कूड़े के ढेर में लगी आग जिसे आम लोग व जिम्मेदार अफसर हर बार यह समझकर इग्नोर कर देते हैं कि ऐसी आग तो लगते ही रहती है। इस बारे में शायद ही कोई सोचता होगा कि इस ढेर से 24 घंटे उठने वाला धुआं हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए कितना खतरनाक है। मीठे जहर की तरह यह धुआं हमारे पर्यावरण में घुलकर घुटन पैदा कर रहा है। इसी कारण नई-नई बीमारियों का भी जन्म हो रहा है। सबसे ज्यादा दिक्कत उन लोगों को हो रही है जो श्वांस से संबंधित बीमारी से ग्रसित हैं।
आजकल हर जगह पराली जलाने से उठ रहे धुएं को लेकर लोग चिंतित हैं, लेकिन जिन पर ये जिम्मेदारी है उन्हें जरा भी फिक्र नहीं है। किसानों पर केस दर्ज हो रहे हैं। दूसरी ओर, हर साल सरकार के करोड़ों रुपए फूंकने वाली सरकारी अथॉरिटीज ही अगर कचरे में आग लगाकर प्रदूषण फैलाकर लोगों का दम घोंटने की कोशिश करें तो उन पर भी कार्रवाई बनती है। जीरकपुर नगर परिषद के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। इस नगर परिषद ने शहर की सफाई, गारबेज कलेक्शन और इसके निपटान पर साल में तीन करोड़ से ज्यादा का खर्च करना होता है।
यही अथॉरिटी लोगों का दम निकाल रही है। पीरमुछल्ला मंे पिछले चार दिन से कचरे में लगी आग से न सिर्फ यहां के दर्जनों अपार्टमेंट्स बल्कि पड़ोसी शहर पंचकूला की आबाेहावा भी खराब कर रहा है। इंसानों को तो इस धुएं से परेशानी है ही, जिस जगह आग लगाई जा रही है, वह शहर का एकमात्र बीड़ एरिया (जंगल) है, जहां विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु रहते हैं। उनको भी खतरा पैदा हो गया है। धुएं के बीच चारा तलाश रहे मवेशियों को भी इसी आग में अपना चारा ढूंढ़ना पड़ रहा है। सफाई और पर्यावरण पर बट्टा लगा रही जीरकपुर नगर परिषद की जिम्मेदारी बनती है कि वह लोगों के लिए अच्छा माहौल दे। इसके विपरीत ये तीन फोटो बता रही हैं कि जमीनी हकीकत क्या है।
तीन दिन से पीरमुछल्ला क्षेत्र में जल रहे यह ढेर…
जीवनदाता का जीवन खतरे में : छोटे-छोटे पौधों को खत्म कर रहा धुआं…पीरमुछल्ला का बीड़ एरिया पिछले सालों में हरियाली के लिए पहचाना जाता था। पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए यहां हजारों की संख्या में पौधे लगाए गए। वन विभाग ने यहां 18 एकड़ में नेचर पार्क बनाया, जिसमें औषधीय पौधों की भरमार है। इन पौधों की सुरक्षा करना तो दूर, पेड़ों के तनों पर कचरे के ढेर लगाकर आग लगाई जा रही है। जिन पौधों ने ऑक्सीजन देकर जिंदगी देनी है, उन्हें आग और धुएं से खत्म किया जा रहा है।
-एके शर्मा, एक्सईएन, पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड
बीड़ एरिया में पहले था हेल्दी पर्यावरण अब सांस लेना भी मुश्किल…कचरे के निपटान के लिए बने शेड के चारों तरफ बीड़ का एरिया है। इस एरिया में इंसानों और जानवरों, दोनों के लिए किसी समय हेल्दी पर्यावरण था। अब मवेशी हों या वाइल्डलाइफ, सभी धुएं के बीच ठीक से सांस भी नहीं ले पा रहे हैं।
नगर निगम के खिलाफ कार्रवाई जरूरी…पीरमुछल्ला का रेजिडेंशल व कमर्शियल एरिया कचरे में लगी आग से उठे धुएं में घिरा हुआ है। इसमें रहने वाले लोगों का कहना है कि पराली के धुएं से कहीं ज्यादा जहरीला धुआं नगर परिषद उनको दे रहा है। एमसी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
-कुलविंदर सोही, एमसी प्रधान, जीरकपुर