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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

गोली लगने से गंभीर जख्मी मरीज को फोर्टिस में मिली नई जिंदगी

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चंडीगढ़,सुनीता शास्त्री। पटियाला निवासी 36 वर्षीय नरेंद्र आहूजा ने फोर्टिस हॉस्पिटल में पाई नई जिंदगी । फायरिंग की एक घटना में उन्हें किडनी, लीवर, दाएं फेफड़े, गर्दन और आस-पास के इलाकों में गंभीर जख्मों के कारण जान का खतरा हो गया था। उन्हें काफी गंभीर हालत में फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली में लाया गया था। जांच के बाद फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली में डॉक्टरों को एक टीम ने करीब 4 घंटे तक उनकी सफल सर्जरी की और उनको लगी तीन गोलियां शरीर से बाहर निकाल ली गई, जिससे उनकी जान बचा ली गई। पंजाब के राजपुरा में एक विवाद के दौरान उनकी हत्या के प्रयास में घायल हुए इस मरीज को स्थानीय स्तर पर प्राथमिक उपचार दिया गया। चूंकि उनकी हालत गंभीर थी और तेजी से बिगड़ रही थी, इसलिए वहां के डॉक्टरों ने उन्हें हाई और बेहतर सुविधाओं से सुसजित अस्पताल में ले जाने की सलाह दी। उन्हें तुरंत फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली में ले आए। डॉ.अतुल एस. जोशी, डायरेक्टर, सर्जरी टीम, जो फोर्टिस अस्पताल, मोहाली में उनका इलाज शुरू करने के लिए काफी मेहनत की, ने कहा कि उनकी हालत काफी खराब थी। जब उनको फोर्टिस में लेकर आया गया तब तक वह काफी गंभीर तौर पर घायल हो चुके थे। आज यहां चंडीगढ़ढ़प्रेस क्लब में मीडियाकर्मियों से बात कर रहे थे।मरीज को सांस लेने में कठिनाई हो रही थी, क्योंकि गर्दन में लगी एक गोली विंडपाइप या एयरवे के पास काफी मुश्किल पैदा कर रही थी, जिससे उनकी सांस उखड़ड़रही थी। उनके सीने और पेट में कई बार जोर से मारा गया था, जिससे उनके शरीर के अंदर काफी खून बह रहा था। जबकि एक कैथेटर को उसके मूत्राशय के अंदर रखा गया था जब उन्हें ट्राइएज में रिवाइव करने का प्रयास किया जा रहा था। उनके मूत्र में रक्तस्राव देखा गया। ऑपरेशन थियेटर के रास्ते में ही काफी तेजी से उनका शुरुआती सीटी स्कैन किया गया और किडनी, लीवर, दाहिने फेफड़े गर्दन और आस-पास के इलाकों में गंभीर चोटों का आकलन किया गया और देखा गया कि किस की क्या हालत है। उनको ऑपरेशन रूम, इंटेसिव केयर में लेकर जाने के दौरान ही सभी स्पेशलिस्ट्स ने उनको काफी तेजी से देखा और संभावित इलाज का आकलन किया, इस दौरान इंटेसिव कीयर में टीम की तैयारी के साथ ही थोरैसिक सर्जरी, यूरोलॉजी, वस्कुर्लर सर्जरी, ईएनटी, स्पाइन सर्जरी के लिए तैयारी की गई। सभी स्पेशलिस्ट्स अपना आप काम करने के लिए तैयार थे। उनकी सर्जरी के लिए जरूरी सभी ब्लड प्रोडक्ट्स को भी ब्लड बैंक से तुरंत उपलब्ध करवाया गया। स 4 घंटे की सफल सर्जरी के बाद, जिसमें तीन गोलियां निकाली गईं और उसके बाद मरीज को लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। उनकी किडनी, लिवर और आंतों में इंटरवेंशन करने की जरूरत थी। इस सभी प्रक्रियाओं के बाद मरीज को जल्द ही वेंटिलेटर से बाहर निकाला जा सकता था। इन सभी किए गए प्रयासों के परिणामस्वरूप, रोगी ने तेजी से रिकवरी प्राप्त की और अस्पताल में 12 दिन बिताने के बाद उनको घर जाने की अनुमति दे दी गई।