दैनिक भास्कर
Mar 18, 2020, 06:48 PM IST
बॉलीवुड डेस्क. डिजाइनर मनीष मल्होत्रा को फिल्मों में कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग और फैशन इंडस्ट्री में काम करते हुए 30 साल हो गए हैं। इस मौके पर उन्होंने खास तौर पर दैनिक भास्कर के पाठकों के लिए अपने अनुभव लिखे। गौरतलब है कि हजार से ज्यादा फिल्मों में कॉस्ट्यूम डिजाइन कर चुके मनीष फैशन को लेकर अपनी स्पेशल समझ के कारण हमेशा ही बॉलीवुड एक्ट्रेस के खास दोस्त रहे हैं।
मनीष के सफर की कहानी, उन्हीं की जुबानी
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फिल्म फैशन इंडस्ट्री में काम करते मुझे 30 साल हो गए हैं और जब मैं अपने इस सफर में पीछे मुड़कर देखता हूं तो दुनिया की हर चीज को थैंक्स कहने का मन करता है। मेरा मानना है कि अपने क्राफ्ट और सिग्नेचर स्टाइल के प्रति सच्चाई और ईमानदारी से डटे रहें तो लोग लम्बे समय तक आपसे जुड़े रहते ही हैं। 90 के दशक में जब मैंने ‘स्वर्ग’ फिल्म से अपने करियर की शुरुआत की तो मुझे मेरी प्रगतिशील सोच और कैरेक्टर्स में रियलिटी लाने की खूबी के कारण खुले दिल से स्वीकार किया गया। इससे पहले 80 का दशक ओवर ड्रामेटिक चीजों से भरा हुआ था, उसे चेंज कर मैंने मिनिमल और रिलेटेबल स्टाइल अपनाई और इसी ने सभी का ध्यान आकर्षित किया।
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इसी बदलाव का एक किस्सा सुनाता हूं। मैं श्रीदेवी अभिनीत ‘गुमराह’ की ड्रेसेज और स्टाइल पर काम कर रहा था। उस समय तक एक्टर-एक्ट्रेसेस के लिए फैशन के नियम बहुत कठोर थे। यदि हीरोइन ने इंडियन कपड़े पहने हैं तो उसके बाल लंबे होंगे और यदि वेस्टर्न वियर पहना है तो उसके बाल छोटे होंगे। मुझे यह सब अनरियल लगा कि बिल्कुल अगले ही सीन में किसी के बाल अचानक कैसे बढ़ सकते हैं और कैसे कम हो सकते हैं। मैंने साफ सलाह दी कि श्रीदेवी पर विग का उपयोग करने की बजाय उनका हेयरकट करवाया जाए। यह मेरा बड़ा कदम था। चूंकि मेरा यह सुझाव फिल्म में ज्यादा वास्तविकता लाने के लिए था, तो उसे काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली। इसी ने मेरी मजबूत पहचान स्थापित कर दी।
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मेरे इस सफर के तीस वर्षों में सिनेमा काफी बदल गया है। अब फिल्मों में फोकस रियल लाइफ ओर किरदारों की वास्तविकता पर ही केंद्रित होता है। जब पात्रों की उम्र बदलती है तो उनकी वेशभूषा भी बदल दी जाती है। मैं उस दौर से आता हूं, जब कॉस्ट्यूम्स को एक अतिरिक्त खर्च के रूप में लिया जाता है। खर्च बढ़ने पर इसमें ही कटौती कर दी जाती थी।
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आज की फिल्मों के बजट में कॉस्ट्यूम के खर्च ने अपनी जगह बहुत ही महत्वपूर्ण बना ली है। मैंने वह दौर भी देखा है जब अभिनेता एक साथ चार फिल्मों की शूटिंग कर रहा होता था, लेकिन आज हर अभिनेता स्क्रिप्ट की डिमांड को पूरा करने के लिए अपनी बॉडी पर भी काम करता है। इसके कारण वह एक साथ कई फिल्मों पर काम नहीं करते हैं। यह सब फिल्मों में रियलिटी का ही समावेश है। अब अपने लुक्स के लिए एक्टर्स अपनी कॉस्ट्यूम्स पर भी बहुत ज्यादा ध्यान देते हैं। किसी सीन में वे क्या पहन रहे हैं, इसमें वे बहुत इंट्रेस्ट लेते हैं।
