- अमेरिकी शोधकर्ताओं ने 2 लाख फिटबिट स्मार्टवॉच यूजर्स पर अध्ययन किया
- जुकाम की वजह से दुनियाभर में सालाना 6.50 लाख लोगों की मौत हो जाती है
Dainik Bhaskar
Jan 17, 2020, 07:56 PM IST
गैजेट डेस्क. फिटबिट स्मार्टवॉच अब यूजर को बुखार (फ्लू) या जुकाम (इंफ्लुएंजा) होने पर भी अलर्ट करेगी। संक्रमण से फैलने वाले रोग की निगरानी में सुधार करने के लिए पहली बार अमेरिकी शोधकर्ताओं ने स्टडी की। शोधकर्ताओं ने बताया कि उन्हें पांच राज्यों में रियल टाइम में फ्लू की जानकारी प्राप्त करने में सफलता मिली। इसके लिए फिटबिट यूजर्स के हार्ट रेट और स्लीप डेटा का इस्तेमाल किया गया। फ्लू होने पर हार्ट रेट में लगातार बदलाव देखने को मिलता है। हार्ट रेट में होने वाले इन्हीं बदलावों को स्मार्टवॉच और फिटनेस बैंड जैसे वियरेबल डिवाइस ट्रैक करते हैं और बुखार या जुकाम होने की पुष्टि करते हैं।
हर साल 20% बच्चे संक्रमित बुखार के शिकार हो जाते हैं
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जुकाम (इन्फ्लुएंजा) की वजह से दुनियाभर में सालाना 6.50 लाख लोगों की मौत हो जाती है। हर साल लगभग 7 फीसदी कामकाजी व्यस्क व्यक्ति और 20 फीसदी बच्चे (जिनकी उम्र 5 साल से कम है) इससे संक्रमित हो जाते हैं।
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स्क्रिप्स रिसर्च ट्रांसलेशनल इंस्टीट्यूट के स्टडी ऑथर डॉ. जेनिफर रेडिन ने बताया कि- फ्लू का जल्द से जल्द पता लगाकर इसे आगे फैलने और दूसरों को संक्रमित होने से बचाया जा सकता है। इसलिए हम यह देखने के लिए उत्सुक थे कि क्या सेंसर्स की मदद से रियल टाइम में इसकी पहचान की जा सकती है।
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शोधकर्ताओं ने फिटबिट वियरेबल डिवाइस का इस्तेमाल कर रहे लगभग 2 लाख से ज्यादा यूजर्स के डेटा पर अध्ययन किया। इस डिवाइस के जरिए यूजर्स के लगभग 60 दिन की हृदय गति, नींद समेत अन्य गतिविधियों का डेटा ट्रैक किया गया।
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इन 2 लाख यूजर्स में से करीब 47,248 यूजर्स कैलीफोर्निया, टेक्सास, न्यूयॉर्क, इलिनोइस और पेनसिल्वेनिया के निवासी थे, जिन्होंने अध्ययन काल के दौरान लगातार फिटबिट डिवाइस का इस्तेमाल किया। इनकी औसत आयु 43 साल थी जिसमें 60 फीसदी महिलाएं शामिल थीं।
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रेडिन ने बताया कि भविष्य में वियरेबल डिवाइस की क्षमताओं को और बेहतर कर, 24/7 रियल टाइम में डेटा एक्सेस कर हर दिन के संक्रमण की दर की पहचान की जा सकती है।
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उन्होंने आगे बताया कि यह पहली बार है जब हार्ट रेट और स्लीप डेटा के जरिए फ्लू समेत अन्य बीमारियों की पहचान रियल टाइम में की जा रही है। हालांकि इस स्टडी के दौरान शोधकर्ताओं को काफी परेशानियों का भी सामना करना पड़ा क्योंकि अवसाद या अन्य इंफेक्शन के दौरान भी हार्ट रेट अनियमित हो जाती है।
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