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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

पारस बलिस में 28 सप्ताह के नवजात बच्चे का इलाज कर पूरी तरह से स्वास्थ किया

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पारस बलिस में 28 सप्ताह के नवजात बच्चे का इलाज कर पूरी तरह से स्वास्थ किया
चंडीगढ़,सुनीता शास्त्री। भारत व खासकर हरियाणा में जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य सेवाओं संबंधी पारस बलिस अस्पताल पंचकूल के डॉक्टरो की टीम ने चंडीगढ़ में पत्रकारों को बताया कि अस्पताल के बाल रोग विभाग डायरेक्टर डा. ओ.एन. भाकू, बाल सर्जरी विभाग के डायरेक्टर के.एल.एन.राओ, सीनियर कंस्लटेंट डा. रजिंदर शैट्टी व कंसलटेंट डा. सौरभ गोयल मौजूद थे।डा. ओ.एन. भाकू ने इस अवसर पर संबोधन करते हुए कहा कि दुनिया भर में हर वर्ष 5 साल से कम उम्र के 66 लाख बच्चों की मौत हो जाती है, जिनमें से 44 प्रतिशत बच्चे जन्म से पहले 28 दिनों (न्यूनेटल के समय) मर जाते है। उन्होंने बताया कि भारत में यह दर 54 प्रतिशत है। दुनिया भर में जन्म लेने वाले बच्चों का पांचवा हिस्सा भारत में पैदा होता है, जबकि प्रेगनैंसी के बाद एक चौथाई मौतें भी भारत में होती हैं।उन्होंने कहा कि भारत में हर साल 7 लाख 60 हजार नवजात बच्चों की मौत हो जाती है, जिनमें से 70 प्रतिशत बच्चों की मौत जन्म के पहले 4 सप्ताह दौरान हो जाती है। डा. सौरभ गोयल ने पत्रकारों को बताया कि हाल ही में पीजीआई चंडीगढ़ में तीन बच्चों ने समय से पहले जन्म लिया, जिनमें से एक बच्चे का वजन एक किलो से भी कम था तथा उसको पारस बलिस अस्पताल भेजा गया, जहां बाल चिकित्सा का विशेष प्रबंध है। उन्होंने बताया कि इस बच्चे के कामयाब इलाज के बाद जब उसका वजन डेढ़ किलोग्राम से बढ़ गया अस्पताल से छुट्टी दी गई। उन्होंने कहा कि बदकिस्मती से उसके साथ पैदा हुए दूसरे दो बच्चों की किसी अन्य अस्पताल में मौत हो गई।डा. के.एल.एन राओ ने इस अवसर पर संबोधन करते हुए बताया कि नवजात बच्चों में भोजन की नली तथा स्वास नली के संगम, आतंड़ी, हर्निया जैसी समस्याएं अकसर आ रही हैं, जिनको एमरजैंसी सर्जरी की जरूरत होती है। उन्होंने बताया कि पारस बलिस अस्पताल में नवजात बच्चों के आप्रेशन किए जाते हैं तथा बच्चे तंदरूस्त हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि पारस बलिस अस्पताल के पास अंबाला, यमुनानगर, पटियाला, करनाल, सोलन तथा नालागढ़ इलाकों में वेंटीलेटड एंबूलैंस का भी प्रबंध है।