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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

दोनों आंखों से देख नहीं सकती दिव्या, नॉर्मल एथलीट्स को हराकर जीता गोल्ड

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  • पीयू कैंपस के एनुअल स्पोर्ट्स फेस्ट में 500 से ज्यादा एथलीट्स ने लिया हिस्सा
  • 100 मीटर में भी दौड़ीं दिव्या, सिल्वर मेडल जीता, रमनदीप कौर को गोल्ड

Dainik Bhaskar

Feb 12, 2020, 08:06 AM IST

चंडीगढ़ (गौरव मारवाह). पीयू कैंपस के एनुअल स्पोर्ट्स फेस्ट में 500 से ज्यादा एथलीट्स ने हिस्सा लिया। पीयू ग्राउंड में जिस एथलीट की जीत ने सबसे ज्यादा तालियां बटोरी, वे थीं दिव्या। दिव्या दोनों आंखों से देख नहीं पाती, लेकिन रेस में उनका मुकाबला कोई नहीं कर पाया। 200 मीटर स्प्रिंट में उन्होंने अपने पार्टनर के साथ हिस्सा लिया और नॉर्मल एथलीट्स को पछाड़कर गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद वे 100 मीटर में भी दौड़ीं और यहां भी सिल्वर मेडल जीता। एथलीट रमनदीप कौर ने 100 मीटर स्प्रिंट का गोल्ड मेडल जीता। पंचकूला सेक्टर-20 की रहने वाली दिव्या इससे पहले इंस्टीट्यूट ऑफ ब्लाइंड-26 की स्टूडेंट रही हैं। 

पहले सिर्फ रात में नहीं दिखता था, अब दिन में भी नहीं 
नहीं दिखता…बीए-बीएड इंटिग्रेटेड कोर्स सेकंड ईयर की स्टूडेंट दिव्या बचपन से ब्लाइंड नहीं थी। उन्हें सिर्फ रात को नहीं दिखता था। 9वीं क्लास तक की पढ़ाई उन्होंने नॉर्मल स्कूल से की। लेकिन 14 साल की उम्र में उन्हें दिन भी दिखाई देना बंद हो गया। निराश होने के बाद वे ब्लाइंड इंस्टीट्यूट में पढ़ने आईं। यहां कोच राकेश और आरती ने उन्हें मोटिवेट करते हुए स्पोर्ट्स में लाने का फैसला किया।

दिव्या कहती हैं कि यहां मैडम रेखा और अनुराधा ने उन्हें पढ़ने में एक्सपर्ट बनाया। 12वीं में दिव्या ने 88.4 परसेंट मार्क्स हासिल किए थे। स्पेशल एथलीट दिव्या ने कहा कि मां अमरजीत कौर ने मेरा सबसे ज्यादा साथ दिया। जब मुझे दिखाई देना पूरी तरह से बंद हो गया तो उन्होंने ही मुझे संभाला। मैं हिम्मत हार गई थी लेकिन मां को मुझ पर विश्वास था।

दिवाली के समय हुआ पैर में फ्रैक्चर, अब सीधा इवेंट में उतरी

दिव्या ने कहा कि दिवाली के समय मेरे लेफ्ट फुट में फ्रैक्चर हो गया था और डॉक्टर ने मुझे रेस्ट करने को कहा। मैं चल भी नहीं सकती थी और कुछ दिन पहले ही मैं ठीक हुई। मुझे कंपीटिशन में भाग नहीं लेना था लेकिन मेरे से रहा नहीं गया और मैंने भागने का फैसला किया। मुझे खुशी है कि बिना प्रैक्टिस के भी मैं यहां पर दो गोल्ड मेडल जीतने में कामयाब रही। मैंने ब्लाइंग नेशनल में भी 2016 में तीन गोल्ड और दो सिल्वर मेडल जीते थे। वहीं 2014 में मुझे एक गोल्ड मिला था। नेशनल पैरा ओलंपिक गेम्स में मैंने दो गोल्ड और एक सिल्वर मेडल हासिल किया था। 
 

दोस्तों ने करवाई प्रैक्टिस

मेडल जीतने के बाद दिव्य एथलीट दिव्या ने कहा कि मेरे दोस्त नवीन और रोहित मुझे एथलेटिक्स की प्रैक्टिस कराते हैं। वे मेरे क्लासमेट हैं। कॉलेज शुरू होने से पहले मेरी गेम को परफेक्ट करते हैं। हमारी प्रैक्टिस सुबह 6 बजे शुरू होती है और 8 बजे तक हम फिटनेस से लेकर गेम की प्रैक्टिस करते हैं। यहां भी वे दोनों मेरे साथ थे। रोहित ने मेरे साथ 200 मीटर में हिस्सा लिया जबकि नवीन 100 मीटर इवेंट में मेरे साथ दौड़ा। दिव्या ने कहा कि आगे भी प्रैक्टिस जारी रखूंगी और पैरालंपिक में मेडल जीतने का सपना मुझे पूरा करना है।