- स्कूली कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे सचिन
- सचिन ने बच्चों को शॉर्टकट से दूर रहने के लिए कहा
- सचिन ने कहा- जीवनभर परिवार का ऋणी रहूंगा
Dainik Bhaskar
Oct 25, 2019, 07:29 PM IST
खेल डेस्क. पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर का कहना है कि छात्र जीवन के दौरान जब वे पहली बार सिलेक्शन के लिए ट्रायल्स देने गए थे तो उनका चयन नहीं हुआ था। उनके मुताबिक इस घटना ने उन्हें खेल के प्रति और भी मेहनत करने के लिए प्रेरित किया था। उन्होंने अपनी सफलताओं का श्रेय अपने परिवार और अपने गुरु आचरेकर सर को दिया। सचिन ने कहा, ‘जब मैं छात्र था, तब मेरे दिमाग में सिर्फ एक चीज थी कि मुझे भारत के लिए खेलना है। मेरी यात्रा 11 साल की उम्र में शुरू हुई थी।’ सचिन ने ये बात एक स्कूल में छात्रों को संबोधित करते हुए कहीं।
सचिन ने कहा, ‘मुझे ये भी याद है कि जब मैं अपना पहला सिलेक्शन ट्रायल्स देने गया था तो चयनकर्ताओं ने मुझे नहीं चुना था। तब उन्होंने मुझसे कड़ी मेहनत करने और अपने खेल में सुधार करने के लिए कहा था।’ उन्होंने बताया, ‘उस वक्त मैं निराश हो गया था, क्योंकि मुझे लगा कि मैंने अच्छी बल्लेबाजी की थी, लेकिन परिणाम उम्मीद के मुताबिक नहीं था और मुझे नहीं चुना गया था। लेकिन इसके बाद मेरा ध्यान, प्रतिबद्धता और कड़ी मेहनत करने की क्षमता में और ज्यादा वृद्धि हो गई।’ आगे उन्होंने कहा, ‘अगर आप भी अपने सपनों का अहसास करना चाहते हैं तो शॉर्टकट किसी तरह से मदद नहीं करेंगे।’
परिवार और गुरु को दिया सफलता का श्रेय
टेस्ट क्रिकेट में 15921 रन और वनडे में 18426 रन बनाने वाले तेंदुलकर ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार और कोच रमाकांच आचरेकर को दिया। उन्होंने कहा, ‘क्रिकेट में मेरी सफलता के लिए मैं अपने परिवार के सभी सदस्यों का ऋणी रहूंगा। मैं अपने माता-पिता, मेरे भाई अजीत और बड़े भाई नितिन से इसकी शुरुआत करूंगा, जिन्होंने मेरी मदद की लेकिन जो आमतौर पर सामने नहीं आते। मेरी बड़ी बहन जो शादी के बाद अब पुणे में रहती है, उन्होंने मेरा समर्थन किया। मेरी बहन ने ही मेरे जीवन का पहला क्रिकेट बैट मुझे लाकर दिया था। शादी के बाद अंजली (पत्नी), बच्चों सारा व अर्जुन और अंजलि के माता-पिता ने मेरा साथ दिया। मेरे चाचा और चाची व अन्य कई लोगों ने भी मदद की। आखिर में सबसे खास आचरेकर सर।
स्कूल कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे सचिन
सचिन ने ये सारी बातें पश्चिमी महाराष्ट्र में स्थित स्वर्गीय लक्ष्मणराव दुरे स्कूल में छात्रों को मराठी में संबोधित करते हुए कही। तेंदुलकर ने राज्यसभा सांसद रहते हुए दुरे स्कूल के विकास के लिए जो राशि दी थी, उसकी मदद से हाल ही में वहां तीन क्लासरूम और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए एक स्टेज का निर्माण किया गया है।