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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

जस्टिस राकेश बोले- अगर भ्रष्टाचार को उजागर करना अपराध है, तो मैंने अपराध किया

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  • पटना हाईकोर्ट ने जस्टिस राकेश कुमार के न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को लेकर दिए गए आदेश को सस्पेंड कर दिया
  • 11 जजों की स्पेशल बेंच ने जस्टिस राकेश के आदेश को अनैतिक बताया
  • जस्टिस राकेश बोले- अपने आदेश पर कोई पछतावा नहीं, जिन जजों पर आरोप है, वही चीफ जस्टिस के साथ बैठकर फैसला दे रहे 

Dainik Bhaskar

Aug 30, 2019, 09:25 AM IST

पटना (बिहार).  पटना हाईकोर्ट ने अभूतपूर्व कदम उठाते हुए जस्टिस राकेश कुमार के बुधवार को न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को लेकर दिए गए आदेश को सस्पेंड कर दिया। गुरुवार को चीफ जस्टिस एपी शाही की अध्यक्षता में बैठी 11 जजों की स्पेशल बेंच ने अपने फैसले में कहा- ‘‘जस्टिस राकेश कुमार ने अनैतिक काम किया। उनके आदेश से न्यायपालिका कलंकित हुई।’’ उधर, जस्टिस राकेश कुमार ने कहा, ‘‘अगर भ्रष्टाचार को उजागर करना अपराध है, तो मैंने अपराध किया है।’’ दरअसल, जस्टिस कुमार ने हाईकोर्ट में भ्रष्टाचार का मामला उठाकर जांच के आदेश दिए थे। आदेश की कॉपी, सीजेआई, सीबीआई और पीएमओं को भेजने को कहा था। 

जस्टिस राकेश कुमार ने कहा, ‘‘मैंने जो किया है, उसके लिए मुझे कोई भी पछतावा नहीं है। मुझे जो सही लगा, मैंने वही किया। मैंने अपने आदेश में जिन पर आरोप लगाया है, उन्हीं में से कुछ जज चीफ जस्टिस के साथ स्पेशल बेंच में सुनवाई की। मैं अपने स्टैंड पर कायम हूं और किसी भी स्थिति में भ्रष्टाचार से समझौता नहीं करूंगा। अगर चीफ जस्टिस को लगता है कि वे मुझे न्यायिक कार्य से अलग रखकर खुश हैं, तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है। क्योंकि न्यायिक कार्य आवंटित करने का अधिकार उनका है। मैंने केवल अपने संवैधानिक दायित्व का पालन किया है। किसी के प्रति मेरे मन में दुर्भावना नहीं है।’’ 

बेंच ने कहा- जस्टिस राकेश के आदेश से न्यायपालिका की गरिमा गिरी
11 जजों की स्पेशल बेंच ने गुरुवार को कहा, ‘‘उनका (जस्टिस राकेश कुमार का‌) आदेश न्यायपालिका का नहीं, बल्कि गली के नुक्कड़ की नारेबाजी है। संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से ऐसी अपेक्षा नहीं होती है। उनके आदेश से न्यायपालिका की गरिमा और प्रतिष्ठा गिरी है। उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर एक निष्पादित मामले में आदेश पारित कर बहुत गलत किया।’’

चीफ जस्टिस का कहना था कि हम समाचार पत्रों में जस्टिस राकेश के आदेश को लेकर छपी खबरों को देखकर हतप्रभ हैं। स्पेशल बेंच में जस्टिस विकास जैन, जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह, जस्टिस प्रभात कुमार झा, जस्टिस अंजना मिश्रा, जस्टिस आशुतोष कुमार, जस्टिस बीरेंद्र कुमार, जस्टिस विनोद कुमार सिन्हा, जस्टिस डॉ. अनिल कुमार उपाध्याय, जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद और जस्टिस एस.कुमार शामिल थे। इस बीच, हाईकोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस राकेश कुमार को फिलहाल केस की सुनवाई करने से भी रोक दिया गया है। 

जस्टिस राकेश ने फैसले में लिखा था- भ्रष्ट जजों को हाईकोर्ट का संरक्षण
जस्टिस कुमार ने बुधवार को पूर्व आईएएस अधिकारी केपी रमैया के मामले की सुनवाई कर रहे थे। इसी दौरान अपने आदेश में सख्त टिप्पणियां करते हुए उन्होंने लिखा- पटना के जिस एडीजे के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला साबित हुआ, उन्हें बर्खास्त करने की बजाय मामूली सजा दी गई, क्यों? हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस और अन्य जजों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरे विरोध को दरकिनार किया। लगता है हाईकोर्ट प्रशासन ही भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को संरक्षण देता है। 

दरअसल, जस्टिस कुमार ने कहा कि पटना सिविल कोर्ट में हुए स्टिंग ऑपरेशन के दौरान सरेआम घूस मांगते कोर्ट कर्मचारियों को पूरे देश ने देखा। लेकिन ऐसे भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मियों के खिलाफ आजतक एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई, जबकि हाईकोर्ट के ही एक वकील पीआईएल दायर कर पिछले डेढ़ साल से एफआईआर दर्ज करने की गुहार लगा रहे हैं।

राज्य सरकार ने जस्टिस राकेश को पुलिस मामलों पर एडवाइजरी बोर्ड का अध्यक्ष बनाया 
राज्य सरकार ने पुलिस मामलों पर एडवाइजरी बोर्ड का पुनर्गठन करते हुए जस्टिस राकेश कुमार को अध्यक्ष बनाया है। जस्टिस ज्योति शरण की सेवानिवृत्ति की वजह से यह बदलाव किया गया। बोर्ड में दो रिटायर जज जस्टिस आदित्य नारायण चतुर्वेदी और जस्टिस रेखा कुमारी सदस्य बने हैं। एडवाइजरी बोर्ड बिहार कंट्रोल ऑफ क्राइम 1981, नेशनल सिक्युरिटी एक्ट 1980 और कंजर्वेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज एंड प्रिवेंशन ऑफ स्मगलिंग एक्टिविटी 1974 से जुड़े मामलों पर सरकार को सलाह देता है।