- पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा की नेता सुषमा स्वराज का चंडीगढ़ से रहा है खास नाता
- पढ़ाई के दौरान जेपी मूवमेंट से सुषमा भी जुड़ीं और प्रोटेस्ट में पार्टिसिपेट किया
Dainik Bhaskar
Aug 07, 2019, 04:57 AM IST
चंडीगढ़ (ननु जोगिंदर सिंह). पीयू के डिपार्टमेंट ऑफ लॉ की पूर्व स्टूडेंट सुषमा स्वराज सबसे पहले यूनिवर्सिटी कैंपस में 1969-70 में ऐसी बाली और केके ग्रोवर हिंदी भाषण प्रतियोगिता में पार्टिसिपेट करने के लिए अंबाला से आई थीं। उस समय में वे सनातन धर्म कॉलेज अंबाला में पढ़ रही थीं, जो पंजाब यूनिवर्सिटी से ही एफीलिएटेड था।
उन्होंने दोनों ही कंपीटिशन जीते। डिपार्टमेंट ऑफ हिंदी की ओर से हर साल होने वाले इस कंपीटिशन में यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड सभी कॉलेजों के स्टूडेंट्स पार्टिसिपेट करते हैं। सफाई के दौरान डिपार्टमेंट में उनकी इस कंपीटिशन को जीतने की 2 तस्वीरें मिली थी, जिनको बीते साल जुलाई में डिपार्टमेंट के चेयरपर्सन डॉ. गुरमीत सिंह दिल्ली लेकर आए। दिल्ली के जवाहर भवन में सुषमा स्वराज ने स्टूडेंट से काफी देर तक बातचीत की और हंसते हुए हुए कहा कि ‘वे तस्वीरें तभी लेंगे, जब उनकी होंगी’। इसके बाद उन्होंने फोटो देखीं।
दैनिक भास्कर के कॉलम में बातचीत के दौरान उनके पूर्व टीचर ने बताया था कि सुषमा हर डिबेट की जान हुआ करती थीं। लगभग सभी डिबेट कंपीटिशन में पार्टिसिपेट करतीं और जीतती भी। उस समय तक यूनिवर्सिटी में एक ही स्टूडेंट संगठन हुआ करता था पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन (पीएसयू)। पीएसयू के विरोध में पीयू स्टूडेंट्स यूनियन का गठन बहुत साल बाद हुआ। बाकी कोई स्टूडेंट संगठन एक्टिव नहीं था।
कभी भी स्टूडेंट्स यूनियन के इलेक्शन में उन्होंने पार्टिसिपेट नहीं किया। लेकिन उन्हीं दिनों जेपी मूवमेंट से सुषमा भी जुड़ीं और प्रोटेस्ट में पार्टिसिपेट किया। उनके ससुर पीयू में ही डिप्टी रजिस्ट्रार के पद से रिटायर हुए। वे सबसे छोटी उम्र की सांसद बनीं और पहली महिला नेता विपक्ष। यूनिवर्सिटी की सीनेट उनको इस उपलब्धि पर बधाई देना ही भूल गई थी, लेकिन पूर्व सांसद सत्यपाल जैन के याद कराने पर यूनिवर्सिटी ने उनको बधाई दी।
पीयू से मिली ऑनरेरी डिग्री: 2011 की कन्वोकेशन में पीयू के तत्कालीन वीसी प्रो. सोबती ने सुषमा स्वाराज को ऑनरेरी डिग्री दी थी। उस समय चीफ गेस्ट हामिद अंसारी थे। इसी प्राग्रोम में पवन बंसल को भी ऑनरेरी डिग्री देने का प्रस्ताव था, जो उन्होंने लेने से मना कर दिया था।