- न्यूयॉर्क बेस्ड साेलाे ट्रेवलर रवि कुमार बंसल ने भास्कर से बातचीत में सिंगल इंजन प्लेन उड़ाकर फंड रेजिंग और किताब के बारे में बात की
- उन्होंने बताया- भाभी की ब्रेस्ट कैंसर से मौत के बाद उन्होंने लोगों को कैंसर के प्रति अवेयर करने की ठानी, उनके नाम से मिशन भी शुरू किया
Dainik Bhaskar
Nov 29, 2019, 08:40 AM IST
चंडीगढ़. रवि कुमार बंसल ने अवेयरनेस और कैंसर पेशेंट के लिए फंड जुटाने के लिए 46 दिनों में 21 देशों का सफर (सेसना 400) प्लेन से तय किया। ऐसा करने वाले वह देश के पहले सोलो ट्रेवलर बने। फंड जुटाने के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने अपने इस सफर व जीवन को किताब “क्लियर्ड डायरेक्ट डेस्टिनेशन” में समेटा है। भास्कर से बातचीत में उन्होंने किताब और अपने पैशन पर बात की-
कैंसर से भाभी की मौत के बाद अवेयरनेस की ठानी
किताब का विमोचन चंडीगढ़ में पास्ट रोटरी इंटरनेशनल प्रेजिडेंट राजेन्द्र के साबू ने किया। रवि ने बताया- अंबाला उनका होमटाउन है। यहां आता रहता हूं। साथ ही रोटरी क्लब से सात साल से जुड़ा हूं। 2012 में उनकी भाभी की ब्रेस्ट कैंसर से मौत हो गई थी। अवेयरनेस न होने की वजह से ही समय रहते डिटेक्ट नहीं कर पाए। ऐसे में जहन में था कि अवेयरनेस के लिए और कैंसर पेशेंट की मदद के लिए कुछ न कुछ किया जाए। रवि ने आगे बताया- एक तरफ अवेयर को लेकर जज्बा था तो दूसरी तरफ प्लेन उड़ाने का पैशन भी था। एक के बाद एक जब यह चीजें जहन में आईं और सोच से जुड़ती चली गई। फिर इन सब चीजों को जोड़ कर आइडिया आया कि क्यूं न उड़ान भर कर लोगों को अवेयर किया जाए और फंड रेज किया जाए। मतलब पैशन, अवेयरनेस और सोशल कॉज की वजह से ही यह सफर तय हो पाया।
‘4 जुलाई 2017 से सफर शुरू किया था’
रवि ने बताया- 4 जुलाई 2017 में उन्होंंने यह सफर न्यूयॉर्क के शहर बफलो से शुरू किया था। कनाडा, ग्रीनलैंड, आइलैंड, स्कॉटलैंड, इटली से होते हुए भारत (अहमदाबाद- अंबाला) व इसके बाद, बैंकॉक, थाईलैंड, जापान यानी 21 देशों का सफर तय करते हुए वापस वहीं पहुंचे, जहां से इस सफर की शुरुआत की थी। 46 दिनों में 37000 किलोमीटर का यह सफर तय करते वक्त जहां भी गए, सभी ने स्वागत करने के साथ हौसला भी बढ़ाया। इटली और बैंकॉक में रोटरी क्लब की मीटिंग का हिस्सा बनने का मौका मिला। दोनों ही देशों के क्लब ने पैसे जमा करके दिए। इस दौरान उनके पास करीब डेढ़ करोड़ रुपए जमा हुए। फंड रेज करने में उनकी फैमिली मेंबर्स से लेकर फ्रेंड्स और कई लोगों ने मदद की। 2018 में इस राशि से एमआरई मशीन रोटरी अम्बाला कैंसर एंड जनरल हॉस्पिटल को दी।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है नाम
रवि ने बताया कि वह सोलो ट्रैवलर और प्लेन का सिंगल इंजन। ऐसे में 6 घंटे तक ही सफर कर सकते थे। मौसम खराब होने की चिंता भी रहती थी। 3 बार प्लेन खराब भी हो गया। ऐसे में यह जरूरी होता है खुद ही खराबी का पता लगा कर उसे ठीक करने के अलावा काेई और ऑप्शन नहीं था। सच कहूं यह उनके लिए किसी इम्तिहान से कम नहीं था। सफर के दौरान खर्चा 75 लाख के करीब आया। 2020 के एडिशन में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज होगा।
कॉलेज में सीखा था प्लेन उड़ाना
1977 में जब रवि जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में पढ़ रहे थे, तो प्लेन उड़ाना सीखा। वहां इंस्टीट्यूट में फ्लाइंग क्लब था। सीखने के बाद उन्हें लाइसेंस मिला। उन्होंने बताया- प्लेन उड़ाना उनका पैशन था, लेकिन पैसों की कमी की वजह से प्लेन उड़ा नहीं पाए। 1987 में उन्होंने न्यूयॉर्क में बिजनेस शुरू किया। 2006 में खुद की कंपनी बनाई। 2013 में खुद के बिजनेस से ही रिटायरमेंट ली। अब उनके पास पैसा भी थे और समय भी। ऐसे में अपने पैशन को पूरा करने के लिए फोर सीटर प्लेन लिया। इसकी कीमत थी साढ़े पांच करोड़।
फंड रेज करने के लिए सफर को समेटा किताब में
रवि बोले- जब सफर से लौटा तो उसके बाद ही उन्होंने सोचा क्यूं न इस सफर और अपने जीवन के बारे में लिखा जाए। इस किताब को उन्होंने फंड रेज करने के मकसद से ही लिखा है। अंबाला हॉस्पिटल में जो भी रकम डोनेट करेगा, उसे तोहफे के रूप में यह किताब दी जाएगी। इस किताब को वह 2017 से लिख रहे हैं और पिछले हफ्ते ही किताब का पूरा काम हुआ। 2015 में भाभी स्नेह के नाम पर स्नेह स्पर्श नाम से एक पहल शुरू की। इसमें कैंसर पेशेंट की मदद की जाती है।