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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

कैप्टन बोले- अकाली-भाजपा सरकार से विरासत में मिला खाली खजाना, इसलिए कई योजनाएं प्रभावित हुईं

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  • मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने बताया- पिछले 3 साल में किन-किन चुनौतियों का सामना किया
  • पंजाब में कांग्रेस की सरकार ने पूरे किए 3 साल, कैप्टन से दैनिक भास्कर की खास बातचीत

दैनिक भास्कर

Mar 16, 2020, 09:16 AM IST

अमृतसर. जो लक्ष्य लेकर कांग्रेस सत्ता में आई थी, वह अभी पूरा नहीं हुआ है। अभी कई काम करने बाकी हैं। अगले 2 साल में हम उस लक्ष्य को पूरा करेंगे। 2022 विस चुनाव की बात है तो मैं जरूर लड़ूंगा और जीतेंगे। सरकार के 3 साल के मौके पर भास्कर के सुखबीर बाजवा ने सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह से बातचीत की।

प्रश्न: 3 सालों में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा। अगले 2 साल में क्या चुनौतियां हैं।
कैप्टन- पंजाब का आर्थिक संकट से उभरना बड़ी चुनौती थी। फाइनेंशियल क्राइसिस हमें अकाली-भाजपा सरकार से विरासत में मिला। जिससे काम प्रभावित हुए। अब सब ट्रैक पर है। अर्थव्यवस्था बढ़ रही है। हमारी नीतियों ने निवेश व उद्योग को पंजाब में वापसी में मदद की है। अगले 2 साल में इसे और मजबूत करेंगे। कृषि संकट से बाहर निकालने व युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने को सूबे में उद्योग स्थापित करने की आवश्यकता है। इसे जल्द पूरा करेंगे।

प्रश्न: मेनिफैस्टो के ज्यादातर वादे पूरे नहीं, 2 साल में कैसे करेंगे?
कैप्टन- पंजाब के लिए कांग्रेस के घोषणापत्र में कुल 424 वादे थे। 225 को पूरा कर दिया है। 96 वादे आंशिक रूप से निपटाए जा चुके हैं और उन पर काम कर रहे हैं। केवल 103 वादे बचे हैं। इन्हें कार्यकाल पूरा करने से बहुत पहले पूरा कर लेंगे। सोमवार को मैं अपने अगले 2 सालों की रणनीति का पूरा खुलासा करूंगा। 

प्रश्न: ड्रग्स, माफिया खत्म करने का वादा किया था, अभी तक खत्म नहीं हुआ ? 
कैप्टन- मैं सहमत नहीं हूं। 3 साल पहले कहा था कि मैं ड्रग माफिया की कमर तोड़ दूंगा, ऐसा कर चुका हूं। माफिया से जुड़ी बड़ी मछलियां या तो खत्म हो गई हैं, या राज्य छोड़कर भाग गई हैं। अब आसानी से ड्रग्स नहीं मिलती। इससे पता चलता है कि अब ड्रग माफिया राज्य को नियंत्रित नहीं करते हैं, जैसा  पहले करते थे। जो समस्या है, वह राष्ट्रीय स्तर की है। बॉर्डर पार पाक से आईएसआई आतंकी यहां नशीले पदार्थ भेज रहे हैं। मैंने पीएम से भी ‘नेशनल ड्रग पॉलिसी’ बनाने का आग्रह किया है।

प्रश्न: लोगों का मानना है कि जैसा 2002 में कैप्टन में जोश दिखाई देता था वैसा आज नजर नहीं आता?
कैप्टन- ये सभी मीडिया की धारणाएं हैं। मैं आज वैसा ही हूं, जैसा 18 साल पहले था। यह उस जोश में देखा जा सकता है कि मेरी सरकार ने अपराधियों, गैंगस्टरों, आतंकियों, ड्रग तस्करों आदि पर नकेल कसी है। मैंने काम सौंपने के महत्व को सीखा है।

प्रश्न: अकाली दल को लेकर विजन 2022 पर आप क्या मानते हैं?
कैप्टन- सूबे में अकाली मनी पावर पर लड़ते हैं। सुखबीर बादल मजबूत नेतृत्व देने में नाकाम रहे। 2017 के चुनाव में हार के बाद पार्टी को मजबूत नेतृत्व की जरूरत थी। पार्टी के भीतर विभाजन है और विचारधारा का अभाव है। आने वाले महीनों में यह और तेज होगा। सच कहंू तो, मैं अकाली दल के लिए कोई भविष्य नहीं देख रहा हंू, कम से कम निकट समय में तो बिल्कुल भी नहीं।

प्रश्न:​​​​​​​ आपके विधायक और वर्कर्स सरकार पर अफसरशाही हावी होने का आरोप लगाते हैं?
कैप्टन- पॉलिटििशयन और ब्यूरोक्रेसी के बीच टकराव पुराना है। मैंने अधिकारियों को विधायकों और कार्यकर्ताओं को उचित सम्मान देने के निर्देश दिए हैं, फिर वह चाहे किसी भी पार्टी के हों। विधायक लोगों और सरकार के बीच का कड़ी का काम करते हैं। मैं किसी भी अधिकारी को जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों की अनदेखी या उनका किसी भी तरह से अपमान  करने की इजाजत नहीं दे सकता।

प्रश्न:​​​​​​​ क्या आपका मंत्रिमंडल विस्तार करने का कोई विचार है। अगर हां तो यह कब तक होगा?
कैप्टन- फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। जब भी हम मंत्रिमंडल का विस्तार करने का निर्णय लेंगे, तो अापको पता चल जाएगा।
 

प्रश्न:​​​​​​​ पिछली सरकार के बिजली समझौतों को लेकर आप कब तक इस पर फैसला लेंगे?
कैप्टन- सरकार निजी बिजली कंपनियों के साथ पीपीए में पिछली सरकार द्वारा की गई धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार को उजागर करने पर काम कर रही है। कोई भी निर्णय लोगों के हितों को देखकर ही लिया जाएगा। पीपीए को रद्द कर दिया जाना चाहिए या फिर से जोड़ा जाना चाहिए, यह तथ्यों की जांच पर निर्भर करेगा। ये साफ है कि सरकार ये सुनिश्चित करेगी कि लोगों को किसी भी तरह से नुकसान न हो।

प्रश्न:​​​​​​​ 2022 चुनाव में आप पार्टी को चुनौती मानते हैं? 
कैप्टन- आप पार्टी पंजाब में कभी भी नहीं थी। राज्य में उनका न कोई नेतृत्व है न एजेंडा। सच कहूं तो वह पंजाब में एक मजबूत विपक्ष बनने में भी विफल रहे हैं। इसलिए वो हमारे लिए चुनाव में चुनौती कहां है? जहां दिल्ली का सवाल है, वहां अन्य पार्टी के मजबूत दावेदार की अनुपस्थिति थी, जिसने केजरीवाल को दूसरे कार्यकाल के लिए सत्ता में आने में मदद की।