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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

हिमाचल का मड़ावग गांव सेब से बना सबसे अमीर, सबकी आय 70 लाख रुपए से ऊपर

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  • एशिया के सबसे अमीर गांवों में शामिल, हर परिवार की सालाना आमदनी 70 से 75 लाख रु.
  • 1800 की आबादी वाले इस गांव से इस साल करीब 7 लाख पेटी सेब निकलेंगे

Dainik Bhaskar

Aug 05, 2019, 07:58 AM IST

शिमला (अधीर रोहाल/अनिल ठाकुर).  शिमला से 92 किलोमीटर दूर 7774 फीट ऊंचाई पर बसे मड़ावग गांव में न कोई उद्योगपति है और न ही नामी कंपनियाें में ऊंचे ओहदों पर बैठे लोग, फिर भी यह एशिया के सबसे अमीर गांवों में शामिल है। यहां हर परिवार की सालाना आमदनी 70 से 75 लाख रु. है। यह सेब के बागानों में झोंकी गई मेहनत का नतीजा है।

गांव में 80 के दशक तक सेब नहीं था

फिलहाल गांव में सेब की फसल आने लगी है और उम्मीद है कि 1800 की आबादी वाले इस गांव से इस साल करीब 7 लाख पेटी सेब निकलेंगे। वह भी देश में सबसे अच्छी क्वालिटी के सेब। राॅयल एप्पल, रेड गाेल्ड, गेल गाला जैसी किस्में किसानों ने लगाई हैं। गांव में 80 के दशक तक सेब नहीं था। 1990 में किसान हीरा सिंह डोगरा पहली बार सेब के पौधे लाए। उनका प्रयोग सफल रहा तो पूरा गांव सेब उगाने लगा। हीरा सिंह बताते हैं आज मड़ावग पंचायत से 12 से 15 लाख बॉक्स सेब हर साल दुनियाभर में जाता है। 

ओले, बर्फबारी से बचाने के लिए सालभर चलती है पेड़ों की देखरेख

मड़ावग के सेब का साइज बहुत बड़ा है। अच्छी बर्फ गिरने से यहां के सेब की क्वालिटी इतनी अच्छी है कि सेब जल्दी खराब नहीं हाेते। लोग सेब बागानों की देखभाल बच्चाें की तरह करते हैं। ठंड के मौसम में बागीचों में रात-दिन डटे रहते हैं। जीरो डिग्री से भी कम तापमान में लोग पेड़ों से बर्फ हटाते हैं। बर्फ पेड़ों की शाखाओं को तोड़ सकती है। अप्रैल से लेकर अगस्त-सितंबर तक फसल तैयार होती है। इस बीच अगर ओले गिर जाएं तो पूरी फसल बर्बाद हो सकती है। ओलों से फसल बचाने के लिए बगीचों के ऊपर नेट लगाए जाते हैं।