चंडीगढ़, सुनीता शास्त्री। फोर्टिस हॉस्पिटल में पठानकोट निवासी 70 वर्षीय सीनियर सिटीजन का इस तकनीक से सफल उपचार किया । मोहाली में डॉक्टरों की एक टीम ने हाल ही में फेफड़े के कैंसर (लंग कैंसर) से पीडि़त 70 वर्षीय व्यक्ति का सफलतापूर्वक इलाज करने के लिए एक नई तकनीक-वीडियो असिस्टेड थोरैकोस्कोपिक सर्जरी- का उपयोग किया। यह मिनिमली इनवेसिव सर्जरी देश के इस हिस्से में की जाने वाली एक अलग और अपनी तरह का पहला प्रोसीजर है। टीम का नेतृत्व डॉ. विजय जगदीश जगद, कंसल्टेंट, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली ने किया।यह अनूठी तकनीक थोरैकोस्कोपिक का उपयोग करती है जिसे 5-6 सेमी छोटे कट्स (चीरे) के माध्यम से रोगी के सीने में लगाए जाते हैं। ट्यूमर को तब प्रोसीजर के प्रदर्शन में सर्जन का मार्गदर्शन करने वाले वीडियो मॉनिटर पर एक थोरैकोस्कोप के माध्यम से ट्रांसमिटेड वीडियो के माध्यम से उत्सर्जित किया जा सकता है। एंडोस्कोप को पसलियों के बीच स्थित सीने की दीवार में एक पंचर के माध्यम से काफी आसानी से किया जाता है।डॉ. विजय जगदीश जगद, कंसल्टेंट, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली ने कहा कि ‘‘मरीज को फेफड़े में न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर के बारे में पता चला था। मरीज को सलाह दी गई थी कि डोटैनॉक पेट स्कैन करवाने की सलाह दी गई, जिसमें पता चला कि उनके बाएं फेफड़े में एक सीमित घाव है। यदि उसका तुरंत उपचार नहीं किया जाता है, तो यह उसके मस्तिष्क, लिवर और हड्डियों तक फैल सकता है और उसे अत्यधिक नुकसान पहुंचा सकता है। रोगी को वैट लेफ्ट अपर लॉबक्टॉमी करवाने की सलाह दी गई थी। सर्जरी सफलतापूर्वक हुई और सब कुछ सुचारू रूप से चलता रहा। रोगी को सर्जरी किए जाने के पांचवें दिन पर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी।’नई वीएीटीएस तकनीक में ओपन प्रोसीजर के कई फायदे हैं। यह मिनिमली इनवेसिव है, जिसका अर्थ है कि यह कम दर्दनाक है, रक्त की न्यूनतम हानि और तेजी से रिकवरी होती है। तकनीक रोगी की रोगों से लडऩे की इम्यून क्षमता पर भी न्यूनतम प्रभाव दिखाती है जो एक ओपन सर्जरी के मुकाबले सुनिश्चित तौर पर बेहतर स्थिति है। ऑपरेटिव इंफैक्शन जटिलताओं की संभावना कम होती है। वीएटीएस पसलियों और इंटरकोस्टल नसों को कम से कम नुकसान पहुंचाती है और इसलिए पोस्ट-ऑपरेटिव फेफड़े के फंक्शंस को बनाए रखा जाता है और यह उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिन्हें पोस्ट-ऑपरेटिव कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी की आवश्यकता होती है।डॉ.जगद ने कहा कि ‘‘वीएटीएस को फेफड़े के कैंसर के लिए लोबेक्टॉमी (एक अंग की एक लोब का सर्जिकल तौर पर हटाने) और न्यूमोनेक्टॉमी (एक फेफड़े या फेफड़े के सर्जिकल तौर पर हटाने) जैसे विभिन्न फेफड़ों के पैथोलॉजी के लिए किया जा सकता है, ड्रेनेज ऑफ एम्पीमा वोरासिस (स्थिति जहां मोटी दीवार वाले मवाद से भरे कैविटी जो कि प्लूयरल कैविटी के भीतर मौजूद है), क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज के मरीजों के लिए फेफड़े की कमी की सर्जरी, बुलटॉमी (रोगी जो क्रॉनिक फेफड़े की बीमारी के कारण अत्याधिक हवा से भरा फेफड़े का स्थान विकसित करते हैं) आदि। वीएटीएस टेक्नोलॉजी न्यूनतम ट्रॉमा और तेजी से रिकवरी में सहायता करती है और ये पूरा प्रोसीजर संपूर्ण रोग की स्थिति को बेहतर करती है। उसे तेजी से रोग से राहत मिलती है।’फेफड़ों का कैंसर पुरुषों में कैंसर से संबंधित मौत का सबसे आम कारण बना हुआ है। फेफड़ों के कैंसर की वैश्विक घटना बढ़ रही है। फेफड़े के कैंसर का आमतौर पर एक एडवांसड फेस में उपचार किया जाता है जहां रोगी को सबसे पहले खांसी के साथ सामने आता है (खांसी या फेफड़ों से खांसी या फेफड़ों से डिस्चार्ज होने वाला पदार्थ है) या सांस की तकलीफ भी सामने आता है। कभी-कभी, रोगी रोग के एक बहुत ही एडवांसड फेज में प्रस्तुत करता है, जहां यह हड्डियों और मस्तिष्क में फैल गया है। प्रारंभिक चरण में फेफड़ों के कैंसर का पता लगाने के लिए स्क्रीनिंग सबसे प्रभावी तरीका है, जहां स्वस्थ उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों में कुछ टेस्टों की प्रक्रिया से बाहर किया जा सकता है। फेफड़ों के कैंसर के लिए स्क्रीनिंग लो डोज सीटी स्कैन द्वारा की जा सकती है।फेफड़ों के कैंसर का उपचार ट्रिमोडिटी थेरेपी यानि सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के आसपास केन्द्रित है। डॉक्टर ने कहा कि पारंपरिक ओपन प्रोसीजर द्वारा की जाने वाली सर्जिकल प्रोसीजर्स में छाती पर 15 से 20 सेमी चीरे की आवश्यकता होती है और उच्च मृत्यु दर के कारण इसे कम किया जाता है।
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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020