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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

पंचकूला में तैयार हुए बैडमिंटन रैकेट से खेलते हैं इंटरनेशनल प्लेयर

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  • देश के स्टार बैडमिंटन प्लेयर्स के रैकेट्स में तारें डालने का काम करते हैं महेश 
  • देश के टॉप प्लेयर भी इन्हीं के पास भेजते हैं अपने रैैकेट

पंचकूला (गौरव मारवाह). देश के जूनियर शटलर्स वर्ल्ड में कहीं भी अच्छा प्रदर्शन करें, उनकी सफलता में योगदान पंचकूला के महेश का भी रहता है। प्लेयर्स के बैडमिंटन रैकेट्स भले ही विदेशों से आते हों लेकिन उनके रैकेट्स की गटिंग (तारें डालने) का काम पंचकूला में ही होता है।

योनेक्स रैकेट्स के एक्सपर्ट माने जाने वाले महेश का बचपन से एक हाथ नहीं है। सिर्फ एक हाथ के दम पर वे रैकेट्स को बेस्ट बना देते हैं। देश के स्टार जूनियर शटलर्स उन्हीं से ही अपने रैकेट्स तैयार करवाते हैं। उन्हें 9 साल का अनुभव है और वे अच्छी तरह समझते हैं कि किस प्लेयर की क्या जरूरत है। 

ये खेले इनके तैयार किए रैकेट से :

  •  साई प्रणीत: जूनियर वर्ल्ड मेडलिस्ट और एशियन मेडलिस्ट
  •  गायत्री पुलेला गोपीचंद: इंटरनेशनल शटलर और नेशनल गोल्ड मेडलिस्ट
  •  गायत्री बानसोड: इंटरनेशनल शटलर और नेशनल गोल्ड मेडलिस्ट
  •  आदिति भट्‌ट: इंटरनेशनल शटलर, नेशनल गोल्ड मेडलिस्ट
  •  आकर्षि कश्यप: जूनियर एशियन मेडलिस्ट, 5 बार की नेशनल मेडलिस्ट
  •  ध्रुव कपिला: नेशनल गोल्ड मेडलिस्ट और मिक्सड डबल्स में नेशनल नंबर-1

9 साल पहले शुरू हुआ सफर : महेश ने नौ साल पहले स्पोर्ट्स गुड्स का काम शुरू किया था और तभी उन्होंने गटिंग का काम करना सीखा। अब वे इसमें महारत हासिल कर चुके हैं। चंडीगढ़, हरियायाणा, पंजाब के साथ साथ जम्मू एंड कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और दिल्ली तक के रैकेट्स को तैयार करते हैं। शटलर्स अपने रैकेट्स उनके पास लगातार भेजते रहते हैं। महेश का कहना है कि वे सिर्फ अपने काम काे ईमानदारी से कर रहे हैं। वे अच्छा काम करते हैं तभी शटलर्स उनके काम को सराहते हैं। 
 

नेशनल कैंप में सभी शटलर्स ने दिए रैकेट्स :  

पिछले साल पंचकूला में लगे नेशनल कैंप में उन्हें काफी रैकेट्स को एकसाथ तैयार करना पड़ा। महेश ने बताया कि नेशनल प्लेयर आदिति नेशनल कैंप के लिए चंडीगढ़ आई थीं। वे पहले होटल नहीं गईं और सीधा मेरे पास आईं। अपने रैकेट्स मुझे तैयार करने को दिए और फिर होटल जाकर सभी काे बताया। फिर सभी ने अपने रैकेट्स मुझे दिए।

मशीन में कट गया था हाथ : 2.5 साल की उम्र में उन्होंने अपना बायां हाथ घास काटने वाली मशीन में आ जाने के कारण गंवा दिया था। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। महेश का कहना है कि जिस शटलर को जिस रैकेट की जरूरत है, उसे वही दिया। मैंने गेम की बारीकियों को समझने के लिए गेम खेला भी है। जब आपको गटिंग की नॉलेज नहीं होगी तो आप उसे बेस्ट कैसे बना पाओगे।

गेम में मिलती है पावर : 

महेश कई स्टार शटलर्स के रैकेट्स को तैयार करते हैं और इसमें आदिति व गायत्री पुलेला गोपीचंद का नाम भी शामिल है। आदिति का कहना है कि वर्ल्ड में कहीं भी रैकेट्स खरीदे जा सकते हैं और उन्हें तैयार कराया जा सकता है। लेकिन जिस तरह के रैकेट्स की गटिंग महेश करते हैं उसका कोई मुकाबला नहीं है। एशियन मेडलिस्ट आकर्षि कश्यप कहती हैं कि महेश की गटिंग रैकेट्स को स्पेशल बनाती है और उनकी गटिंग कभी भी हिलती नहीं। गेम खेलना और शटल पर पावर लगाना तैयार किए रैकेट्स से काफी आसान हो जाता है।