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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

कंगना, ऋतिक ने साझा की 15 अगस्त से जुड़ी बचपन की यादें, कुछ ने दिया खास संदेश

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Dainik Bhaskar

Aug 15, 2019, 07:48 AM IST

बॉलीवुड डेस्क. आज पूरा देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। देश का हर नागरिक देशभक्ति के रंग में रंगा हुआ है। ऐसे में बॉलीवुड स्टार्स देशभक्ति दिखाने से पीछे कैसे रहते? इन्होंने स्वतंत्रता दिवस के एक दिन पहले ही इस दिन से जुड़ी अपनी बचपन की यादें ताजा कर ली। ऋतिक रोशन, आयुष्मान खुराना, श्रद्धा कपूर और कंगना रनोट ने स्वतंत्रता दिवस पर अपनी बचपन के किस्से साझा किए…   

आजाद मुल्क में पैदा हुए बच्चों के लिए आजादी के मायने समझ पाना बहुत मुश्किल है : ऋतिक रोशन

  1. इंडिपेंडेंस डे पर बचपन की बात करें तो स्कूल से मिलने वाली छुट्टियां याद आती हैं। मजा आता था तब। मेरे ख्याल से एक आजाद मुल्क में पैदा हुए बच्चों के लिए आजादी के मायने समझ पाना बहुत मुश्किल है। मैं भी जब इस बारे में सोचने बैठता हूं तो थोड़ा बहुत मायनों को समझ पाता हूं। एहसास हो पाता है कि हम फ्री कंट्री में रह रहे हैं। ऐसे माहौल में आज की जनरेशन पर सेंस ऑफ ग्रैटिट्यूड की जगह सेंस ऑफ रेस्पॉन्सिबिलिटी डालने से बात बनेगी। आज आप बहुत कुछ कर सकते हो क्योंकि अब हमारे पास फ्रीडम है। कल नहीं थी और पता नहीं कल हो या न हो। तो सोसायटी, सिस्टम और पर्यावरण की बेहतरी के लिए आप क्या कर सकते हो अभी, वह सबसे जरूरी है। हम आप सब यहां  देश के लिए कॉन्ट्रिब्यूट करने के लिए हैं। तो यह सेंस ऑफ सर्विस को ऑब्जर्व करना बहुत जरूरी है। तो हम सब जब आजाद माहौल में हैं तो जिस किसी चीज को हम सर्व करें, हमें उसमें अपना बेस्ट देना चाहिए। यह पहलू सबके जहन में डालना चाहिए। हमारे पास जब अवसरों की आजादी है, फिर भी अपना बेस्ट अगर नहीं दे रहे तो वह सवाल अपने आप से होना चाहिए।
     

  2. देश मां नहीं बच्चे की तरह है, जिसे क्रिटिकली देखने की जरूरत है: आयुष्मान

    आजादी के मायने तो मेरे लिए यह हैं कि आप अपने देश को कैसे सुधार सकते हैं। देश से बिना सोचे समझे हर हाल और सिचुएशन में प्यार करना मेरी समझ में तो नहीं आता। अपने देश के लिए कुछ करना है तो उसे क्रिटिकली देखना होगा। वह आप का सबसे बड़ा देशप्रेम है। लोग देश को भारत मां या मदर लैंड के तौर पर संबोधित करते हैं, पर मेरा मानना है कि वह प्यारे बच्चे की तरह है। उसे बहुत ज्यादा लाड़ प्यार से पालेंगे तो उसके बहकने और बिगड़ने के चांसेज रहेंगे। आप एक तरीके से उसे संभालें तो वह जरूरी है। स्कूल और कॉलेज में तो सेलिब्रेशन होता था। यहां अब मुंबई में हाउसिंग सोसायटी वाले मनाते हैं तो वह भी अच्छा लगता है। 

  3. प्यार और शांति फैलाना ही देशभक्ति है: श्रद्धा कपूर

    स्कूली दिनों में तो फ्लैग होस्टिंग में काफी मजा आता था। पेट्रियोटिक फिल्में भी देखा करते थे उस दिन। चक दे इंडिया मेरी फेवरेट पेट्रियोटिक फिल्म है। प्यार और शांति फैलाना मेरे ख्याल से सबसे बड़ी देशभक्ति वाला काम है। एकता में बल है। उसे फॉलो करना बहुत जरूरी है। देशभक्ति कोई यूनिवर्सल वैल्यू (मूल्य) नहीं है, जैसे कि सत्य, मानवता, न्याय, समानता होती है। देशभक्ति भावना है। और भावनाएं जो भड़काई जा सकती हैं, जिन्हें सिस्टम कथित ‘दुश्मनों’ को कुचलने के लिए इस्तेमाल करता है। ऐसे में जहां भावनाएं उफ़न रही हों वहां तथ्य और तर्क का क्या काम? ये ऐसी भावना है जिसमें डूबा व्यक्ति दुश्मन अगर सामने न हो तो उसे खोजने लगता है, क्योंकि उसके बिना वो लड़ेगा किससे?

