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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

गावसकर ने कहा कठपुतली तो चीफ सिलेक्टर बोले- ज्यादा क्रिकेट खेलने वाले को अच्छी समझ जरूरी नहीं

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  • बीसीसीआई चयन समिति के 5 में से 3 सदस्यों के पास 13 टेस्ट मैच खेलने का अनुभव
  • चीफ सिलेक्टर एमएसके प्रसाद बोले- सचिन को मौका देने वाले डूंगरपुर को इंटरनेशनल क्रिकेट का अनुभव नहीं था

Dainik Bhaskar

Jul 31, 2019, 09:23 AM IST

खेल डेस्क. पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावसकर ने रविवार को चयन समिति द्वारा विराट कोहली को कप्तान बनाए रखे जाने पर सवाल उठाए थे। उन्होंने चयन समिति को कठपुतली तक कहा था। चीफ सिलेक्टर एमएसके प्रसाद ने गावसकर का नाम लिए बिना कहा- ‘हमारे देश में लोगों को इस बात की गलतफहमी है कि जिसने ज्यादा क्रिकेट खेला है, उसे इस खेल की समझ भी ज्यादा है।’ चयन समिति के कम क्रिकेटिंग अनुभव पर सवाल उठते रहे हैं। समिति के 5 में से 3 सदस्यों के पास 13 टेस्ट मैच खेलने का अनुभव है। दो सदस्यों ने कोई टेस्ट नहीं खेला है। वहीं, गावसकर ने 125 टेस्ट में 10,122 रन बनाए हैं। 6 टेस्ट खेलने वाले प्रसाद ने न्यूज एजेंसी पीटीआई के सवालों के जवाब दिए- 

सवाल- चयन समिति के कद और अनुभव को लेकर काफी कहा जा रहा है। क्या इससे आप दुखी हैं? 
एमएसके प्रसाद- मैं आपको बता दूं कि चयन समिति के सभी सदस्य भारतीय टीम की ओर से अलग-अलग फॉर्मेट में खेले हैं। यह हमारे अपॉइंटमेंट के समय बेसिक क्राइटेरिया था। इसको हमने पूरा किया। इंटरनेशनल क्रिकेट के अलावा हम सभी ने 477 फर्स्ट क्लास मैच खेले हैं। अपने कार्यकाल के समय हमने 200 से ज्यादा फर्स्ट क्लास मैच देखे हैं। क्या इन आंकड़ों से आपको नहीं लगता कि बतौर खिलाड़ी और चयनकर्ता हम सही खिलाड़ी को चुनने की क्षमता रखते हैं।

सवाल- आप पांच लोगों ने मिलकर 13 टेस्ट खेले हैं। इस पर लोग सवाल उठाते हैं।
प्रसाद- अगर बात हमारे इंटरनेशनल अनुभव की है, तो इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड के चेयरमैन एड स्मिथ के अनुभव को देखना चाहिए। उनके पास सिर्फ एक टेस्ट का अनुभव है। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया की चयन समिति के चेयरमैन ट्रेवर होन्स ने सिर्फ 7 टेस्ट खेले हैं और वे बीच में ढाई साल छोड़कर पिछले डेढ़ दशक से मुख्य चयनकर्ता हैं। 128 टेस्ट और 244 वनडे खेलने वाले मार्क वॉ उनके अंडर काम करते हैं। पूर्व ऑस्ट्रेलियन कप्तान ग्रेग चैपल ने 87 टेस्ट और 74 वनडे खेले हैं, वे भी ट्रेवर के अंडर हैं। जब उन देशों में इंटरनेशनल अनुभव मुद्दा नहीं है तो हमारे देश में ऐसा क्यों है? मैं यह कहने की कोशिश कर रहा हूं कि हर काम के लिए जरूरत अलग होती है। अगर अनुभव का ही सवाल है तो राज सिंह डूंगरपुर कभी चयन समिति के अध्यक्ष नहीं होते क्योंकि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला ही नहीं था। ऐसे में शायद सचिन तेंदुलकर कभी 16 साल की उम्र में इंटरनेशनल क्रिकेट खेल ही नहीं पाते। अगर इंटरनेशनल क्रिकेट के अनुभव को ही क्राइटेरिया माना जाने लगा तो कई फर्स्ट क्लास क्रिकेटर चयनकर्ता बनने के बारे में सोच ही नहीं सकते।

सवाल- जब आपको कमजोर चयनकर्ता कहा जाता है, तो आप कैसे रिएक्ट करते हैं? 
प्रसाद- यह बहुत दुर्भाग्यशाली है। हम दिग्गज क्रिकेटरों का काफी सम्मान करते हैं। हर मुद्दे पर उनकी अपनी राय है। उनकी बात मायने रखती है। लेकिन इस तरह की बातों से हम दुखी होने की बजाय स्ट्राॅन्ग, कमिटेड और एकजुट होकर अपना काम करते हैं। 

सवाल- जब कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली का समिति से मतभेद होता है, तो चीजें ठीक कैसे होती हैं? क्या वे कभी समिति पर दबाव बनाते हैं? 
प्रसाद- शास्त्री और कोहली टीम के कोच और कप्तान हैं। द्रविड़ टीम ए के कोच हैं। सबकी अपनी भूमिका और जिम्मेदारियां हैं। हम एकजुटता से काम करते हैं। कई बार विचार नहीं मिलते। लेकिन वह लोगों के सामने नहीं आता। बंद कमरे के अंदर जो होता है, वह वहीं तक रहता है। आखिर में वही होता है, जो टीम और देशहित में होता है। लोगों के बीच यह एक गलत धारणा है कि जिन खिलाड़ियों ने अधिक क्रिकेट खेला है, उनके पास अधिक ज्ञान या अधिक ताकत है। वे किसी पर भी हावी हो सकते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। अगर ऐसा होता तो कोचिंग यूनिट, चयन समिति या अन्य जगह ऐसे लोग होते, जिनके पास इंटरनेशनल क्रिकेट का ज्यादा अनुभव है।

सवाल- आप चयन समिति के पिछले तीन साल के कार्यकाल के बारे में आकलन कैसे करते हैं?
प्रसाद- चयन समिति ने घरेलू क्रिकेट से टैलेंट सर्च करने के लिए पूरे देश का दौरा किया। हमने खिलाड़ियों की प्रतिभा के आधार पर उन्हें इंडिया ए और फिर सीनियर टीम में मौका दिया।

  • 1. टेस्ट टीम ने 13 टेस्ट सीरीज में से 11 जीतीं। हमारी टीम पिछले 3 साल से दुनिया की नंबर-1 टेस्ट टीम है।
  • 2. वनडे में जीत का प्रतिशत 80-85% है। वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में हार के पहले वनडे की नंबर-1 टीम थे। चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पहुंचे। 2016-2018 में एशिया कप जीता।
  • 3. इंडिया ए ने 11 में से 11 वनडे सीरीज जीतीं। इंडिया ए ने 9 में से 8 टेस्ट सीरीज जीतीं।
  • 4. हमने 35 नए खिलाड़ियों को तैयार किया और उन्हें तीनों फॉर्मेट में सीनियर टीम में शामिल किया।