घरों में दाई द्वारा डिलीवरी करनी गैर-कानूनी है। गर्भवतियों और नवजातों की मृत्यु दर रोकने संबंधी सिविल सर्जन डाॅ. अनूप कुमार ने बैठक ली। इस दौरान उन्होंने गर्भवती महिलाओं को सिविल अस्पतालों में इलाज कराने संबंधी सेहत विभाग के कर्मचारियों को हिदायत दी। सिविल सर्जन ने कहा कि सरकारी अस्पताल व डिस्पेंसरी में गर्भवती महिलाओं को चेकअप के दौरान किसी तरह की सेहत संबंधी दिक्कत आती है तो उसे तुरंत नजदीकी सिविल अस्पताल में भर्ती कराया जाए। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं में अक्सर बीपी बढ़ने, खून की कमी जैसे दिक्कत रहती है और उसे समय पर इसका इलाज देने की जरूरत होती है।
उन्होंने बताया कि जिस गर्भवती का कद 5 फुट से कम होता है उसे भी स्त्री रोग विशेषज्ञ की राय लेनी जरूर चाहिए। इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान कर डिलीवरी के दौरान गर्भवती और उसके बच्चे की मृत्यु दर को रोका जा सकता है।
विभाग के कर्मचारियों के साथ बैठक करते सिविल सर्जन।
लोग शिकायत करें, कानूनी कार्रवाई होगी : जिला सेहत अधिकारी
जिला सेहत अधिकारी डॉ. रजिंदर पाल और डॉ. सवरनजीत ने बताया कि किसी भी दाई को घर में केस करने की आज्ञा नहीं है। अगर कोई केस दाई घर पर करती है तो उन्हें सेहत विभाग से नोटिस जारी कर दिया जाता है और कानूनी कार्रवाई का भी उसे सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि अधिकतर मामलों में सामने आया है कि नवजात की अधिकतर मौत जन्म लेने के 24 घंटे से एक माह के भीतर होती है। इस समय के दौरान अगर किसी बच्चे या गर्भवती की मौत होती है तो ऐसे केस की पूरी स्टडी की जाएगी और उसके मौत के कारण का पता लगाया जाएगा। इस मौके पर डॉ. नीरज, डॉ. शैलजा, डॉ. मनजीत कौर, डॉ. प्रीत कमल, सरबजीत कौर आदि शामिल थे।