  4. खुद और देश दोनों को संभालने की बहुत जरूरत है: कंगना रनोट

    हर 15 अगस्त पर हमलोग ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ जैसे देशभक्ति के गाने तैयार किया करते थे। एक अलग उमंग रहती थी। अब हालात दूसरे हैं। मेरा मानना है कि हमारी जेनरेशन पर देश की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। दुख होता है यह देखकर कि युवाओं की बड़ी तादाद ड्रग्स में लिपटी पड़ी है। सही रास्ते से भटक रहे हैं। नशीले पदार्थों का बहुत ज्यादा सेवन कर रहे हैं। हम अलार्मिंग रेट को छू रहे हैं। मेरा यह मानना है कि हम खुद को पहले संभाले। उसके बाद देश को संभाल सकेंगे। जल संकट तो मंडरा ही रहा है। पेड़, पौधों की कमी तो पर्यावरण का संतुलन बिगाड़ ही रही है। अगर इन पर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो अगली से पहले हमारी मौजूदा जेनरेशन ही क्राइसिस के गहरे दलदल में होगी। कावेरी सूख चुकी है। वह रेतीली जमीन भर रह गई है। मनाली में महज दो महीने के लिए टूरिस्ट्स आते हैं। उतने टाइम में ही वे 2000 टन प्लास्टिक छोड़ जाते हैं। ऐसा लगता है कि मर ही जाते तो अच्छा था। 

  5. डिजिटल आजादी पर स्टार्स ने की बात

    अनुराग कश्यप ऐसे निर्देशक और निर्माता है जो हमेशा हर सामाजिक मुद्दों के बारे में बात करते है और उनका नजरिया लोगों के सामने रखने के लिए जाने जाते है। कई बार उनको उनके मतों की वजह से विवाद और ट्रोल्स का सामना करना पड़ा है। कुछ दिन पहले ही उन्होंने ट्विटर को अलविदा कह दिया। ये फैसला उन्होने बेटी आलिया को मारने और रेप धमकी मिलने के बाद लिया। अनुराग समेत अन्य सेलेब्स ने डिजिटल आजादी और आज के वक्त में आज के वक्त में आजादी के मायनों पर बात की।

     

     

     

  6. सभी को अपनी बात रखने का बराबर अधिकार हो: अनुराग कश्यप

    स्वतंत्रता दिवस पर आजादी को लेकर अनुराग कहते हैं- ‘हमेशा से ही जनता की आवाज को दबाया गया है और मुझे लगता है कि पावर में बने रहने के लिए वही होता है। मैं एक आजाद आदमी हूं। स्वतंत्रता  या आवाज उठाने का अधिकार हमें आसानी से कभी नहीं मिलेगा उसके लिए हमेशा लड़ना होता है। जो व्यक्ति हुकूमत में है वह हुकूमत में रहना चाहेगा। अगर आपको निष्पक्ष दुनिया में रहना है तो आपको उसे मांगना ही पड़ेगा। हम लोग फिल्म इंडस्ट्री से हैं इसलिए हमारे मतों के बारे में चर्चा होती है और हम पर काउंटर अटैक भी ज्यादा होता है। हर एक इंसान को सर्वाइव करके खुदकी रक्षा करने का अधिकार है। अगर ट्रोल की बात करें तो ट्रोलर को सर्वाइव करने का अधिकार है तो हमें भी यही अधिकार है।’

  7. स्वतंत्रता सैनानियों को हमेशा याद रखना चाहिए: नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी

    नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी स्वतंत्रता दिवस पर खुदके विचार बताते हुए कहते है, ‘स्वतंत्रता दिवस काफी महत्वपूर्ण दिवस है, हमारे देश को इस दिन आजादी मिली थी इस बात को हमें कभी भूलना नहीं चाहिए। मैं हमेशा इस दिन पर बहुत गर्वित  महसूस करता हूं क्योंकि यही वह दिन है जब हमें आजादी मिली थी और आज हम जो कुछ भी है उसी वजह से हैं। आजादी मिलने के लिए हमारे देश के कई नेताओं ने काफी कड़ी महनत की थी। हमें हमेशा ही उनको याद करना चाहिए और उनको इस दिन के लिए शुक्रिया  कहना चाहिए।’

  8. देश के उज्वल भविष्य को लेकर विचार करना चाहिए: आर. बाल्की  

    निर्माता निर्देशक आर. बाल्की  कहते है, ‘सिर्फ आजादी का जश्न मनाके ही इस दिन को सेलिब्रेट नहीं करना चाहिए, बल्कि स्वतंत्रता का असली मतलब भी समझना चाहिए। हमें इस चीज को महसूस करना चाहिए कि हमें आजादी कैसे मिली और इसके लिए हमारे लोगों ने कितना संघर्ष किया। जो आजादी मिली है उसे अपनी बेवकूफी से बर्बाद नहीं करना चाहिए। हमारा ध्यान हमेशा ही तरक्की करें इस बारे में सोचना चाहिए। हम अपने बच्चों को या आने वाली पीढ़ी को एक बेहतर राष्ट्र दे सकें इस बारे में विचार करना चाहिए।’

     

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