- एनआरसी के स्टेट कोऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला के मुताबिक, अंतिम सूची से 19 लाख 6 हजार 657 लोग बाहर हुए
- एनआरसी की अंतिम सूची में वे लोग भी शामिल, जिन्होंने कोई दावा पेश नहीं किया था
- पुष्कर में संघ की बैठक में एनआरसी, आरक्षण और अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले पर चर्चा हुई
Dainik Bhaskar
Sep 10, 2019, 09:01 AM IST
जयपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने सोमवार को असम में जारी नेशनल सिटिजन रजिस्टर (एनआरसी), आरक्षण और अनुच्छेद 370 पर बयान दिया। दत्तात्रेय ने कहा कि एनआरसी में बहुत सारी खामियां हैं, जिन्हें दूर करने के बाद ही आगे बढ़ना चाहिए। खामियों के कारण ही कई घुसपैठिए आधार और मतदाता कार्ड के जरिए अंतिम सूची में नाम शामिल कराने में सफल रहे हैं।
राजस्थान के पुष्कर में संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक का सोमवार को समापन हो गया। इसी दौरान दत्तात्रेय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि घुसपैठियों को बाहर निकालने की सख्त जरूरत है। साथ ही एनआरसी में मौजूद खामियों को दूर करने के लिए भी मोदी सरकार को आगे आना चाहिए। समन्वय बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल हुए थे।
एनआरसी पर कई लोगों ने सवाल उठाए
दत्तात्रेय ने कहा कि बैठक में एनआरसी को लेकर कई लोगों ने सवाल उठाए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण असम सरकार को कम समय में यह काम करना था। यह आसान नहीं था। इस रिपोर्ट में कुछ कमियां भी हो सकती हैं। उन्हें दूर करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि, असम सरकार ने जो किया, हम उसका स्वागत करते हैं।
आरक्षण जारी रहना चाहिए: आरएसएस
दत्तात्रेय ने आरक्षण को लेकर कहा कि जब तक समाज में असमानता और विषमता रहेगी, तब तक आरक्षण की आवश्यकता बनी रहेगी। जब ऐसा लगेगा कि समाज में विषमता खत्म हो गई, तब आरक्षण को समाप्त करने पर विचार किया जाएगा। फिलहाल, दलित और वंचित वर्ग को आरक्षण की जरूरत है, यह जारी रहना चाहिए।
कश्मीर में जो हुआ, वह राष्ट्रहित में जरूरी
जम्मू-कश्मीर और अनुच्छेद 370 को लेकर दत्तात्रेय ने कहा कि वहां राज्य में जो कुछ हुआ, वह राष्ट्रहित में किया गया। इसके अलावा गृह मंत्रालय ने काफी कुछ सोच समझकर और जानकारी के आधार पर कश्मीर में ऐसे नेताओं को नजरबंद करने का फैसला किया, जो अपने स्वार्थ के लिए जनता को उकसा रहे थे।
अंतिम सूची 31 अगस्त को जारी हुई थी
एनआरसी की अंतिम सूची 31 अगस्त को जारी हुई थी। एनआरसी के स्टेट कोऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला के मुताबिक, सूची से अब भी 19 लाख 6 हजार 657 लोग बाहर हैं। इसमें वे लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने कोई दावा पेश नहीं किया था। 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार 4 लोगों को वैध करार दिया गया है। अगर कोई लिस्ट से सहमत नहीं है तो वह फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में अपील कर सकता है।