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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

काॅमेडी लवर्स के लिए वाकई गुड न्यूज की तरह है फिल्म, कहानी ऐसी कि हंसते हंसते प्यार हो जाएगा

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Dainik Bhaskar

Dec 27, 2019, 09:26 AM IST

रेटिंग 4.5/5
स्टारकास्ट अक्षय कुमार, करीना कपूर खान, किआरा आडवाणी, दिलजीत दोसांझ,आदिल हुसैन, टिस्का चोपड़ा
निर्देशक राज मेहता
निर्माता हीरू यश जौहर, अरुणा भाटिया, करन जौहर, अपूर्वा मेहता, शशांक खैतान
म्यूजिक तनिष्क बागची, रोचक कोहली, लॉव, बादशाह, सुखबीर
जोनर कॉमेडी
अवधि 133 मिनट

बॉलीवुड डेस्क. ज्योति कपूर की लिखी और राज मेहता निर्देशित ‘गुड न्यूज’ अपने टाइटल को जस्टिफाई करती है। इसमें हंसी, खुशी, जज्बात और सोच सबका सटीक और स्मार्ट पैकेज है। यह आला दर्जे की मनोरंजक फिल्म बनी है जिसे उत्कृष्ट लेखनी और अदाकारी का साथ मिला है। ‘विकी डोनर’ और ‘बधाई हो’ के बाद यह एक और मेडिकल ह्युमर है, जिसे देख हंसते-हंसते प्यार हो जाता है। मेकर्स ने यहां मैसेज और मनोरंजन की घुट्टी बड़े असरदार तरीके से पिलाई है।

ऐसे आती है बत्रा फैमिलीज के पास गुड न्यूज

  1. कहानी मुंबई और चंडीगढ़ के बत्रा दंपति की है। मुंबई से वरुण (अक्षय कुमार) और दीप्ति बत्रा (करीना कपूर खान) हैं। चंडीगढ़ के हनी (दिलजीत दोसांझ) और मोनिका बत्रा हैं। (किआरा अडवानी) शादी के सात साल बाद भी ये दाेनों कपल नि:संतान हैं। इसके चलते उन पर परिवार और समाज का बड़ा दबाव भी है वे हर हाल में वारिस लेकर आएं। फाइनली वे डॉक्टर जोशी दंपति (आदिल हुसैन-टिस्का चोपड़ा) के यहां आईवीएफ ट्रीटमेंट का सहारा लेते हैं। मगर समान सरनेम बत्रा होने के चलते उन जोड़ियों की जिंदगी में तब तूफान आ जाता है, जब पता चलता है कि दोनों के स्पर्म की अदला-बदली हो गई है। वरुण बिफर जाता है। उसे किसी और का बच्चा स्वीकार्य नहीं। प्रेग्नेंट दीप्ति को गर्भपात तक कराने पर आमादा है पर हनी और मोनिका वैसा करने से रोकने में जुट जाते हैं। आखिरकार उन जोड़ों की जिंदगी क्या मोड़ लेती है, फिल्म उस बारे में है।

  2. प्रेग्नेंसी को केंद्र में रखते हुए ज्योति कपूर ने इससे पहले ‘बधाई हो’ भी लिखी थी। वहां उम्रदराज औरत की प्रेग्नेंसी को लेकर टैबू था। यहां नि:संतान दंपतियों पर सामाजिक दबाव का टैबू। ऋषभ शर्मा और नवोदित निर्देशक राज मेहता संग ज्योति कपूर ने कहानी, पटकथा और संवाद से हंसी का तिलिस्म रचा है। सारे किरदार हाजिरजवाब हैं, जो फिल्म की मजबूती हैं। हरेक संवाद और परिस्थितयां पेट में हंसी के गोलों का धमाका करती हैं। यह सबसे मुश्किल काम होता है पर लेखक और निर्देशक ने इसे कर दिखाया है। खासतौर पर दीप्ति की मां बनने की बेचैनी पर वरुण की इस बात को लेकर टकराव हंसाने और सोचने पर मजबूर करती है। सोचना इस बात पर कि क्या मां बनकर ही एक औरत संपूर्ण हो सकती है? बहरहाल, फिल्म इस सोच में गहरा उतरने की बजाय वरुण और दीप्ति की जिंदगी में जबरन दखल दे चुके हरमन और मोनिका पर केंद्रित है। हरमन और मोनिका के चलते वरुण और दीप्ति की जिंदगी एक तरह से ‘हराम’ हो चुकी है। पूरी फिल्म हंसी का हेवी डोज देती है।

  3. उन किरदारों को अक्षय, करीना, दिलजीत और किआरा ने भरपूर जिया है। सबने एफर्टलेस तरीके से किरदारों को आत्मसात किया है। परदे पर लगता है कि साक्षात बत्रा दंपतियों की जिंदगी में मचे भसड़ दिख और महसूस हो रहा है। डॉक्टर जोशी दंपति के तौर पर आदिल हुसैन और टिस्का चोपड़ा भी मस्ती की इस पाठशाला में बखूबी हिस्सेदार हैं। संवाद अदायगी के बाद नाच गाने में भी सभी कलाकारों की एनर्जी सातवें आसमान पर लगती है। सबकी स्क्रीन प्रेजेंस स्मार्टल तरह से पैकेज हुई है। कसी हुई एडीटिंग से फिल्म का फाइनल वर्जन त्रुटिहीन यानी फ्लॉलेस बना हुआ है। फिल्म इंटरवल से पहले और बाद दोनों हिस्सों में असरदार है।

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