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किसी भी फिल्म को हां कहने से पहले मैं स्क्रिप्ट, कैरेक्टर्स और स्क्रीनप्ले को जरूर प्रमुखता देता हूं। कई बार मैं डायरेक्टर का नाम भी टटोलता हूं, क्योंकि जिस निर्देशक के साथ आपने पहले भी काम किया तो वह आपके एस्थेटिक्स को जानता है, तो उसके साथ काम आसान हो जाता है। इसके अलावा मैं चैलेंजिंग कैरेक्टर्स की तलाश में रहता हूं जिन पर काम करने के बाद आपके हुनर में एक नया एंगल जुड़ जाता है।
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यह साल बहुत इंपोर्टेंट
साल 2020 फिल्मों के लिए एक बहुत इंपोर्टेंट साल है। इस साल मैं करन जौहर के मेगा प्रोजेक्ट ‘तख्त’ पर काम कर रहा हूं। इस पीरियड फिल्म में सात प्रमुख पात्र हैं-अनिल कपूर, रणवीर सिंह, विकी कौशल, करीना कपूर, आलिया भट्ट, भूमि पेडणेकर और जान्हवी कपूर। मैं इन सभी के लिए कॉस्ट्यूम डिजाइन कर रहा हूं। इस तरह की बड़ी ऐतिहासिक फिल्म के लिए कॉस्टयूम डिजाइनिंग का काम संभालना अपने आप में बहुत चैलेंजिंग हेाता है।इसी फिल्म पर काम करने के दौरान मेरे एक सेलिब्रिटी दोस्त ने कहा कि मनीष तुम्हें इतना तनावग्रस्त मैंने कभी नहीं देखा।
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मैंने उसकी बात पर गौर किया तो जाना कि वह सही कह रहा था। लेकिन मैं जानता हूं कि यह चुनौती ही मेरे प्रोफेशन की ब्यूटी है। ‘तख्त’ के अलावा मैंने अक्षय कुमार और कैटरीना कैफ अभिनीत ‘सूर्यवंशी’ की कॉस्ट्यूम्स भी डिजाइन किए हैं। मैं ‘कुली नं. 1’ और ‘अतरंगी रे’ में भी ड्रेसेज डिजाइन कर रहा हूं।
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कुछ ऐसा है मेरा रोल
बॉलीवुड सितारे बहुत कॉन्फिडेंट हैं और अपनी स्टाइल से भी वे बहुत अच्छी तरह वाकिफ हैं। वे जानते हैं कि वे क्या पहनना चाहते हैं और क्या नहीं। ऐसी स्थिति में मेरे जैसे एक डिजाइनर का काम उन्हें मेरी खुद की स्टाइल ओढ़ने के लिए जबरन मजबूर करना नहीं है। इसके बजाय, उनकी खुद की पसंद और पर्सनैलिटी के अनुसार पहनावे के लिए उन्हें तैयार करना है।
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आज का ट्रेंड
आज के युग में ट्रेंड-लैस होना ही सबसे बड़ा ट्रेंड है। मैंने अपनी इस सोच को ही फिल्मों में उतारा है। वर्तमान का सबसे अच्छा फैशन हो सकता है, इंडिविजुल फैशन। इसी ट्रेंड का पालन करते हुए कोई सेलिब्रिटी एक दिन टेम्पल साड़ी पहने दिखती है तो दूसरे दिन उसे खादी की वेशभूषा और किसी अन्य दिन एक शानदार वेस्टर्न गाउन पहने देखा जा सकता है।
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जिंदगी का उसूल रीइंवेंशन
इस समय हर इंडस्ट्री कोरोना की मार झेल रही है। फैशन इंडस्ट्री भी इससे अलग नहीं है। मैंने कल ही कहीं रीइवेंशन से जुड़ा एक विचार पढ़ा और इसका पूरी तरह से पालन कर रहा हूं। उसमें लिखा था – ‘इस कठिन समय का उपयोग खुद को और अपने ब्रांड को रीइंवेंट करने में करो। कभी भी इनोवेशन बंद न करें, क्योंकि यही आपके अवसरों के आप तक आने का रास्ता है।
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सबसे बड़ा फैशन फंडा
मैं हमेशा अपनी टीम को बताता रहता हूं कि हमें ‘बाहरी’ तौर पर अच्छा दिखने की तुलना में ‘आंतरिक’ अच्छा दिखना चाहिए।
(जैसा उमेश उपाध्याय को बताया।)