- खापों का राजनीति में प्रभावी हस्तक्षेप रहा है, लेकिन इस बार दलों ने खापों को तवज्जो नहीं दी
- टिकट की उम्मीद में बैठे और पिछली बार चुनाव तक लड़ चुके खाप प्रधानों को टिकट नहीं मिली
Dainik Bhaskar
Oct 09, 2019, 09:35 AM IST
सोनीपत. खापों का राजनीति में प्रभावी हस्तक्षेप रहा है, लेकिन इस बार दलों ने खापों को तवज्जो नहीं दी। टिकट की उम्मीद में बैठे और पिछली बार चुनाव तक लड़ चुके खाप प्रधानों को टिकट नहीं मिला। भाजपा ने पिछली बार चुनाव लड़ने वाले मलिक खाप प्रधान बलजीत मलिक, सांगवान खाप प्रधान सोमवीर सांगवान को टिकट नहीं दिया। इनेलो से टिकट मांग रहे महम चौबीसी सर्वखाप प्रधान तुलसी ग्रेवाल को भी टिकट नहीं मिला।
जेजेपी ने जरूर लाडवा से सर्वखाप महिला अध्यक्ष संतोष देवी को उतारा है। पिछली बार इन्होंने बेरी से इनेलो ने लड़ाया था। महम चौबीसी सर्वखाप सीधे तौर पर चुनाव में उम्मीदवार उतारती रही है। स्व. देवीलाल को चुनाव लड़वाया और पंचायती उम्मीदवार भी जिताए। वहीं, कई खाप सीधे तौर पर राजनीति से दूरी बनाए हैं, लेकिन राजनीतिक लोग उनके यहां दस्तक देते हैं। हाल में विपक्ष को चौटाला परिवार को एकजुट करने के लिए दहिया खाप के एक प्रधान आगे आए तो दूसरे प्रधान ने उसकी प्रधानी पर ही सवाल उठा दिए।
विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो जाट बहुल क्षेत्र में जाट नेताओं का ही वर्चस्व रहता है। पिछले चुनावों में खापों का इफेक्ट था पर इस बार नहीं है। राजनीतिकरण होने से कम हो रहा सामाजिक प्रभाव: खाप पंचायतों का आज भी सामाजिक प्रभाव है। कई खाप राजनीति का शिकार होकर दो धड़ों में भी बंटी हैं। बहादुरगढ़ से किसान और खाप नेता के तौर पर रमेश दलाल करीब एक साल पहले भाजपा से इनेलो में शामिल हुए। पिछले दिनों इन्होंने विपक्षी दलों को एक करने का अभियान चलाया पर सफल नहीं हुए।
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