- हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर से दैनिक भास्कर ने टिकट वितरण और 75 प्लस के टारगेट जैसे मुद्दों पर खास बातचीत की
- खट्टर के मुताबिक- विधानसभा चुनाव में हमारी एकतरफा जीत होगी, किसी से कोई मुकाबला नहीं
- ‘हमने ऐसे लोगों को टिकट दिया है, जो राजनीति में नए जरूर हैं, लेकिन उनकी अपनी फील्ड में महारत’
Dainik Bhaskar
Oct 09, 2019, 09:22 AM IST
पानीपत. हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 75 प्लस का टारगेट रखा है। वोटिंग में अभी 12 दिन शेष हैं। कई सीटों पर नए चेहरों को टिकट देकर मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने जोखिम उठाया है। दैनिक भास्कर के हरियाणा-पंजाब के स्टेट एडिटर बलदेव कृष्ण शर्मा ने उनसे टिकट बंटवारा, बगावत, डैमेज कंट्रोल जैसे मुद्दों पर बातचीत की। राज्य की 90 विधानसभा सीटों के लिए 21 अक्टूबर को मतदान होगा। 24 अक्टूबर को नतीजे आएंगे।
सवाल : जिन सीटों पर भाजपा कभी नहीं जीती, आपने वहां ऐसे चेहरे उतार दिए, जिन्हें राजनीति में कोई नहीं जानता?
जवाब: हमने प्रयोग किया है, कई बार सफल होते हैं। 2014 में किसी ने सोचा था मनोहरलाल सीएम होंगे।
सवाल: आदमपुर, पुन्हाना, बरौदा, चरखी दादरी, पिहोवा में भारतीय जनता पार्टी का आज तक खाता नहीं खुला, फिर भी वहां नए और गैर राजनीतिक चेहरों को मौका दिया गया?
जवाब: हमने ऐसे लोगों को टिकट दिया है, जो राजनीति में नए जरूर हैं, लेकिन उनकी अपनी फील्ड में महारत है। नया प्रयोग किया है। प्रयोग सफल भी होते हैं। कई बार असफल भी हो जाते हैं। नए लोगों को राजनीति में आना चाहिए। भाजपा ने यही किया है।
सवाल: आदमपुर में भजनलाल परिवार के सामने टीवी स्टार सोनाली फौगाट को उतार दिया, क्या सही निर्णय है ?
जवाब: पार्टी ने सोच समझकर टिकट दिया है। वह कलाकार हैं। उनकी फैन फॉलोइंग है। टिक टॉक पर कला दिखाना भी क्या गलत है। कलाकार कहीं भी अपनी प्रतिभा दिखा सकता है। हमें भरोसा है, राजनीति में भी कला दिखाएंगी। रही बात भजनलाल परिवार की। भजनलाल ने तो अपनी साख बनाई थी, लेकिन अब देखिए होटल सीज हो गया है। घर से करोड़ों की मूर्तियां मिल रही हैं।
सवाल: टिकट वितरण के बाद पार्टी में बगावत हो गई, इसका नतीजों पर असर नहीं होगा ?
जवाब: हमने 12 विधायकों का टिकट काटा था। 11 चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। कापड़ीवास रह गए हैं। बगावत से नतीजे प्रभावित नहीं होंगे। बाहर के लोगों को टिकट दिया है, लेकिन हम जहां कभी नहीं जीते, वहां भी जीत के लिए कई बार विधानसभा की परिस्थिति देखनी पड़ती है।
सवाल: किस आधार पर 75 प्लस का टारगेट रखा है?
जवाब: हमारा प्रदेश में कहीं किसी से मुकाबला नहीं है। केवल कुछ जगह कांग्रेस मुकाबले में हो सकती है। हम अपने लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लेंगे।
सवाल: भाजपा परिवारवाद के खिलाफ थी। आपकी ही पार्टी के लोग पूछ रहे हैं कि उचाना से प्रेमलता को कैसे टिकट मिली , जबकि उनके बेटे ने भी लोकसभा चुनाव जीता था? बीरेंद्र सिंह का इस्तीफा भी स्वीकार नहीं हुआ?
जवाब: प्रेमलता पहले से विधायक थीं। बेटे को टिकट मिलने से पहले बीरेंद्र सिंह ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था, जो केंद्रीय नेतृत्व के पास है। राज्यसभा में संख्या के समीकरणों को देखते हुए अब तक इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है। यह होगा जरूर।
सवाल: दूसरी बार सीएम प्रत्याशी बनाए गए हैं, पहली बार सीएम बने, उससे पहले कभी सोचा था?
जवाब: नहीं कभी कल्पना नहीं की थी। जब संघ में थे तो राजनीति का क्षेत्र रुचि का नहीं था। तब देश सेवा का ही जज्बा था। क्या पता था हमें ही हरियाणा में पार्टी चलानी पड़ेगी। हां जब स्कूल में थे, तब कुछ अलग करने की सोचते थे। संघ से संपर्क हुआ, घर परिवार छोड़ा।
सवाल: आप कहते हैं मेहनत और किस्मत से टिकट मिलती हैं। कभी आप स्कूटर पर चलते थे, आज हेलिकॉप्टर पर चलते हैं। किस्मत का मतलब यही है?
जवाब: बात 2001 की है। जब नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम होते थे। उनका फोन आया, काॅरपोरेशन के चुनाव हैं, जल्दी अहमदाबाद आ जाओ। मैंने कहा, दो दिन लग जाएंगे, मोदी साहब बोले- एयरपोर्ट पहुंचाे, टिकट लो और दो घंटे में पहुंच जाओगे। वहीं से राजनीति की प्रेरणा मिली। मोदी की दूरदर्शिता देखी और लोगों के लिए काम करने की जागरूकता बढ़ती चली गई।
सवाल: आपने सुखबीर बादल को नाराज कर दिया। उन्होंने आपसे गठबंधन किया और आपने उनका ही एकमात्र विधायक तोड़ लिया।
जवाब: सुखबीर बादल से सद्भाव है। इस मसले को केंद्रीय नेतृत्व देख रहा है। शिरोमणि अकाली दल केंद्र में हमारा सहयोगी है।
सवाल: आप भगवद्गीता साथ रखते हैं, लेकिन राजनीति में तो झूठ भी बोलना होता होगा?
जवाब: हां मैं गीता को फॉलो करता हूं। हमारा गोल यह होता है कि हमने किस लिए बोला है, क्या बोला नहीं।
सवाल: कार्यकाल के 3 काम जो अपने अच्छे मानते हैं?
जवाब: पहला : बिना भेदभाव हरियाणा का विकास किया, जो डिजर्व करता था, उसी को दिया। चेहरा, नाम, जाति, इलाका आदि कभी नहीं देखा। वास्तव में इसी का नाम सरकार है। दूसरा- डिलीवरी: यानी हर स्कीम, सर्विस डोर स्टेप तक पहुंचाई है। कमीशन एजेंट खत्म किए हैं। तीसरा- ईमानदारी, हमने ईमानदारी बरती है और जनहित में जो है वही किया है।
सवाल: आपको मुकुट पहनाने पर इतना गुस्सा आ गया कि भेंट किए फरसे से गर्दन काटने की बात कह दी।
जवाब: यह हमारे कल्चर में नहीं है। हम साेने, चांदी आदि से दूर रहना चाहते हैं। मैं मानता हूं ऐसा कार्यकर्ता को नहीं करना चाहिए था और मुझे गुस्सा आ गया, मुझे भी गुस्सा नहीं करना चाहिए था।