- इस वर्ल्ड कप में 5 बार ऐसे मौके सामने आए, जब गेंद स्टम्प पर लगी लेकिन गिल्ली नहीं गिरी
- ऑस्ट्रेलिया स्थित जिंग बेल्स के डायरेक्टर डेविड लिगर्टवुड का कहना है कि भविष्य में उनकी कंपनी इसमें कुछ बदलाव कर सकती है
नई दिल्ली. वर्ल्ड कप 2019 में 5 बार ऐसे मौके आए जब गेंद स्टम्प पर लगी लेकिन गिल्लियां नहीं गिरीं। इस वजह से खिलाड़ी को आउट नहीं दिया गया। रविवार को लंदन के ओवल में खेले गए भारत-ऑस्ट्रेलिया मैच में भी ऐसा हुआ। वार्नर बल्लेबाजी कर रहे थे तभी उनके बल्ले का भीतरी किनारा लगते हुए गेंद स्टम्प पर लगी, लेकिन गिल्लियां नहीं गिरीं। उस वक्त ऑस्ट्रेलियाई पारी का दूसरा ही ओवर चल रहा था। मैच के बाद दोनों टीमों के कप्तानों ने गिल्लियों के भारी होने को इसका कारण बताया।
पूर्व क्रिकेटर्स ने भी सोशल मीडिया पर इन जिंग बेल्स को ट्रोल किया। भास्कर प्लस ऐप ने इस मुद्दे पर इन बेल्स को बनाने वाली जिंग्स कंपनी के डायरेक्टर डेविड लिगर्टवुड से बात की। उनका कहना है कि वर्ल्ड कप में जो हो रहा है, उससे हम भी हैरान हैं। हालांकि, गेंद लगने पर गिल्लियों के नहीं गिरने की वजह केवल इनका वजन नहीं है, इसके पीछे अन्य कारण भी हैं। लिगर्टवुड ने यह भी कहा कि भविष्य में ऐसा नहीं हो, इसके लिए हम इसमें कुछ बदलाव कर सकते हैं।
‘वर्ल्ड कप में गिल्लियों का न गिरना ज्यादा देखने में आ रहा’
लिगर्टवुड बताते हैं कि स्टम्प्स से गिल्लियों का गिरना या न गिरना खेल का एक हिस्सा है। जब तक गेंद एक जरूरी फोर्स के साथ स्टम्प से नहीं टकराएगी, गिल्लियां नहीं गिरेंगी। यह जिंग बेल्स के साथ ही नहीं, लकड़ी की बनी गिल्लियों के साथ भी होता था। पहले भी कई बार ऐसा हुआ है जब गेंद स्टम्प से टकराई लेकिन लकड़ी की गिल्लियां नहीं गिरीं। हां, इस वर्ल्ड कप में यह ज्यादा देखने को मिल रहा है लेकिन इसका एकमात्र कारण जिंग बेल्स का वजन नहीं है। इसके और भी कई कारण हो सकते हैं, जैसे- स्टम्प ग्रुव्स (गिल्लियों को स्टंप पर टिकाने की जगह) का आकार और गहराई, पिच की स्थिति, स्टम्प में लगे कैमरे आदि। लिगर्टवुड ने अपनी कंपनी का बचाव करते हुए कहा कि कई परीक्षणों में यह साबित भी हो चुका है कि गिल्लियों का वजन उनके गिरने या नहीं गिरने के पीछे सबसे बड़ा कारण नहीं है।
‘जिंग बेल्स से रनआउट का पता लगाना ज्यादा आसान’
इंग्लैंड में वर्ल्ड कप के दौरान बार-बार सामने आ रही इस स्थिति पर लिगर्टवुड कहते हैं, ये वाकई अहम है। एक खिलाड़ी जब खेल के अनुसार आउट है तो उसे आउट होना ही चाहिए, लेकिन गिल्लियों का नहीं गिरना, दोनों ही पक्षों के लिए एक जैसा है। लिगर्टवुड कहते हैं कि इस संदर्भ में हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जिंग बेल्स रन आउट और स्टम्पिंग के समय सही फैसला देने में थर्ड अंपायर की बहुत मदद करती हैं। बॉल लगने पर मिलिसेकंड्स में एलईडी के चमकने से सही फैसला आता है। अगर बैट्समैन आउट होता है तो हमेशा उसे आउट ही दिया जाता है। ऐसा लकड़ी की गिल्लियों के साथ नहीं था।
‘खेल की मांग भी यही कि गिल्लियां आसानी से नहीं गिरें’
