दिया गया है इस कारण बैसाखी नहीं मनाई जा रही है। जलियांवाला बाग शहीद परिवार समिति के प्रधान महेश बहल और फ्रीडम फाइटर फाउंडेशन के प्रधान सुनील कपूर कहना ने कहा कि इस बार घर में ही पूरा परिवार शहीद को याद करेगा। अंतत: हालात के मद्देनजर बस इतना ही करना है-वक्त बेरहम कितना, इंसां की बेबसी कितनी, उन्हें न दो फूल मयस्सर, जिन्होंने सांस वारी है…।
सीएम की अपील : अपने घरों में ही रह कर मनाएं बैसाखी
चंडीगढ़| सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने टिवटर पर लाइव होकर कोरोना से निपटने के लिए लोगों से सहयोग मांगा। उन्होंने कहा कि सोशल डिस्टेंस को अपनाना होगा और डॉक्टरों की बात माननी होगी। कैप्टन ने अपील की बैसाखी के दिन सभी लोग सुबह 11 बजे अपने घरों में रह कर सूबे और पंजाबियों के लिए अरदास करेंगे। बैसाखी की पूर्व संध्या पर पंजाब के लोगों के नाम एक संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोनावायरस की महामारी के मद्देनजर इस बार की बैसाखी पहले की अपेक्षा अलग है, जिस कारण लोग विशाल भीड़ के रूप में रिवायती जोश से इस त्योहार को मनाने के लिए बाहर नहीं निकल सकते।
उन्होंने कहा कि इस कठिन समय में सभी का अपने घरों में रहना बहुत जरूरी है और यह भी जरूरी है कि बैसाखी के पवित्र दिवस को राज्य से कोविड -19 के मुकम्मल खात्मे के लिए अरदास करके मनाया जाए।