- कोलकाता स्थित केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के रीजनल दफ्तर में सीएए से संबंधित 4 फिल्में सर्टिफिकेट के लिए अटकीं
- दिसंबर में प्रमाण पत्र के लिए अप्लाई किया, अब तक सीबीएफसी ने 5 संशोधनों के निर्देश दिए थे
Dainik Bhaskar
Feb 13, 2020, 09:07 PM IST
कोलकाता. सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर बने एक विज्ञापन को लेकर निर्देश जारी किए। बोर्ड ने कहा कि अगर विज्ञापन फिल्म के लिए यू सर्टिफकेट चाहिए तो इसमें से बांग्लादेश शब्द को या तो हटा दिया जाए, या फिर बदल दिया जाए। सीबीएफसी के क्षेत्रीय कार्यालय में सीएए से जुड़ी 4 फिल्में सर्टिफिकेट के लिए अटकी हैं। इस दौरान बोर्ड ने 5 संशोधनों के निर्देश दिए थे। इसके अलावा एक डिस्क्लेमर देने को भी कहा है।
ये विज्ञापन संघमित्रा चौधरी द्वारा प्रोड्यूस और डायरेक्ट किए गए हैं। इन्हें 27 दिसंबर को सर्टिफिकेशन के लिए भेजा गया था। बोर्ड से जुड़े सूत्र के मुताबिक, सभी बदलाव केवल दिशा-निर्देशों के आधार पर सुझाए गए हैं।
सभी पहलुओं पर विचार के बाद ही काटछांट के सुझाव- सीबीएफसी
बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी पार्थ घोष ने कहा- “यह सुझाव दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए दिए गए हैं। इससे यह निश्चित होगा कि विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध तनावपूर्ण न हो जाएं। किसी भी कानून पर विज्ञापनों को प्रमाणित करने के लिए सावधानी की आवश्यकता है। सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद ही काटछांट के सुझाव दिए गए हैं।’
सीएए को लेकर डर को दूर करने के लिए बनाए विज्ञापन- संघमित्रा
डायरेक्टर संघमित्रा का कहना है कि ये विज्ञापन सीएए को लेकर लोगों के मन में उत्पन्न हुए डर को दूर करने के लिए बनाए गए थे। उन्होंने कहा कि मुझे इस विज्ञापन से बंगाली भाषा हटाने के लिए नहीं कहा गया है इसलिए यह समझ नहीं आ रहा है कि बांग्लादेश शब्द को हटाने या बदलने से किसी भी उद्देश्य की पूर्ति हो सकती है या नहीं।
सीबीएफसी ने क्या निर्देश दिए हैं?
- सीएए को लेकर बने जिस विज्ञापन में सीबीएफसी ने सुधार का निर्देश दिया है। उसमें दिखाया गया है कि चर्चा के दौरान एक महिला दूसरी से पूछती है- सलमा, हर कोई कह रहा है कि हमें वापस बांग्लादेश जाना होगा। कोई सीएए नाम की चीज लागू हो गई है।
- एक अन्य सुझाव में कहा गया है कि पहली ऐड फिल्म में हिंदू शब्द को सीएए के चलते संशोधित किया जाना चाहिए।
- एक अन्य ऐड फिल्म में संवाद है,” सीएए पास हो गया है, इसलिए हम देश के नागरिक हैं।’ सीबीएफसी ने डायरेक्टर को निर्देश दिए कि इस संवाद को बदलें। इसमें कहा जाए- सीएए ने हम सभी की मदद की। हम सभी भारतीय नागरिक हैं।
- सीबीएफसी ने संघमित्रा को निर्देश दिए थे कि हर फिल्म की शुरुआत और अंत में डिस्क्लेमर भी दिए जाएं। इनमें नए कानून में से एक-एक लाइन भी ली जाए।
निर्देशक अब बदलाव करने से पहले अपनी टीम से परामर्श करने की प्रतीक्षा कर रही हैं। संघमित्रा ने कहा, “ये सामयिक विज्ञापन थे और कानून पारित होने के तुरंत बाद प्रसारित किए गए थे। मैं इस बात से परेशान हूं कि सीबीएफसी ने बदलावों की जांच करने और सुझाव देने में काफी समय लिया है।”