जिस घर में मां की सेवा नहीं होती वह घर कभी खुशहाल नहीं हो सकता। मां की सेवा ही मातृभूमि की सेवा है। यह कहना है जगन्नाथ धाम से आए आचार्य सतपथी महाराज का, जो श्री हनुमान मंदिर में आयोजित जगन्नाथ कथा का श्रद्धालुओं को अमृत पान करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मां की पूजा से बड़ी कोई पूजा नहीं है, इसलिए हर बेटे को चाहिए कि वह अपनी मां की सेवा जरूर करे। अगर घर में मां खुश नहीं है तो किसी तीर्थ पर जाने का कोई लाभ नहीं है। उन्होंने कहा कि आज लोग पश्चिमी सभ्यता की तरफ आकर्षित हो रहे हैं, जिस कारण वह भारतीय संस्कृति को भुलाते जा रहे हैं। भारतीय संस्कृति ही हमें प्रेमभाव, आदरमान, गुरु का सम्मान, बड़े बुजुर्गों का सम्मान सिखाती है। उन्होंने कहा कि भगवान जगन्नाथ का जो गुणगान करता है, वह सभी कष्टों से मुक्ति पाता है। भगवान जगन्नाथ की कथा हमें राजनीति सिखाती है, कैसे जीना है, कैसे व्यवहार करना है। सभी इस कथा के माध्यम से सीखा जा सकता है। भगवान जगन्नाथ के महाप्रसाद को खाने मात्र से इंसान को मुक्ति प्राप्त हो जाती है। उन्होंने कहा कि हर इंसान को पता है कि राम नाम सत्य है, हरि नाम सत्य है, लेकिन यह शब्द मात्र देह संस्कार के समय ही याद आते हैं।
जब हम लोग देह संस्कार कर बाहर निकलते हैं तो अपने काम को ही सर्वोपरि मानकर उस में जुट जाते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। भगवान को जरूर याद करना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्कंद पुराण में भगवान जगन्नाथ की सभी लीलाओं का वर्णन है। कथा के दौरान मोंटी राजा ने भजनों की प्रस्तुति दी।
यमुनानगर|कथा करते श्री जगन्नाथ धाम से आए आचार्य सतपथी महाराज।