- अमिताभ बच्चन को सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार दिया जाएगा
- अमिताभ को 5 दशक के करियर में चार बार राष्ट्रीय पुरस्कार और 2015 में पद्म विभूषण मिल चुका है
- दैनिक भास्कर ने बधाई दी तो अमिताभ ने कहा- कृतज्ञता, आभार, धन्यवाद… एक विनयपूर्ण, विनम्र…
Dainik Bhaskar
Sep 25, 2019, 08:52 AM IST
नई दिल्ली. अमिताभ बच्चन को सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिलेगा। 5 दशक के करियर में उन्हें चार बार राष्ट्रीय पुरस्कार और 2015 में पद्म विभूषण मिल चुका है। 76 साल की उम्र में भी वे एक साथ 8 फिल्मों में काम कर रहे हैं। मंगलवार रात दैनिक भास्कर ने बधाई दी तो अमिताभ ने कहा- कृतज्ञता, आभार, धन्यवाद… एक विनयपूर्ण, विनम्र…।
सलीम खान – बॉडी लैंग्वेज, अनुशासन और आत्मविश्वास से एंग्री यंग मैन दिलों में बसा
सलीम खान ने बताया, ‘जंजीर’ की मेरी कथा के एक परिपूर्ण नायक के तौर पर मैं अमिताभ की ओर देखता हूं। ‘जंजीर’ ने इतिहास रचा! आज भी कलाप्रेमियों को ‘जंजीर’ के अमिताभ याद हैं। उन्हें ‘एंग्री यंग मैन’ नाम इस फिल्म ने दिया, वह आज तक कलाप्रेमियों के दिलों पर राज कर रहा है। अमिताभ को दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिला, यह खबर आनंद देने वाली है। इस खबर की प्रतीक्षा मुझे पिछले कई बरस से थी। भारतीय फिल्मों का सफर अमिताभ के बिना पूरा हो ही नहीं सकता। आज भी अमिताभ जिस ताकत के साथ काम कर रहे हैं, वह अचंभित करता है। मुझे सबसे पहले अमिताभ के आत्मविश्वास ने प्रभावित किया। उनकी दैहिक भाषा, व्यक्तित्व और आत्मविश्वास से ही उनकी ‘एंग्री यंग मैन’ की तस्वीर लोगों के दिल में बैठी।
‘‘अमिताभ को जो भी यश मिला, उसका अहम कारण उनकी प्रतिभा ही है। अत्यंत टैलेंटेड, ऐसा यह अभिनेता है। वह एक ऐसा कलाकार है जो कहानी और संवादों को न्याय देता है। एक बात ध्यान में रखनी चाहिए। अमिताभ का अलगपन, उनकी ‘ऑर्गनाइज्ड’ और ‘अनुशासित’ जीवनशैली में ही शुमार हो गया है। सिनेमा जैसे रचनात्मकता में समय से परे जाने वाले क्षेत्र में भी अमिताभ बहुत ‘अनुशासित’ हैं। आज वे जिस शिखर पर हैं, उसके लिए उन्होंने एक लंबा सफर तय किया है।” – जैसा उन्होंने रवींद्र भजनी को बताया।
इतनी खूबियों के बावजूद बेपरवाह नहीं होते, वे सफलता पचा ले जाते हैं- जावेद अख्तर
जावेद अख्तर ने बताया, ‘‘मेरे ख्याल से जितनी खूबियां अमिताभ में हैं, उतनी आमतौर पर किसी एक इंसान में नहीं होतीं। इतना टैलेंट होने पर आदमी थोड़ा बिखरा सा हो ही जाता है, सफलता मिल जाए तो वे बेपरवाह हो जाते हैं। लेकिन अनुशासित अमिताभ बेशुमार सफलता पचा ले जाते हैं। उनके हर किसी से बेहद अच्छे संबंध रहे। मेरे ख्याल से जब उन्होंने मिड 80 में लीड रोल छोड़ कैरेक्टर रोल्स करने शुरू किए थे, उन्हें यह अवॉर्ड तभी मिल जाना चाहिए था। इस उम्र में भी वे हर फिल्म को ऐसे लेते हैं, जैसे उन्हें इसी से ब्रेक मिलने जा रहा है। वह आज भी स्कूली बच्चे की तरह डायलॉग रटते हैं। उसे यूं याद करते हैं कि डायलॉग को आखिरी लफ्ज तक उल्टा भी सुना दें। उनका जज्बा यह रहता है कि अगला सीन तय करेगा कि उनका एक्टिंग करियर आगे है कि नहीं।’’
‘‘यह जो फोकस है, वह उनके भीतर लगातार चल रहा है। ठीक उसी रफ्तार से, जैसे अपने पीक के दौर में था। अपने काम को परफेक्ट करने की उनमें जो तमन्ना है, वह बेमिसाल है। मुझे याद है कि जब कुली फिल्म की शूटिंग के दौरान उन्हें चोट लगी। तो वे उससे कैसे विजेता की तरह निकले। वे अपने स्वभाव से ही फाइटर रहे हैं। अमिताभ पर आरोप भी लगे तो उन्होंने काम से ही जवाब दिया, जुबान से नहीं।’’
– जैसा उन्होंने अमित कर्ण को बताया।