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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

अमिताभ ने इमोशनल वीडियो में कहा- लताजी के साथ रिश्ते की कोई संज्ञा नहीं, उनके बिना संगीत अधूरा

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  • Amitabh Bachchan Wishes Happy Birthday To Lata Mangeshkar With Emotional Video

  • लता मंगेशकर के 90वें जन्मदिन पर अमिताभ बच्चन ने फेसबुक पर एक वीडियो के जरिए शुभकामनाएं दीं
  • बिग बी ने कहा- लताजी के एक आलाप से मूर्तियां जीवित हो जाती हैं, उनके दौर में जन्म लेना मेरी खुशनसीबी

Dainik Bhaskar

Sep 28, 2019, 07:45 PM IST

बॉलीवुड डेस्क. स्वर कोकिला लता मंगेशकर के 90वें जन्मदिन पर अमिताभ बच्चन ने फेसबुक के जरिए शुभकामनाएं देते हुए अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने वीडियो शेयर कर लिखा, “लता मंगेशकर जी की 90वीं वर्षगांठ पर मेरे कुछ शब्द, कुछ भावनाएं आदर सहित।” इस इमोशनल वीडियो की शुरुआत में बिग बी ने लताजी को प्रणाम और चरण स्पर्श प्रेषित किया है। 

7 मिनट 10 सेकंड का अनमोल तोहफा

  1. अमिताभ बोले- अमर रिश्ते का नाम है लता

    वीडियो में बिग बी ने कहा, “लताजी जीवन में कई रिश्ते ऐसे होते हैं, जिनका कोई हिसाब नहीं होता। न देने वाले जानते हैं कि क्या-क्या दिया? और न लेने वाले जानते हैं कि क्या-क्या लिया? न कोई तोल-मोल होता है, न कोई गिनती होती है। न कोई व्यवहार होता है और न कोई सीमाएं होती हैं। ऐसे रिश्ते, जिनमें केवल आदर, सम्मान, अनंत प्रेम और श्रद्धा होती है। इन रिश्तों की संज्ञाएं नहीं होतीं। इन रिश्तों का कोई देह स्वरूप नहीं होता। ये रिश्ते अपनी परिभाषा स्वयं करते हैं। ऐसे ही एक अजर-अमर रिश्ते का नाम है लता दीनानाथ मंगेशकर।”

  2. ‘लताजी प्रशांत आत्मा की आवाज हैं’

    बिग बी के मुताबिक, वे अपना यह संदेश मराठी में देना चाहते थे। लेकिन अपनी मराठी सुनकर कभी-कभी खुद भी डर जाते हैं। इसलिए उन्होंने लताजी को शुभकामनाएं देने के लिए हिंदी का सहारा लिया। उन्होंने यह भी कहा है कि भाषा कोई भी हो, सभी में एक अजीब शर्त होती है कि केवल उतना ही कहो, जितने शब्द कह सकते हैं। उन्होंने कहा कि लताजी भाषाओं से मुक्त, निशब्द, रिश्तों की प्रशांत आत्मा की आवाज हैं। 

  3. ‘लताजी के दौर में जन्म मेरी खुशनसीबी’

    अमिताभ ने वीडियो में बताया कि जब उनका मन विचलित होता है तो वे बाबूजी (हरिवंश राय बच्चन) की कविताएं पढ़कर शांत हो जाते हैं। वे कहते हैं, “चंद शब्दों की कविता पूरी अस्थिर चेतना पर भारी पड़ जाती है। बस शर्त यह होती है कि मन उस कविता को स्वीकार करने की स्थिति में हो।” बिग बी के मुताबिक, मंदिरों में स्थापित मूर्तियों और घर में मेज पर रखी किताबों में यही समानता होती है। अगर भीतर की भाषा समझ में आए तो देवता हैं और न समझ में आए तो मिट्टी है। बिग बी कहते हैं कि लताजी के एक ही आलाप से वे मूर्तियां, वे किताबें, वे कलाचित्र सभी जीवित हो जाते हैं। वे लताजी के दौर में अपने जन्म को खुशनसीबी मानते हैं।

  4. ‘दैवीय शक्तियों का उपकार नहीं माना जाता’

    अमिताभ कहते हैं कि कुछ ऋण ऐसे होते हैं, जिनका विनिमय नहीं होता। बकौल बिग बी, “जब लताजी का कोई गीत, गजल या भजन सुनता हूं तो मन अपने बंद कमरे से निकलकर लताजी की आवाज के साथ चल पड़ता है और जब वापस लौटता है तो उसी धुन में रहता है, उसी लय में रहता है। जैसे उसे किसी संवेदना की जरूरत ही नहीं है। ये ऐसा ऋण है, जिसे हम किसी जीवन में नहीं चुका सकते। और फिर ऐसे ऋण चुकाए भी नहीं जाते। उन्हें सिर्फ शीष झुकाकर स्वीकार किया जाता है। मैं धन्यवाद कहूं, आभार कहूं, थैंक यू कहूं, लेकिन शब्दों से ये भावना व्यक्त नहीं होती। दैवीय शक्तियों का उपकार नहीं माना जाता। सरस्वती की पूजा होती है, सरस्वती का सत्कार नहीं होता।”

  5. ‘कुछ ऋणों का विनिमय नहीं होता’

    अमिताभ ने वीडियो में बताया कि उन्होंने अपने अब तक के जीवन में क्या सीखा है। वे कहते हैं, “77 वर्ष में मैंने यह सीखा है कि जिन ऋणों का विनिमय नहीं हो सकता, उनका सम्मान तुरंत करना चाहिए। चाहे जैसे हो सके, वैसे करो। टूटे-फूटे शब्दों में हो। चरण छूकर प्रणाम हो, हाथ जोड़कर नमस्कार हो। आधा-अधूरा ही क्यों न हो, लेकिन तुरंत होना चाहिए।”

  6. ‘आपने सुरों के बिना संगीत पूरा नहीं होता’

    अंत में बिग बी ने कहा, “लताजी आपने कला की अल्प आयु को अपने स्वरों से, मधुर तारों से जोड़कर उसे अमर कर दिया है। आपने सुरों के बिना संगीत पूरा नहीं होता। आज आपके जन्मदिन के इस शुभ अवसर पर मैं अपनी कृतज्ञता आपको सादर करता हूं, प्रणाम करता हूं। बहुत-बहुत शुभकामनाएं।”

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