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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

लिवरपूल ने 5 स्टार होटल छोड़ा; वजह- स्टाफ को कम सैलरी मिल रही थी, 10 से 12 घंटे काम कराया जा रहा था

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  • क्लब वर्ल्ड कप खेलने के लिए कतर गई है लिवरपूल टीम, मानवाधिकारों की बात उठाई
  • लिवरपूल की टीम को मार्सा मालाज केम्पिंस्की नाम के होटल में ठहराया गया था

Dainik Bhaskar

Nov 06, 2019, 09:51 AM IST

खेल डेस्क. लिवरपूल की टीम इन दिनों क्लब वर्ल्ड कप खेलने के लिए दोहा पहुंची हुई है। दिसंबर से यहां मैच शुरू होने हैं। शहर के सबसे अच्छे 5 स्टार होटल में टीम के ठहरने की व्यवस्था की गई थी। लेकिन टीम ने 2-3 दिन वहां रुकने के बाद ही होटल छोड़ने का फैसला कर लिया। दरअसल टीम का मानना है कि जिस होटल में उन्हें ठहराया गया है, वहां होटल मैनेजमेंट का होटल स्टाफ के साथ व्यवहार ठीक नहीं है और स्टाफ के मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।

लिवरपूल की टीम को मार्सा मालाज केम्पिंस्की नाम के होटल में ठहराया गया था। टीम मैनेजर जर्गन क्लोप को पता चला कि होटल में स्टाफ को 10 से 12 घंटे और कभी-कभी तो 12 घंटे से भी ज्यादा की शिफ्ट में काम कराया जा रहा है। इसके बदले में उन्हें दिन के 700 से 800 रुपए दिए जा रहे हैं। दोहा में इस समय तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक जा रहा है। इस भीषण गर्मी में 12-12 घंटे काम करने से होटल के तमाम स्टाफ की तबीयत खराब हो रही है।

कोच के जरिए टीम को जानकारी मिली
क्लोप के जरिए जब टीम को ये सारी बात पता चली तो पूरी टीम ने होटल मैनेजमेंट के अमानवीय व्यवहार के विरोध में होटल छोड़ने का फैसला किया। अब टीम शहर के ही किसी दूसरे 4 स्टार होटल में भी रुकने के लिए तैयार है, लेकिन इस होटल में नहीं। लिवरपूल के टीम मैनेजमेंट इस बारे में फीफा मैनेजमेंट और कतर अथॉरिटी को पूरी जानकारी दे दी है।

फीफा लिवरपूल के साथ
पुराना होटल छोड़ने, नया होटल लेने में जो भी अतिरिक्त पैसा लग रहा है, वो लिवरपूल टीम मैनेजमेंट ही देगा। हालांकि कतर प्रशासन के लिए ये मुश्किल है कि अब टीम के होटल बदलने के साथ उन्हें सुरक्षा संबंधी कई व्यवस्थाओं में बदलाव करना पड़ रहा है। फीफा भी इस मामले में लिवरपूल के साथ ही दिख रहा है।

दूसरे देश के लोगों को कम पैसे में रखता है होटल
अक्टूबर-2018 में भी दोहा का मार्सा मालाज केम्पिंस्की होटल विवादों में आया था। गार्डियन की एक जांच रिपोर्ट मंे खुलासा हुआ था कि ये होटल दूसरे देशों से आए हुए लोगों को अपने यहां काम पर रखता है और बदले में उन्हें बेहद मामूली सैलरी देता है। होटल पर न्यूनतम आय सहित तमाम श्रमिक कानून तोड़ने का आरोप लगा था।