- ऑफलाइन प्रोडक्ट पर कम कीमत के साथ बेहतर क्वालिटी की गारंटी भी मिलती है
- दुकानदार का भरोसा मिलता है, यानी प्रोडक्ट खराब होने पर तुरंत बदल जाता है
- ऑनलाइन शॉपिंग में प्रोडक्ट की डिलिवरी के इंतजार के साथ फर्स्ट कॉपी होने का खतरा
Dainik Bhaskar
Oct 19, 2019, 06:39 PM IST
गैजेट डेस्क. दिवाली को लेकर ऑनलाइन और ऑफलाइन बाजार कई ऑफर्स मिल रहे हैं। इन ऑफर्स में फोन, इलेक्ट्रॉनिक्स, होम अप्लायंस, गैजेट्स, एक्सेसरीज, फैशन वेयर समेत कई प्रोडक्ट्स शामिल हैं। ऐसे में आप भी इस फेस्टिव सीजन में शॉपिंग में करने जा रहे हैं तब हम आपको ऑफलाइन शॉपिंग के फायदों के बारे में बता रहे हैं।
इसके लिए हमने रतन कुमार जैन (प्रेसिडेंट, दिल्ली यार्न मर्चेंट एसोसिएशन), ओमप्रकाश गुप्ता (प्रेसिडेंट, मध्य प्रदेश इलेक्ट्रिक मर्चेंट एंड कॉन्ट्रेक्टर्स एसोसिएशन) और मंगलम इलेक्ट्रॉनिक्स के ऑनर अंशुल बंसल से बात की।
दिल्ली यार्न मर्चेंट एसोसिएशन (DYMA) के प्रेसिडेंट रतन कुमार जैन ने कहा, “ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों शॉपिंग में कई अंतर होते हैं। बाजार से खरीदारी के लिए ग्राहकों को कई दुकानों पर घूमना पड़ता है। इससे मेहनत और समय दोनों खर्च होता है। जबकि, ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान ये काम कुछ मिनट में हो जाता है। ग्राहक का पेट्रोल भी बचता है। हालांकि, ये जरूरी नहीं कि ग्राहक को ऑनलाइन मिलने वाला प्रोडक्ट बाजार मूल्य से सस्ता हो।”
“बाजार से शॉपिंग करने का बड़ा फायदा ये होता है ग्राहक जो प्रोडक्ट खरीद रहा है वो उसके सामने है। जैसे, किसी कपड़े को खरीदने के दौरान वो उसकी क्वालटी और साइज दोनों देख पाता है। कपड़े को ट्राई भी करके देख सकते हैं। जबकि ऑनलाइन में ऐसा नहीं होता। यदि क्वालिटी या साइज में प्रॉब्लम हुई तब उसे लौटाना पड़ता है।”
“कई ऑनलाइन प्रोडक्ट ऐसे होते हैं जो ऑफलाइन ढूंढने पर नहीं मिलते। इस वजह से ज्यादातर ग्राहक ऑनलाइन शॉपिंग की तरफ चले जाते हैं। ऑनलाइन शॉपिंग का सबसे बड़ा नुकसान ये होता है कि ग्राहक जिस प्रोडक्ट को खरीदना चाहता है, लेकिन उसे कोई दूसरा प्रोडक्ट भी पंसद आ गया, तब वो उसे भी खरीद लेता है। जबकि बाजार से हम जो लेने जाते हैं वही खरीदते हैं।”
“बाजार से खरीदे गए प्रोडक्ट को वापस लेने पर दुकानदार कई बार ग्राहक को उसके बदले दूसरा प्रोडक्ट खरीदने को कहता है। यानी वो पैसा वापस नहीं करता। इससे भी कई बार ग्राहक नाराज हो जाते हैं। ऐसे में ग्राहक की संतुष्टि का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है।”
दूसरी तरफ, मध्य प्रदेश इलेक्ट्रिक मर्चेंट एंड कॉन्ट्रेक्टर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट ओमप्रकाश गुप्ता बताते हैं कि ऑफलाइन बाजार से कोई प्रोडक्ट खरीदने पर उस प्रोडक्ट के प्रति दुकानदार की जवाबदेही होती है। जैसे, उसमें कोई खराबी या दूसरी कमी आती है तब उसे हाथों हाथ दूर किया जाए। ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले ग्राहकों को इस तरह की सर्विस नहीं मिलती। जहां तक ऑनलाइन कीमत की बात है तब वो चुनिंदा प्रोडक्ट पर कम हो सकती है, अन्य प्रोडक्ट की कीमत हमेशा ज्यादा ही होती है। हालांकि, कई बार ग्राहक कीमत को बाजार में पता करने की कोशिश ही नहीं करते। कुल मिलाकर दुकानदार का भरोसा, प्रोडक्ट की गुणवत्ता, ग्राहक की संतुष्टि ऑफलाइन शॉपिंग से जुड़ी हैं।
भोपाल स्थित इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट के सबसे बड़े शोरूम मंगलम इलेक्ट्रॉनिक्स के ऑनर अंशुल बंसल ने इस बारे में कहा, “ऑनलाइन शॉपिंग से खरीदा हुआ प्रोडक्ट ओरिजलन है, इस बात की सिक्योरिटी हमेशा नहीं होती। वो फर्स्ट कॉपी या फिर ग्रे मार्केट प्रोडक्ट भी हो सकता है। ऐसे ग्राहक जो ऑनलाइन प्रोडक्ट खरीदते हैं वो इस बात को चेक नहीं कर पाते कि जो प्रोडक्ट खरीद रहे हैं वो कितना सही है। जब ऐसे प्रोडक्ट को वारंटी की जरूरत होती है तब ग्राहक को उसके ओरिजनल होने का पता चलता है और परेशान होना पड़ता है।”
“जो प्रोडक्ट ऑफलाइन बेचा जाता है उसके बिल में प्रोडक्ट का सीरियल नंबर लिखा जाता है। या फिर प्रोडक्ट पर लिखे दूसरे नंबर से उसके ओरिजनल होने का पता लगाया जा सकता है। जैसे, वो प्रोडक्ट कब बना? किसी फैक्ट्री में बना? भारत में उसकी शिपिंग कब की गई? ऑनलाइन मिलने वाले कई प्रोडक्ट की कीमत ऑफलाइन मार्केट से ज्यादा भी हो सकती है, क्योंकि ग्राहक बाजार में जाते नहीं है, इससे उन्हें इसका पता नहीं चलता। यदि ऑफलाइन खरीदे गए किसी प्रोडक्ट में प्रॉब्लम आती है तब उसे आसानी से शॉर्टआउट भी किया जा सकता है।
क्या है ग्रे मार्केट प्रोडक्ट : अंशुल ने बताया कि कोई पुराना या सेकंड हैंड प्रोडक्ट किसी सेलर को बेच दिया जाता है। फिर वो सेलर उसी प्रोडक्ट को ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले किसी ग्राहक को बेच दे। यानी ग्राहक को नए पैकेट में पुराना या सेकंड हैंड आइटम मिलता है।