लिगर्टवुड कहते हैं कि वैसे तो इस खेल की डिमांड भी यही है कि गिल्लियां इतनी आसानी से नहीं गिरें। जैसे अगर गिल्लियों का वजन कम हो, तो वे तेज हवा में बार-बार गिर सकती हैं। ऐसे में खेल को रोककर बार-बार अंपायर को स्टम्प पर गिल्लियां लगानी होती हैं। खेल के बार-बार रुकने से मजा भी खराब होता है। ठीक इसी तरह गिल्लियां अगर ज्यादा हल्की हों तो वे गेंद लगने पर टूट भी सकती हैं। ऐसे में इनका मजबूत और हल्का वजनी होना ठीक है। लिगर्टवुड के मुताबिक, जिंग विकेट सिस्टम का हजारों मैचों में इस्तेमाल हो चुका है लेकिन यह पहली बार है जब लगातार ऐसी चीज सामने आईं हैं। हम इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं। जरूरी हुआ तो हम भविष्य में इसमें बदलाव भी करेंगे।
जब तक गिल्ली नहीं गिरेगी, तब तक बल्लेबाज आउट नहीं माना जाएगा
क्रिकेट के नियम 29.1 के मुताबिक, बल्लेबाज को तभी आउट माना जाएगा जब गिल्लियां गिरेंगी या स्टम्प उखड़ेंगे। अगर गेंद लगने के बाद भी स्टम्प नहीं उखड़ते या गिल्लियां नहीं गिरतीं तो बल्लेबाज आउट नहीं माना जाएगा। इसमें ये भी कहा गया है कि अगर गेंद लगने पर गिल्लियों में कोई हलचल होती है लेकिन अगर वे नहीं गिरतीं तो भी बल्लेबाज आउट नहीं माना जा सकता।
वर्ल्ड कप 2019 में 5 बार ऐसा हुआ, लेकिन जीत गेंदबाज टीम को ही मिली
मंगलवार तक वर्ल्ड कप के 16 मैच हो चुके हैं। इनमें से 5 बार ऐसा हुआ है जब गेंद स्टम्प पर तो लगी लेकिन गिल्ली नहीं गिरी। 5 में से 4 बार गिल्लियां तेज गेंदबाज की गेंद पर नहीं गिरीं। ऐसा मिशेल स्टार्क (ऑस्ट्रेलिया), ट्रेंट बोल्ट (न्यूजीलैंड), बेन स्टोक्स (इंग्लैंड) और जसप्रीत बुमराह (भारत) की गेंद पर हुआ। ये सभी गेंदबाज 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद डालते हैं।
मैच |
गेंदबाज |
बल्लेबाज |
ओवर |
नतीजा |
इंग्लैंड v/s दक्षिण अफ्रीका |
आदिल रशीद |
क्विंटन डीकॉक |
11वां |
इंग्लैंड जीता |
न्यूजीलैंड v/s श्रीलंका |
ट्रेंट बोल्ट |
दिमुथ करुणारत्ने |
6वां |
न्यूजीलैंड जीता |
ऑस्ट्रेलिया v/s वेस्ट इंडीज |
मिशेल स्टार्क |
क्रिस गेल |
तीसरा |
ऑस्ट्रेलिया जीता |
इंग्लैंड v/s बांग्लादेश |
बेन स्टोक्स |
सैफुद्दीन |
46वां |
इंग्लैंड जीता |
भारत v/s ऑस्ट्रेलिया |
जसप्रीत बुमराह |
डेविड वार्नर |
दूसरा |
भारत जीता |
आईसीसी ने 2012 में जिंग बेल्स के इस्तेमाल की मंजूरी दी थी
इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) ने 2012 में अंतरराष्ट्रीय मैचों में जिंग बेल्स के इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। जिंग्स कंपनी के मुताबिक, अब तक एक हजार से ज्यादा मैचों में इन गिल्लियों का इस्तेमाल हो चुका है। 2015 के वर्ल्ड कप में भी इन गिल्लियों का इस्तेमाल हुआ था। उस वक्त भी गेंद लगने पर गिल्लियों के नहीं गिरने की घटना सामने आई थी। हालांकि, उस वक्त ऐसा एक-दो बार ही हुआ था। अंतरराष्ट्रीय मैचों के अलावा भारत की आईपीएल और ऑस्ट्रेलिया की बिग बैश लीग में भी इन गिल्लियों का इस्तेमाल होता रहा है। इन मैचों में भी कई बार ऐसे वाकये हो चुके हैं।