- ट्रम्प ने इमरान खान की अमेरिका यात्रा के दौरान 22 जुलाई को पहली बार मध्यस्थता की पेशकश की थी
- उन्होंने कश्मीर मुद्दे को लेकर यही प्रस्ताव 2 अगस्त और 23 अगस्त को भी दोहराया था
- प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रम्प के साथ बैठक के दौरान कहा था- कश्मीर को लेकर हम किसी को कष्ट नहीं देना चाहते
Dainik Bhaskar
Sep 10, 2019, 09:58 AM IST
वॉशिंगटन. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से ही पाकिस्तान और भारत के संबंधों में तल्खी है। कश्मीर मुद्दे पर तीन बार मध्यस्थता की पेशकश कर चुके अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को एक बार फिर दोनों देशों की मदद करने का प्रस्ताव दोहराया। साथ ही उन्होंने कहा कि दो हफ्तों में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पहले से कम हुआ है।
फ्रांस में 26 अगस्त को जी-7 समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रम्प के बीच बैठक हुई थी। दोनों नेताओं के बीच कश्मीर मसले पर भी बात हुई। इस दौरान मोदी ने ट्रम्प के सामने संवाददाताओं से कहा था कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मसला है और हम दुनिया के किसी भी देश को इस पर कष्ट नहीं देना चाहते। इसके दो हफ्तों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति का यह बयान आया है।
मेरे दोनों देशों से अच्छे रिश्ते: ट्रम्प
राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा, ‘‘जैसा कि आप जानते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर को लेकर टकराव जारी है। मेरे दोनों देशों से अच्छे संबंध हैं। मैं उनकी मदद करना चाहता हूं और वे यह जानते हैं।’’
भारत ने ट्रम्प के मध्यस्थता के प्रस्ताव को खारिज किया था
फ्रांस में हुई बैठक में ट्रम्प ने कहा था कि भारत और पाकिस्तान मिलकर अपनी समस्याएं सुलझा सकते हैं। इससे पहले ट्रम्प ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि कश्मीर एक जटिल स्थिति है। दोनों देशों के बीच बड़ी परेशानियां दशकों से चली आ रही हैं। इसे सुलझाने के लिए मैं मध्यस्थता कर सकता हूं या फिर कुछ और बेहतर।
इमरान खान के अमेरिकी दौरे पर ट्रम्प ने मध्यस्थता की बात कही थी
पाक प्रधानमंत्री इमरान खान की अमेरिका यात्रा के दौरान ट्रम्प ने 22 जुलाई को मध्यस्थता की पेशकश की थी। उन्होंने यही प्रस्ताव 2 अगस्त और 23 अगस्त को दोहराया था। इमरान के अमेरिका दौरे पर ट्रम्प ने कहा था कि मोदी दो हफ्ते पहले उनके साथ थे और उन्होंने कश्मीर मामले पर मध्यस्थता की पेशकश की थी। हालांकि, भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर ट्रम्प के दावे को गलत बताया था। भारत सरकार की ओर से कहा गया था कि प्रधानमंत्री मोदी और ट्रम्प ऐसी कोई बात नहीं हुई।