- रोड़ी पीएचसी के एक गांव की महिला के गर्भ में पल रहे दाे बच्चाें में रेयर कॉन ज्वाइन ट्विंस केस सामने आया
- स्त्री रोग विशेषज्ञ का कहना है कि यह केस रेयर है, करीब 2 लाख में से एक ही मामला ऐसा होता है
Dainik Bhaskar
Feb 26, 2020, 09:19 AM IST
पूर्ण धनेरवा (सिरसा). रोड़ी पीएचसी के तहत आने वाले एक गांव की एक महिला के गर्भ में पल रहे दाे बच्चाें में रेयर कॉन ज्वाइन ट्विंस केस सामने आया है। इसमें करीब 5 माह के गर्भ के दाे बच्चाें के सिर और दिल दाे-दाे हैं, लेकिन पेट और लीवर एक हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की एएनएम समेत स्टाफ ट्रैकिंग सिस्टम होने के बावजूद मामला विभाग केे संज्ञान में नहीं है। स्त्री रोग विशेषज्ञ का कहना है कि यह केस रेयर है। करीब दो लाख में से एक ही मामला ऐसा होता है।
अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट से चला पता
गर्भवती का परिवार द्वारा करवाए गए निजी अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में रेयर केस का पता चला है। अल्ट्रासाउंड के दौरान पता चला कि महिला के पेट में पल रहे दो बच्चों का सिर व गर्दन अलग-अलग विकसित हैं और दिल भी दो हैं, लेकिन उनका पेट व लीवर एक ही हैं। रोड़ी पीएचसी क्षेत्र के गांव निवासी महिला के गर्भ में रेयर कॉन ज्वाइन ट्विंस केस में स्वास्थ्य विभाग की जांच एवं रिपोर्ट के बाद गर्भ को डिलीवरी कराए जाने और क्रिटिकल स्थिति का पूर्वाभास होने पर स्वास्थ्य उच्चाधिकारियों की अनुमति के बाद ही टर्मिनेट किया जा सकता है।
रेयर कॉन ज्वाइन ट्विंस केस सामने आने के बाद परिवार के लिए चिंताजनक स्थिति बनी है। अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट के बाद परिवारजनों ने बताया कि करीब 5 माह का गर्भ बताया गया है। हमें अल्ट्रासाउंड के बाद स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेकर आगामी चिकित्सा प्रक्रिया की एडवाइज दी गई है, जिससे अब विशेषज्ञ डॉक्टरों से मशविरा करते हुए आगामी निर्णय लिया जाएगा। सीएमओ डा. सुरेंद्र नैन ने बताया कि सभी गर्भवती का पता होना कोई हमारी टीम के लिए जरूरी नहीं है। ये कोई इमरजेंसी केस नहीं है। वहीं, रोड़ी पीएचसी की एएनएम ऊषा रानी ने बताया कि हमारे एरिया में सरकारी अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं है।
जीवन योग्य न हो तो टर्मिनेट कर देते हैं
महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रचना अग्रवाल ने बताया कि रेयर कॉन ज्वाइन ट्विंस केस की पूर्ण जांच के बाद रिपाेर्ट की जाएगी कि बच्चे के जन्म उपरांत अलग होने का इलाज संभव होगा तो पूरा टाइम होने तक इंतजार किया जाता है। डिलीवरी के बाद निओनेटल सर्जरी की सुविधाएं भी हैं, लेकिन जीवन योग्य केस नहीं होता है तो उसे पूरी जांच व रिपोेर्ट के बाद टर्मिनेट किया जाता है। इसके लिए नया संशोधन आया है, जिसके तहत 20 सप्ताह से अधिक के केस में भी डिसीजन लिया जा सकता है।
ये हैं रेयर कॉन ज्वाइन ट्विंस केस
- स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार एक दूसरे से जुड़े जुड़वा बच्चों को कॉन ज्वाइन ट्विंस केस कहते हैं। करीब दो लाख प्रेग्नेंसी पर एक बच्चा ऐसा होता है।
- यह प्रेग्नेंसी के शुरुआती समय में गर्भवती का एक एग फर्टिलाइजेशन के बाद दो भाग में बंट जाने पर एक एग पूरी तरह से दो भाग में नहीं बंट पाता, जिससे ऐसे कॉन ज्वाइन केस सामने आते हैं। इनमें जुड़वा बच्चों का शरीर एक दूसरे से जुड़ा रहता है।
- कुछ चुनिंदा केस में महिला के गर्भ में दो अलग-अलग फर्टिलाइज्ड एग जुड़ जाते हैं और वे एक-दूसरे से जुड़े हुए पैदा होते हैं।
- ज्यादातर गड़बड़ियां गर्भधारण के पहली तिमाही के दौरान उत्पन्न होती हैं।
- चिकित्सकीय भाषा में एक धड़ पर दो सिर वाले बच्चों को डिस्पेल पैरापैगस कहा जाता है। इनमें छाती के नीचे का हिस्सा तो एक होता है, लेकिन उसके ऊपर दो सिर बन जाते हैं।
- ऐसे मामलों में सर्वाइवल रेट 5 से 25 प्रतिशत होती है।