Dainik Bhaskar
Nov 27, 2019, 05:28 PM IST
गैजेट डेस्क. सोशल मीडिया पर हम अक्सर अपने दोस्तों-रिश्तेदारों के साथ मीम्स शेयर करते रहते हैं, लेकिन दृष्टिबाधित लोग इनका आनंद नहीं उठा पाते। उन्हें मीम को न सिर्फ देखने-समझने में परेशानी होती है बल्कि इसे स्क्रीन रिकॉर्डर सॉफ्टवेयर की मदद से भी समझ पाने बेहद मुश्किल होता है। इसी समस्या से निपटने के लिए अमेरिका स्थित कार्नेगी मेलोन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर बेस्ड एआई टूल विकसित किया है, जिसकी मदद से दृष्टिबाधित लोग भी मीम्स का आनंद ले सकेंगे। यह टूल न सिर्फ खुब-ब-खुद मीम की पहचान करेगा बल्कि उसे प्री-रिटन टेम्पलेट में कन्वर्ट कर उसमें अल्ट टेक्स्ट जोड़ेगा ताकि मौजूदा सहायक टेक्नोलॉजी की मदद से उन्हें समझा जा सके।
शोधकर्ताओं ने 90 लाख ट्वीट पर की स्टडी
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ह्यूमन-कम्प्यूटर इंटरैक्शन इंस्टीट्यूट के पीएचडी स्टूडेंट कोल ग्लीसन का कहना है कि मीम्स वो इमेज होती है, जिन्हें कॉपी कर उनके टेक्स्ट में एडिट कर दिया जाता है। यह खासतौर से हास्यापद और एक्सपीरियंस शेयर करने वाली होती है। हालांकि दृष्टिबाधित लोग इनका मजा नहीं ले पाते।
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मीम्स बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सक्रीय रहती है, हालांकि इन प्लेटफार्म पर अल्ट टेक्स्ट डालने की काफी समस्या होती या कह सकते हैं कि सही सुविधा नहीं होती। उदाहरण के तौर पर ट्विटर लोगों को तस्वीरों में अल्ट टेक्स्ट डालने की सुविधा तो देता है, लेकिन इस फीचर को खोजना इतना आसान नहीं होता। सीएमयू के शोधकर्ताओं ने 90 लाख ट्वीट की स्टडी की, जिसमें से सिर्फ 10 लाख ट्वीट में तस्वीरें थे इनमें से सिर्फ 0.1% ही ऐसी तस्वीरें थीं जिनमे अल्ट टेक्स्ट मौजूद था।
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ग्लीसन का कहना है कि बेसिक कम्प्यूटर विजन तकनीक में हर मीम का विवरण देने की सुविधा मिलती है, चाहे वे किसी सेलिब्रिटी की हो, रोते हुए बच्चे की हो या कार्टून कैरेक्टर की हो। पब्लिश की गई स्टडी के मुताबिक, ऑप्टिकल रिकॉग्निशन तकनीक की मदद से इमेज पर इस्तेमाल किए गए टेक्स्ट को समझने में मदद मिलती है। जो मीम की यात्रा के साथ बदलता रहता है।
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अल्टा टेक्स, वह नाम होता है, जो इमेज को सोशल मीडिया पर पोस्ट करते समय फोटो को दिया जाता है। इसकी मदद से ब्राउशर को तस्वीर सर्च करने में सुविधा होती है। सर्च इंजन इसी अल्ट टेक्स्ट को देखते हुए तस्वीर के अलग अलग कैटेगरी में सेव करता है।
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