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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

गुरु नानक के 5 सूत्र: सत्ता, धन, रूप, जाति और जवानी एकसाथ हों तो ये इंसान को भटका सकते हैं

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  • गुरु नानक देव जी का जन्म सन् 1469 में कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को हुआ था, आज उनकी 550वीं जयंती
  • गुरु नानक ने 5 सूत्रों से समझाया खुश रहने और सफल बनने का तरीका

Dainik Bhaskar

Nov 12, 2019, 09:19 AM IST

अमृतसर. आज गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती है। वे सिखों के पहले गुरु थे। उनका जन्म सन् 1469 में कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को हुआ था। गुरु नानक देव जी की वाणी में जीवन को सरलतम और श्रेष्ठतम बनाने के उपाय हैं। उन्होंने हार-जीत, मान-अपमान, इच्छा-लोभ को दुख का कारण बताया है। मोह को घिसकर स्याही बनाओ, बुद्धि को श्रेष्ठ कागज और प्रेम को कलम बनाकर चित्त को लेखक बनाओ। यानी चित्त को पहचानो, वो हमेशा सही को सही और गलत को गलत बताता है। बुद्धि और चित्त दोनों में संतुलन बनाओ, नानक की ऐसी सीखें उनके शब्दों में निहित हैं, जो हरेक के लिए उपयोगी हैं। गुरु नानक देवजी ने इन 5 सूत्रों से समझाया खुश रहने और सफल बनने का तरीका। 

1) ईश्वर तक पहुंचने का रास्ता
माया बुरी सास जैसी है, जो मन को खुश नहीं रहने देती: नानक देव जी कहते हैं- सासु बुरी घरि बासु न देवे पिर सिउ मिलए न देई बुरी यानी माया या लोभ उस बुरी सास जैसे हैं जो जीव रूपी दुल्हन को घर में यानी आत्म-सुख में नहीं रहने देती। माया सांसारिक चीजों में खुशी तलाशने की ओर ले जाती है, जबकि प्रसन्नता मन के भीतर रहती है।

2) स्वयं पर जीत का रास्ता
अहंकार खत्म करके ही जीवन लक्ष्य हासिल कर सकते हैं: 
तिसु जन सांति सदा प्रति निहचल जिसका अभिमानु गावए…गुरु नानक जी कहते हैं कि जो आपको मिला है उस पर अहंकार न करें। यह सब ईश्वर ने ही दिया है। जो पास है उसे सबमें बांटें, अपना-पराया सब भूल जाएं। नानक यह भी कहते हैं कि अहंकार नष्ट होते ही इंसान ईश्वर के नजदीक पहुंच जाता है।

3) बंधनों से मुक्ति का रास्ता
इच्छाओं को मारने से दुख दूर नहीं होते, संयम से होते हैं: 
नानक इहु मनु मारि मिलु भी, फिरि दुखु न होईः यानी जब तक मन नहीं मरता, माया नहीं मरती। मन के मरने से माया बूढ़ी हो जाती है। नानक जी कहते हैं मन ही दुख का कारण है। सच्चा साधक शबद में कसौटी लगा कर मन को मारता है। मन को मारकर परमात्मा से मिलो, फिर कभी दुख न होगा।

4) सुख पाने का सही रास्ता
लालच-भोग की लालसा कर्म के वशीभूत, इसका त्याग करें:
 जग सिउ झूठु प्रीति मनु बेधिया, जन सिउ वादु रचाई। जमु दरि बाधा ठउर न पावै अपुना कीया कमाई। गुरु नानक कहते हैं बुरे काम बढ़ने पर लोभ-भोग की लालसा बढ़ती है। समस्त प्राणियों के कर्म इन्हीं गुणों के वशीभूत हैं। नानक जी ने कहा कि न्यायोचित तरीकों से धन अर्जित करना चाहिए।

5) दुखों से दूर रहने का रास्ता
सत्ता, धन, रूप, जाति और जवानी; इन 5 ठगों से बचें:
 राज मिलक जोवन गृह सोभा रुपवंतु जोधानी, भागे दरगहि कामि न आवै छोड़ि जलै अभिमानी। गुरु नानक देव जी कहते हैं- संसार में 5 ठग सबसे ताकतवर हैं- सत्ता, धन, रूप, जाति और युवावस्था। इन 5 ठगों ने ही पूरे संसार को ठग रखा है। यही सबके दुखों का कारण भी है।

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