- न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक- आर्मस्ट्रॉन्ग की मौत पर उनके बेटों ने अस्पताल पर गलत सर्जरी का आरोप लगाया था
- आर्मस्ट्रॉन्ग के दोनों बेटों मार्क और रिक ने अस्पताल पर केस भी दर्ज कराया था
Dainik Bhaskar
Jul 25, 2019, 08:22 AM IST
वॉशिंगटन. चांद पर पहला कदम रखने वाले एस्ट्रोनॉट नील आर्मस्ट्रॉन्ग की मौत को 7 साल से भी ज्यादा का समय हो चुका है। हालांकि, अब उनकी मौत के मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आर्मस्ट्रॉन्ग की मौत के दो साल पहले उनके परिवार को सर्जरी करने वाले अस्पताल की तरफ से 60 लाख डॉलर (करीब 41 करोड़ रुपए) मिले थे। दावा किया गया है कि आर्मस्ट्रॉन्ग परिवार ने अस्पताल पर गलत सर्जरी का आरोप लगाया था। इसके बाद अस्पताल ने नाम खराब होने के डर से बिना सबूतों के ही आर्मस्ट्रॉन्ग के बेटों को हर्जाना दिया।
परिवार ने कहा था- हृदय प्रक्रिया में जटिलता की वजह से हुई मौत
1969 में अपोलो मिशन के तहत चांद पर पहला कदम रखने वाले आर्मस्ट्रॉन्ग की मौत 25 अगस्त 2012 को हुई थी। इससे दो हफ्ते पहले ही उनकी बाइपास सर्जरी सिनसिनाटी के मर्सी हेल्थ फेयरफील्ड हॉस्पिटल में हुई थी। मौत के बाद उनके परिवार ने ऐलान किया था कि आर्मस्ट्रॉन्ग की मौत कार्डियोवेस्कुलर प्रोसीजर्स (हृदय प्रक्रिया) में जटिलताओं की वजह से हुई। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान नील के दो बेटे मार्क और रिक आर्मस्ट्रॉन्ग ने अस्पताल पर आरोप लगाया था कि सर्जरी के बाद की कुछ गड़बड़ियों की वजह से उनके पिता की मौत हुई। दोनों ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ केस भी दर्ज कराया।
दस्तावेजों में दावा- नर्स की चूक से बिगड़ी आर्मस्ट्रॉन्ग की हालत
टाइम्स ने दावा किया है कि उसे एक अज्ञात स्रोत से कोर्ट में दायर 93 पन्नों के दस्तावेजों मिले। इसमें आर्मस्ट्रॉन्ग के परिवार और अस्पताल प्रशासन के बीच चर्चा के अंश भी हैं। इसमें एक जगह कहा गया है कि आर्मस्ट्रॉन्ग की हालत 7 अगस्त 2012 को काफी बिगड़ गई थी। इसके बाद डॉक्टरों को उनकी इमरजेंसी कार्डियक बाइपास सर्जरी करनी पड़ी थी। मानक प्रक्रिया के तहत डॉक्टरों ने उनकी धड़कनें बढ़ाने के लिए अस्थाई वायर लगाए थे, लेकिन एक नर्स की गलती से यह वायर अपनी जगह से हट गया और आर्मस्ट्रॉन्ग की ब्लड प्रेशर घटने के बाद इंटरनल ब्लीडिंग की वजह से मौत हो गई।
दस्तावेजों के मुताबिक, इसके बाद डॉक्टरों ने आनन-फानन में फैसले लिए और आर्मस्ट्रॉन्ग को ऑपरेशन थिएटर में ले जाने में देरी कर दी। इसी को लेकर नील आर्मस्ट्रॉन्ग की पत्नी वेंडी ने अस्पताल को ईमेल किया था कि उनके बेटे अपोलो मिशन की 45वीं बरसी पर खराब मेडिकल व्यवस्थाओं का खुलासा कर देंगे। डॉक्यूमेंट में यह भी कहा गया है कि आर्मस्ट्रॉन्ग के नातियों की वकील ने भी इस मामले में दखल दिया था और कहा था कि कोई संस्थान एक ‘अमेरिकी हीरो’ की मौत से अपना नाम जुड़ा नहीं देखना चाहेगा।
बदनामी के डर से अस्पताल ने किया सैटलमेंट
रिपोर्ट के मुताबिक, मर्सी अस्पताल ने ऑर्मस्ट्रॉन्ग परिवार के उन दावों को नकारा था, जिसमें कहा गया था कि उसकी व्यवस्थाएं ठीक नहीं हैं। इसके बावजूद अस्पताल ने मामला निपटाने के लिए परिवार को 60 लाख डॉलर सेटलमेंट के तौर पर देने की बात कही थी, ताकि यह मामला सार्वजनिक तौर पर बाहर न आए और अस्पताल की छवि पर असर न पड़े।