- एनडीए-2 का पहला संसद सत्र 17 जून से 26 जुलाई तक चलेगा
- इस बार पहली पंक्ति में आडवाणी, जोशी, सुषमा, खड़गे और देवेगौड़ा नहीं दिखाई देंगे
- लोकसभा की पहली पंक्ति में 20 सीटें, इनमें भाजपा को 11 मिलेंगी
नई दिल्ली. लोकसभा की पहली पंक्ति इस बार कुछ बदली हुई नजर आएगी। दशकों से भारतीय राजनीति के बड़े चेहरे रहे लालकृष्ण आडवाणी और एचडी देवेगौड़ा समेत 5 नेता जो हमेशा से पहली पंक्ति में दिखाई देते थे, वे इस बार नजर नहीं आएंगे। इन बड़े चेहरों ने या तो चुनाव नहीं लड़ा या उन्हें अपने क्षेत्र में हार मिली। संसद का बजट सत्र आज से शुरू हो रहा है और यह 26 जुलाई तक चलेगा।
पहली पंक्ति में इन चेहरों की जगह अब कौन नजर आएगा यह तो जल्द ही पता चलेगा लेकिन लोकसभा में अलग-अलग दलों के सांसदों की संख्या और सिटिंग फॉर्मूले के मुताबिक, यह तय है कि इस बार लोकसभा में पहली पंक्ति की 11 सीटें भाजपा को मिलेंगी, जबकि कांग्रेस के हिस्से 2 सीटें आएंगी।
लोकसभा : ब्लॉक और पहली पंक्ति में सीटों की व्यवस्था
मौजूदा लोकसभा में 550 सांसदों के बैठने की व्यवस्था है। ये 550 सीटें 6 ब्लॉक में बंटी हुई हैं। हर एक ब्लॉक में 11 पंक्तियां हैं। स्पीकर के दायीं ओर पहला ब्लॉक और बायीं ओर छठा ब्लॉक होता है। इन दोनों ब्लॉक में 97-97 सीटें होती हैं। बाकी बीच के चार ब्लॉक में 89-89 सीटें होती है। इन 6 ब्लॉक में पहली पंक्ति में कुल 20 सीटें होती हैं।
सिटिंग अरेंजमेंट का फॉर्मूला
सदन की प्रक्रिया और कामकाज से जुड़े नियम नंबर चार के मुताबिक लोकसभा सदस्य, स्पीकर की बनाई हुई व्यवस्था के तहत बैठते हैं। स्पीकर यह व्यवस्था सदन के निर्देश नंबर 122 (ए) के अनुसार करते हैं। इसके मुताबिक राजनीतिक दलों को ब्लॉक और इनकी पहली पंक्ति में सीटें, सदन में उनकी संख्या के अनुपात पर मिलती हैं। जैसे किसी एक लाइन में एक दल के कितने सदस्य बैठेंगे, यह उस दल को चुनाव में मिली सीटों की संख्या और उस पंक्ति में सीटों की संख्या के गुना को सदन की कुल सीटों से भाग देकर निकालते हैं।
पहली पंक्ति में एनडीए को 13 सीटें
लोकसभा में एनडीए सांसदों की संख्या 352 है और पहली पंक्ति में 20 सीटें हैं। इनका गुना कर कुल सीटों (550) से भाग दें तो 13 आता है। इसलिए एनडीए को पहली पंक्ति में 13 सीटें मिलेंगी। इसमें 11 सीटें भाजपा को और अन्य 2 सीटें उसके सहयोगी दलों को मिलेंगी। स्पीकर के दायीं ओर सरकार में शामिल दल बैठते हैं। ऐसे में पहले ब्लॉक में प्रधानमंत्री मोदी बैठेंगे। उनके साथ राजनाथ सिंह बैठ सकते हैं। अन्य 11 सीटों पर अमित शाह, नितिन गडकरी समेत मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सदस्य बैठेंगे। पीछे की पंक्तियां भी इसी तरह बांटी जाती है। एनडीए के सांसदों की संख्या को देखें तो दायीं ओर के चार ब्लॉक पर उन्हीं का कब्जा रहेगा। चौथे ब्लॉक की केवल 10 के करीब सीटें अन्य दलों को मिलेंगी।
दो ब्लॉक तक सीमित रह जाएगा विपक्ष
विपक्षी दलों को बाकी बचे दो ब्लॉक में सीटें मिलेंगी। इनकी पहली पंक्ति की 7 सीटों में से एक पर लोकसभा के डिप्टी स्पीकर बैठेंगे। सिटिंग फॉर्मूले के मुताबिक, यूपीए को 3 सीटें मिलेंगी, इसमें दो सीटों पर कांग्रेस और एक पर डीएमके सांसद बैठ सकते हैं। पहली पंक्ति में सोनिया गांधी का बैठना तय है। उनके साथ यूपीए के अन्य दो नेता कौन होंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।
इन दो ब्लॉक की पहली पंक्ति की बची 4 सीटों पर अन्य दल जैसे टीएमसी, सपा, वाईएसआरसी और बीजद के नेता बैठ सकते हैं। वैसे तो पहली पंक्ति में उसी दल के सदस्य बैठते हैं, जिनकी 5 से ज्यादा सीटें आईं हों, लेकिन स्पीकर और दलों के नेता आपसी सहमति से भी 5 से कम सीटें लाने वाले दल के किसी वरिष्ठ नेता की सीट पहली पंक्ति में तय कर सकते हैं।
शाह, गडकरी और रविशंकर को पहली पंक्ति में जगह मिल सकती है
भाजपा ने इस बार अपने 75+ फॉर्मूले के तहत कई वरिष्ठ नेताओं को टिकट नहीं दिया। इसमें लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी शामिल हैं। ये ऐसे नेता थे जो लोकसभा में पहली पंक्ति में बैठते आए हैं। ये दोनों ही चेहरे इस बार नहीं दिखेंगे। इनके अलावा सुषमा स्वराज भी स्वास्थ्य कारणों के चलते चुनाव नहीं लड़ीं। वे भी पहली पंक्ति में बैठती रही थीं। भाजपा के इन तीन बड़े चेहरों की जगह अब अमित शाह, नितिन गडकरी और रविशंकर प्रसाद पहली पंक्ति में देखे जा सकते हैं। विपक्षी दलों में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और जेडीएस नेता एचडी देवेगौड़ा भी पहली पंक्ति से नदारद रहेंगे। पिछली लोकसभा में दोनों ही नेता पहली पंक्ति में कांग्रेस चेयरपर्सन सोनिया गांधी के साथ बैठते थे। इस बार दोनों ही दिग्गज अपने-अपने संसद क्षेत्रों में हार गए।