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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

अलग हाईकोर्ट के लिए हरियाणा सरकार ने दो साल बाद फिर से केंद्र को भेजी चिट्‌ठी

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  • इनेलो, कांग्रेस व भाजपा सरकार में 3 बार विधानसभा में प्रस्ताव हो चुका पास
  • भाजपा सरकार ने 4 मई 2017 को विधानसभा में हरियाणा हाई कोर्ट बनाने का प्रस्ताव पास किया था

Dainik Bhaskar

Feb 04, 2020, 09:20 AM IST

पानीपत (मनोज कुमार) . अलग हाई कोर्ट लिए राज्य सरकार दो साल बाद फिर से सक्रिय हो गई है। मिनिस्टरी ऑफ लॉ एंड जस्टिस को फिर से चिट्‌ठी लिखकर अलग हाई कोर्ट बनाने का अनुरोध किया गया है। साथ ही सीएम मनोहर लाल ने भी अधिकारियों के साथ मंत्रणा की है। विधानसभा की आश्वासन कमेटी ने भी गृह विभाग से प्रोग्रेस रिपोर्ट मांगी तो जवाब दिया कि 13 जनवरी 2020 को ही लाॅ एंड जस्टिस डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी को एसीएस होम की ओर से चिट्‌ठी लिखी गई है। इससे पहले अलग हाई कोर्ट को लेकर ओपी चौटाला सरकार में 14 मार्च 2002, हुड्‌डा सरकार में 15 दिसंबर 2005 व भाजपा सरकार ने 4 मई 2017 को विधानसभा में हरियाणा हाई कोर्ट बनाने का प्रस्ताव पास किया। फिर 7 मार्च 2018 को लॉ एंड जस्टिस डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी सुरेश चंद्र को चिट्‌ठी लिखी गई। अब सरकार ने रिमाइंडर लेटर भेजा है। विधानसभा की अाश्वासन कमेटी के सदस्य लक्ष्मण यादव ने भी पुष्टि की है। 

 
तत्कालीन एसीएस एसएस प्रसाद की ओर से 2018 में भेजी गई चिट्‌ठी में कहा गया है कि पंजाब और हरियाणा का अलग हाई कोर्ट बनने पर चंडीगढ़ के केसों के लिए दिल्ली हाई कोर्ट की स्पेशल बेंच या फिर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की जॉइंट बेंच बनाई जा सकती है। यह भी लिखा गया है कि हरियाणा के बाद बने झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड के अलग हाई कोर्ट हैं।

इसलिए अलग हाईकोर्ट जरूरी 

  • 5,15,498 केस पेंडिंग हैं हाईकोर्ट में (28 नवंबर 2019 तक)।
  •  85 पद स्वीकृत हैं न्यायाधीशों के। 56  कार्यरत हैं। ( 27 नवंबर 2019 तक) ।
  •  72 हजार से ज्यादा केस 10 से 20 साल तक अवधि से पेंडिंग।

अब तक ये हुए प्रयास 

  •  विधानसभा में तीन बार प्रस्ताव पास हो चुके हैं।
  •  मिनिस्टर आॅफ लॉ एंड जस्टिस के एडिशनल सेक्रेटरी की अध्यक्षता  में 2 मई 2006 को प्रतिनिधि मंडल ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की व्यवस्थाओं का जायजा लिया था।
  •  हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की अनुमति के बाद तीन सदस्यीय कमेटी ने बिल्डिंग और स्टाफ का सर्वे भी किया था। 
  •  कमेटी की रिपोर्ट में बताया कि विधायी कार्य के बाद यहां बिल्डिंग और स्टाफ का विभाजन तत्काल हो सकता है। 
  •  विधायी कार्य के कुछ सप्ताह में अलग हाईकोर्ट बन सकता है।
  •  2010 में राज्यपाल के अभिभाषण में भी अलग हाई कोर्ट का जिक्र किया गया। 
  •  9 मार्च 2010 को सरकार की ओर से कहा गया कि हमने अलग हाई कोर्ट का वादा किया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया भी एग्री करते हैं। हम कोशिश करते रहेंगे और चंडीगढ़ में ही हाई कोर्ट बनवाकर रहेंगे।

 अभी तीन राज्यों का जॉइंट हाई कोर्ट है। अभी करीब 70 बेंच हैं। अलग हाई कोर्ट बनने पर 35 बेंच भी हरियाणा को मिलती है तो यह अच्छा रहेगा। राज्य सरकार ने न्यायाधीशों की संख्या भी अपने स्तर पर बढ़वा सकेगी। – गणेश शर्मा, एडवोकेट

 हरियाणा के अलग हाई कोर्ट के लिए सरकार पूरा प्रयास कर रही है। अलग हाई कोर्ट से जनता को जल्द और सस्ता न्याय मिलेगा। – बलदेव राज महाजन, एडवोकेट जनरल,हरियाणा

अब आगे प्रक्रिया क्या

  •   केंद्र को संसद में पंजाब रि-ऑर्गेनाइजेशन एक्ट-1966 में संशोधन कराना पड़ेगा। 
  •  फिर मामला लॉ एंड जस्टिस के पास जाएगा। 
  •  सुप्रीम कोर्ट भी इसे देखेगा। 
  •  औपचारिकताएं पूरी होने के बाद केंद्र के जरिए आखिर में राष्ट्रपति के पास जाएगा, वहीं से नोटिफिकेशन होगा।