नगर निगम यमुनानगर-जगाधरी के 20 साल या इससे ज्यादा समय के किरायेदार के पास दुकानों की मलकियत होगी, बशर्तें उन्हें दुकान के साइज मुताबिक एरिया के मौजूदा कलेक्टर रेट के हिसाब से बनी रकम निगम को चुकता करनी होगी, लेकिन इससे पहले तय नियम-शर्तों पर किरायेदार खरे उतरते हैं या नहीं, इसकी जांच के लिए तीन सदस्य कमेटी गठित कर दी गई है। उधर निगम का ऑफर सुन अभी तक छह किरायेदारों ने फाइल जमा कराई है, जिनकी कमेटी जांच कर रही है कि वे स्कीम की शर्तों पर खरे हैं या नहीं। कमेटी की अप्रूवल के बाद किरायेदारों को दुकानें बेची जाएंगी।
निगम की कमेटी में ईओ दीपक सूरा, जोनल टैक्सेशन ऑफिसर विपिन गुप्ता व एटीओ शामिल हैं। जिनकी आवेदन फाइलों पर जांच व अन्य औपचारिकताएं पूरी होने पर दुकानें स्कीम के पात्र पाए जाने पर किरायेदारों के नाम की जाएंगी। शहर में निगम की करीब 1152 दुकानें हैं। जिन्हें ये दुकानें अलॉट हुईं, उनमें ज्यादातर ने दुकानें आगे सब-अलॉट कर दीं।
स्कीम को लेकर सवाल है कि कुछ किरायेदारों ने दुकानों के ऊपर प्रथम तल का निर्माण कर लिया है। ऐसे में कलेक्टर रेट की फीस केवल भूमि तल के लिए ली जाए या प्रथम तल की भी? इस बारे मार्गदर्शन पर निदेशालय ने स्पष्ट किया कि प्रथम तल का निर्माण गैर-कानूनी अतिक्रमण है। केवल भूमि तल की कीमत ली जाएगी। बशर्तें अलॉटी/किरायेदार पहले प्रथम तल तोड़ेगा व अनुपालना रिपोर्ट देगा। तभी दुकान बेची जाएगी। प्रथम तल तोड़े बिना दुकान बेची गईं तो संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई होगी। स्कीम के मुताबिक एरिया 500 वर्ग गज या कलेक्टर रेट मुताबिक 10 लाख रुपए तक या इससे ज्यादा कीमत निकलने वाले मामलों का फैसला निगम स्तर के बजाए सरकार द्वारा किया जाएगा।
कलेक्टर रेट पर मिलने से फायदे का सौदा
निगम को किराये का भुगतान कर अपना काम जमाए बैठे किरायेदारों की सालों से इच्छा रही है कि दुकानों पर मालिकाना हक मिल जाए। ऐसे में निगम के ऑफर के मुताबिक दुकानों का बाजार भाव बेशक करोड़ों में हो, लेकिन दुकानें एरिया के मौजूदा कलेक्टर रेट पर बेची जाएंगी। इससे दुकानदारों को सस्ते में दुकान मिलने के साथ किराया भरने के झंझट से भी मुक्ति मिलेगी। उधर, फंड की कमी से जूझ रहे निगम को भी कलेक्टर रेट पर दुकानें बेच बड़ी रकम आय के रूप में मिलेगी वहीं, लंबे अर्से से किराया न चुकता करने वालों से रिकवरी व कार्रवाई में माथापच्ची नहीं नहीं पड़ेगी।
शर्त } बकाया चुकाना होगा, कब्जे हटवाने होंगे
स्कीम की शर्तों में एक ये भी शर्त है कि पात्र किरायेदार को यदि दुकान का किराया बकाया है, तब उसे दुकान की मलकियत के लिए पहले पूरा किराया चुकाना होगा। यही नहीं दुकान पर अतिक्रमण व कब्जे भी हटाने होंगे, क्योंकि ऐसा मिलने पर जांच कमेटी आवेदन रद्द कर सकती है। आवेदन का नियम है कि किरायेदार निगम को लिखित आवेदन देगा। इसमें दुकान के साइज व किराये से लेकर अपनी भी डिटेल देनी है। एप्लीकेशन और कागजात मिलने के बाद कमेटी रिपोर्ट तैयार करेगी। अप्रूवल के बाद ही किरायेदार को मालिक बनाने की प्रक्रिया पूरी होगी।