- हर ब्लाॅक के पांच गांवों से मिट्टी के नमूने लेगा कृषि विभाग
- प्रदेशभर में करीब 82.74 लाख सॉयल हेल्थ कार्ड बनाए गए
Dainik Bhaskar
Feb 23, 2020, 08:11 AM IST
चंडीगढ़ (सुशील भार्गव). हरियाणा की मिट्टी फसलों के लिए कितनी कारगर है, मिट्टी का भविष्य क्या है? किस तरह के तत्वों की मिट्टी में कमियां हो रही हैं, कहां स्थिति गंभीर है, कहां संतोषजनक है। अब मिट्टी में किस तरह की फसल उगाई जाए। ऐसे सवालों का जवाब कृषि विभाग अब खुद तैयार करेगा। दरअसल कृषि विभाग ने प्रदेशभर में करीब 82.74 लाख सॉयल हेल्थ कार्ड बनाए हैं। जमीन में काफी कमियां नजर आई हैं। अब एक पॉयलेट प्रोजेक्ट शुरू होगा। आरंभ में 154 ब्लॉक के 770 गांवों को इसमें शामिल किया जाएगा।
हर गांव के हर किसान के खेत की मिट्टी का अलग से कार्ड तैयार होगा। किस खेत में किस तरह के तत्वों की कमी है, यहां कौन सी फसल उगाई जा सकती है। यह चार्ट तैयार कर किसानों को खेत में ही बताएंगे। यही नहीं उसी खेत में डैमों के तौर पर कृषि विभाग ही फसल पैदा कराएगा, ताकि दूसरे गांवों के किसान भी जैसी जमीन, वैसी फसलों की बुवाई कर सकें।
कृषि विभाग के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. अनिल राणा ने बताया कि हरियाणा में नाइट्रोजन 91 फीसदी, फास्फोरस 80, पोटाश 10 फीसदी, जिंक 19 फीसदी, आयरन की 32 फीसदी कमी है, जबकि मैगनीज आठ फीसदी कम हो गया है। अब हर ब्लॉक के पांच गांवों के हर किसान के खेत की मिट्टी की जांच होगी। खेत में ही जाकर किसान को बताया जाएगा कि वे कौन सी फसल उगाएं।
यूरिया पर जोर, देसी खाद भूले
हमारी मिट्टी नदियों द्वारा बनाई गई है। सतलुज, घग्गर या यमुना के रास्ते चट्टान कटकर रॉ मेटेरियल आया है। हमारी जमीन में आर्गेनिक कम है। यमुनानगर व अम्बाला व मोरनी हिल्स की जमीन को छोड़कर काफी जमीन लो है। आर्गेनिक मैटर बढ़ाने के लिए हमे गोबर की खाद डालनी होगी। अब पशु भी कम हो गए हैं। साल में हम तीन-तीन फसल लेने लगे हैं। खेत खाली नहीं छोड़ रहे, ग्रीन मेनोरिंग नहीं कर रहे, पहले ढैंचा आदि बो लेते थे। मटर, दाल, चना आदि बहुत कम हो गया है। आज हम आंख बंद कर यूरिया के रुप में डायरेक्ट इंजेक्शन फसल को दे रहे हैं। इससे वेजेटेटिव ग्रोथ बढ़ती है, इससे पैदावार नहीं बढ़ती। जितना कैल्शियम होगा, उतना ही साउंड ग्रेन होगा।
अब जमीन में आयरन की 32% कमी
हरियाणा की जमीन में न केवल माइक्रो न्यूट्रेंट की कमी आ रही है, बल्कि फास्फोरस, पोटाश और नाइट्रोजन की कमी भी हो रही है। यूरिया से उत्पादन नहीं बढ़ा सकते। अब जमीन में नाइट्रोजन 91 फीसदी, फास्फोरस 80, पोटाश 10 फीसदी कम है। जिंक 19 फीसदी, आयरन की 32 फीसदी कमी है, जबकि मैगनीज आठ फीसदी कम हो गया है।
सॉयल हेल्थ कार्ड का प्रयोग करने लगे किसान
यदि 20 क्विंटल पराली हम गोबर के नीचे दबा लेंगे तो पांच क्विंटल खाद तैयार होगी। नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश की कमी पूर्ति के लिए किसान सजग हुए हैं। जब से किसानों ने सॉयल हेल्थ कार्ड प्रयोग करने लगे हैं। पहले हमें जमीन में 155 टन नाइट्रोजन की कमी थी, अब यह घटकर 142 टन आ गई है। किसान पहले की तरह जमीन में यह तत्व बढ़ाने लगे हैं। नाइट्रोजन, पोटाश, फास्फोरस की पहले अधिक क्षेत्र में कमी थी।