Chandigarh Today

Dear Friends, Chandigarh Today launches new logo animation for its web identity. Please view, LIKE and share. Best Regards http://chandigarhtoday.org

Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

रंगकर्मियों अनुभव सांझा करते हुए नीरजा भनोट के भाई अनीश भनोट ने कहा- नीरजा भनोट को दबने वाली जिंदगी स्वीकार नहीं थी: अनीश भनोट

0
72

चंडीगढ़, सुनीता शास्त्री। बचपन के गलियारों की यादों को ताजा करते हुए नीरजा भनोट के भाई अनीश भनोट बताया कि वह अपने भाई अखिल को प्यार से मुन्ना और छोटी नीरजा को प्यार से लाडो बुलाते थे.। पिता के मुंबई ट्रांसफर के बाद उनका परिवार मुंबई आ गया। नीरजा जी जीवन से जुड़े एक किस्से को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि एक बार वह दोनों भाइयों के साथ स्कूटर पर सवार होकर कहीं जा रही थी तो सड़क़ के किनारे एक दम्पति के झगडे में बीच बचाव करने चली गयी। अपने भाइयों द्वारा इस कार्य के लिए टोके जाने पर 17 वर्षीय नीरजा जी ने कहा कि, जिंदगी चाहे एक दिन की, दस साल की या पचास साल की क्यूँ न हो. उन्हें दबने वाली जिंदगी स्वीकार नहीं । थिएटर फॉर थिएटर द्वारा आयोजित 15 विंटर नेशनल थियेटर फेस्टिवल के छठे दिन प्रख्यात समाज सेवी व मरणोपरांत अशोक चक्र विजेता नीरजा भनोट जी के ब भाई अनीश भनोट रूबरू ने युवा रंगकर्मियों के साथ अपने अनुभवों को सांझा किया.उन्होंने बातचीत की शुरुआत अपने.अनीश जी ने दिल को देहला देने वाले उस हाइजैक से जुडे किस्से को साझा करते हुए बताया कि इस हादसे से एकहफ्ते पहली ही नीरजा, लंदन से ट्रेनिंग लेकर लौटी थी. कराची से होकर न्यू यॉर्क जा रही फ्लाइट में जब चार आतंकवादियो से उनका सामना हुआ तो उन्होंने इसी ट्रेनिंग के बदौलत अपनी जान की परवाह न करते हुए चार सौ से जयादा लोगों की जान बचा सकीं जिसके लिए उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया. जिसके चलते परिवार नेभी अपने घर का नाम नीरजा निवास रखने का काम किया. अनीश जी के अनुसार नीरजा जी की पसंदीदा कार आज भी उस घर में खड़ी हुई है.नीरजा फिल्म के बनने से जुड़ेड़किस्सों को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि एक दिन जाने माने बॉलीवुड फोटोग्राफरअतुल कासबेकर का उनके बड़ेभाई अखिल को फोन आया की वह नीरजा की बायोपिक के संबध में उंनसे मिलना चाहते है. बंबई के बांद्रा में मिलना तय हुआ. बकौल अनीश जी दोनों भाइयों ने न कहने के इरादे से ही मीटिंग में जाना तय किया. पर वहां जाकर पुरी टीम की गुजारिश पर उन्होंने इन दो शर्तो पर हामी भर दी की स्क्रिप्ट का चयनं वह खुद करेंगे और वह भी अगर माँ ही रजामंदी हुई तो.मा की हामी के बाद पूरी टीम का चंडीगढ़ढ़आना तय हुआ और फिल्म बन कर तैयार हुई. फिल्म बनने तक पूरा परिवार असमजस में था कि फिल्म को लेकर कैसी प्रतिक्रिया आएगी. परन्तु जब फिल्म रिलीजज़ हुई तो पूरे परिवार की आँखों मेंखुशी के आंसू थे. यहाँ तक की शबाना आजमी के लम्बे कारीयर में उनकी यह भूमिका यादगार बन गयी. इस बात को खुद शबाना जी ने अनीश जी को बताया.बीते कुछ वर्षों से नीरजा भनोट अवार्ड्स का आयोजन कर रहे अनीश भनोट जी ने बताया कि हुन्होने हाल ही में इंस्पिरिंग इंडियनस वर्ल्डवाइड नामक किताब की शुरुआत की है और वह गौरवान्वित है कि उसके सुदेश शर्मा जी और शिव कुमार जैसे नाम उसमे शामिल है।