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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

विद्या बालन बोलीं, मौजूदा दौर में धर्म को जिस तरह परिभाषित किया जा रहा, वह समस्या पैदा करने वाला

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  • बॉलीवुड अभिनेत्री विद्या बालन ने कहा, विज्ञान और धर्म को अलग नहीं कर सकते

Dainik Bhaskar

Aug 18, 2019, 07:20 PM IST

बॉलीवुड डेस्क. इन दिनों बॉलीवुड अभिनेत्री विद्या बालन अपनी फिल्म मिशन मंगल के प्रमोशन में लगी हैं। इस दौरान वे अलग-अलग इवेंट्स में पहुंच रही हैं और अलग-अलग विषयों पर अपना मत भी रख रही हैं। हाल ही में एक इवेंट में उन्होंने कहा कि विज्ञान और धर्म एक-दूसरे के खिलाफ खड़े होने के बजाए सह-अस्तित्व में हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति की कई पहचान हो सकती हैं लेकिन आज के दौर धर्म को जिस तरह से परिभाषित किया जा रहा है, वह समस्या पैदा करने वाला है। 

लोग खुद को धार्मिक कहते से कतराते हैं
उन्होंने कहा कि, मैं ऐसे बहुत से लोगों को जानती हूं जो खुद को धार्मिक कहने से कतराते हैं और मैं उन्हीं में से एक हूं। वे कहती हैं कि मैंने यह हमेशा महसूस किया है कि मैं खुद को धार्मिक नहीं बताना चाहती हूं। मैं हमेशा खुद को आध्यात्मिक कहती हूं। एक न्यूज एजेंसी को इंटरव्यू देते हुए उन्होंने कहा कि, धार्मिक एक नकारात्मक संकेत देता है, क्योंकि धार्मिक होना असहिष्णु होने का पर्याय बन चुका है। फिल्म मिशन मंगल में विद्या जिस कैरेक्टर में हैं, इसमें वे विज्ञान के बाहर भी एक ताकत में यकीन रखती हैं। 

आप बनाम मैं की लड़ाई
विद्या ने कहा कि सिर्फ हमारे ही देश नहीं बल्कि दुनियाभर में ‘आप बनाम मैं’ की लड़ाई है, इसने बीते कुछ दिनों में हम की फीलिंग को कमजोर किया है। मुझे आश्चर्य होता है कि ऐसा क्यों? बता दें कि, विद्या ने फिल्मी पर्दे पर अपने किरदार को जीवंत करने के लिए काफी मेहनत की है। उन्होंने बताया कि, निदेशक जगन शक्ति की बहन इसरो में काम करती हैं, मैंने उनसे बात की। यह बात समझना जरूरी थी कि वे साइंटिस्ट जैसे चुनौतीपूर्ण नौकरी और घर के कामकाज के बीच संतुलन कैसे बैठा लेती हैं। वे कहते हैं कि जगन सैकड़ों वैज्ञानिकों से मिले और उन्होंने मिशन से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी जुटा ली थी। 

राष्ट्रवाद सिनेमा में होना चाहिए सिनेमा हॉल में नहीं
राष्ट्रवाद और सिनेमा के एकीकरण के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि, राष्ट्रवाद सिनेमा में होना चाहिए लेकिन सिनेमा हॉल में नहीं। राष्ट्रगान के लिए हमें उठना नहीं पड़ता। ऐसी बहुत सी चीजें हैं, जिन पर भारतीय गर्व कर सकते हैं लेकिन उन्हें हमें जरूरी तौर पर करना नहीं होता। जब आप दुनिया में यात्रा करते हैं, तो पाते हैं कि रंग, धरोहर, प्राकृतिक सौंदर्य में भारत बहुत समृद्ध है। इसलिए हमें अपने राष्ट्र का आनंद लेने की जरूरत है।